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Bihar News : ये हुई न बात...सास-बहू ने दी एक साथ परीक्षा, बोलीं-'अब अंगूठा नहीं नाम लिखती हूं' - क्या है मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना

बिहार के नालंदा से बेहद खूबसूरत एक ऐसी तस्वीर सामने आई है. उम्र के आखिरी पड़ाव में पोता पोती को पढ़ते देख सास-बहू ने एक साथ बैठकर मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना की परीक्षा दें रही हैं. जिसकी चर्चा आज हर किसी के जुबान पर है. इन महिलाओं के जज्बे और पढ़ने के लगन की सभी प्रशंसा कर रहे हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 24, 2023, 8:42 PM IST

बहू के साथ परीक्षा देती सास

नालंदा: बिहार के नालंदा में लोगों को प्रेरित करने वाला मामला सामने आया है, यहां सास-बहू एक साथ परीक्षा में शामिल हुईं. अक्षर आंचल योजना के तहत चलाए जा रहे बुनियादी साक्षरता केंद्रों की नवसाक्षर महिलाओं की परीक्षा का आयोजन किया गया था. जिसमें जिले के राणाबिगहा के एक केंद्र का नजारा ही कुछ अलग था. यहां पर बहू के साथ सास परीक्षा देते देखी गई. जो अपने आप में अनूठा था. एक साथ दो पीढ़ी पढ़ने के लिए परीक्षा कक्ष में बैठी थी.

ये भी पढ़ें: Bihar Inspirational Story: 4 बहुओं संग परीक्षा देने पहुंची सास, 6 महीने में पांचों बनी साक्षर

सास बहू ने एक साथ दी परीक्षा: बिहारशरीफ के मध्य विद्यालय राणाबिगहा केंद्र पर बहू के साथ सास ने परीक्षा दी. वहीं एक परिवार की तीन बहू भी परीक्षा में शामिल हुईं. केंद्र के वरीय प्रेरक भोला प्रसाद ने बताया कि नालंदा में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत जिले के 105 केंद्रों पर महापरीक्षा का आयोजन किया गया. सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित इस महापरीक्षा में 60 नवसाक्षर महिलाओं ने परीक्षा दी.

पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने का शौक जागा : बिहारशरीफ के कोसुक निवासी जमींदर मांझी की पत्नी इंद्राणी देवी सास पंभी देवी के साथ परीक्षा दी. परीक्षा दे रहीं सास पंभी देवी ने बताया कि घर में पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने लिखने का शौक जागा तो गांव के शिक्षा सेवक मुन्ना मांझी का सहयोग मिला. दोनों सास-बहू पढ़ने के लिए जाने लगी.

अब अंगूठा नहीं नाम लिखती हूं: उन्होंने कहा कि अपना हस्ताक्षर करने और हिन्दी पढ़ने-लिखने का ज्ञान हासिल हो चुका है. आज उन्हीं हाथ में कलम पकड़ कर बहुत अच्छा लग रहा है. दोनों आज अपना और पति का नाम लिख लेती हैं और बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ा भी लेती है. इस परीक्षा में शामिल होकर काफी खुशी हो रही. 55 साल बाद कलम पकड़कर परीक्षा देना दोनों को अच्छा लगा.

"घर में पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने लिखने का शौक जागा. अपना हस्ताक्षर करने और हिन्दी पढ़ने-लिखने का ज्ञान हासिल हो चुका है. आज अपना और पति का नाम लिख लेती हूं और बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ा भी लेती हूं."- पंभी देवी, सास

तीन बहुओं ने दी परीक्षा: वहीं तिउरी गांव की सुनैना देवी, रूबी देवी, बेबी देवी और सुनीता देवी एक ही परिवार की बहू हैं. तीनों को बचपन में स्कूल जाने का मौका नहीं मिला. अब दूसरे को पढ़ता लिखता देख पढ़ाई का मन किया और उम्र के झिझक को छोड़ आज साक्षर बनी है. केंद्र के वरीय प्रेरक भोला प्रसाद ने बताया कि शिक्षा सेवक मुन्ना प्रसाद संजय और सरस्वती कुमारी के प्रयास से आसपास की महिलाओं को साक्षर किया जाता है.

क्या है मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना : इस योजना के तहत महादलित, दलित और अल्पसंख्य, अति पिछड़ा वर्ग के असाक्षर बच्चे और 15 से 45 आयु वर्ग के असाक्षर महिलाओं को अक्षर लिखने, पढ़ने का ज्ञान कराया जाता है. इसमें गणित के छोटे छोटे जोड़-घटाना या हिसाब भी सिखाया जाता है.

बहू के साथ परीक्षा देती सास

नालंदा: बिहार के नालंदा में लोगों को प्रेरित करने वाला मामला सामने आया है, यहां सास-बहू एक साथ परीक्षा में शामिल हुईं. अक्षर आंचल योजना के तहत चलाए जा रहे बुनियादी साक्षरता केंद्रों की नवसाक्षर महिलाओं की परीक्षा का आयोजन किया गया था. जिसमें जिले के राणाबिगहा के एक केंद्र का नजारा ही कुछ अलग था. यहां पर बहू के साथ सास परीक्षा देते देखी गई. जो अपने आप में अनूठा था. एक साथ दो पीढ़ी पढ़ने के लिए परीक्षा कक्ष में बैठी थी.

ये भी पढ़ें: Bihar Inspirational Story: 4 बहुओं संग परीक्षा देने पहुंची सास, 6 महीने में पांचों बनी साक्षर

सास बहू ने एक साथ दी परीक्षा: बिहारशरीफ के मध्य विद्यालय राणाबिगहा केंद्र पर बहू के साथ सास ने परीक्षा दी. वहीं एक परिवार की तीन बहू भी परीक्षा में शामिल हुईं. केंद्र के वरीय प्रेरक भोला प्रसाद ने बताया कि नालंदा में मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत जिले के 105 केंद्रों पर महापरीक्षा का आयोजन किया गया. सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित इस महापरीक्षा में 60 नवसाक्षर महिलाओं ने परीक्षा दी.

पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने का शौक जागा : बिहारशरीफ के कोसुक निवासी जमींदर मांझी की पत्नी इंद्राणी देवी सास पंभी देवी के साथ परीक्षा दी. परीक्षा दे रहीं सास पंभी देवी ने बताया कि घर में पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने लिखने का शौक जागा तो गांव के शिक्षा सेवक मुन्ना मांझी का सहयोग मिला. दोनों सास-बहू पढ़ने के लिए जाने लगी.

अब अंगूठा नहीं नाम लिखती हूं: उन्होंने कहा कि अपना हस्ताक्षर करने और हिन्दी पढ़ने-लिखने का ज्ञान हासिल हो चुका है. आज उन्हीं हाथ में कलम पकड़ कर बहुत अच्छा लग रहा है. दोनों आज अपना और पति का नाम लिख लेती हैं और बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ा भी लेती है. इस परीक्षा में शामिल होकर काफी खुशी हो रही. 55 साल बाद कलम पकड़कर परीक्षा देना दोनों को अच्छा लगा.

"घर में पोता-पोती को पढ़ते देख पढ़ने लिखने का शौक जागा. अपना हस्ताक्षर करने और हिन्दी पढ़ने-लिखने का ज्ञान हासिल हो चुका है. आज अपना और पति का नाम लिख लेती हूं और बच्चों को थोड़ा बहुत पढ़ा भी लेती हूं."- पंभी देवी, सास

तीन बहुओं ने दी परीक्षा: वहीं तिउरी गांव की सुनैना देवी, रूबी देवी, बेबी देवी और सुनीता देवी एक ही परिवार की बहू हैं. तीनों को बचपन में स्कूल जाने का मौका नहीं मिला. अब दूसरे को पढ़ता लिखता देख पढ़ाई का मन किया और उम्र के झिझक को छोड़ आज साक्षर बनी है. केंद्र के वरीय प्रेरक भोला प्रसाद ने बताया कि शिक्षा सेवक मुन्ना प्रसाद संजय और सरस्वती कुमारी के प्रयास से आसपास की महिलाओं को साक्षर किया जाता है.

क्या है मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना : इस योजना के तहत महादलित, दलित और अल्पसंख्य, अति पिछड़ा वर्ग के असाक्षर बच्चे और 15 से 45 आयु वर्ग के असाक्षर महिलाओं को अक्षर लिखने, पढ़ने का ज्ञान कराया जाता है. इसमें गणित के छोटे छोटे जोड़-घटाना या हिसाब भी सिखाया जाता है.

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