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Deceased Son's Ancestral Property: कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला- मां मृत बेटे की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा कर सकती है - बेटे की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा कर सकती है

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने संपत्ति में विवाद में एक अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने मृत बेटे की संपत्ति में मां को अधिकार दिलाया है. Deceased Son's Ancestral Property

Mother Can Claim Share In Deceased Son's Ancestral Property says Karnataka High Court
कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला- मां मृत बेटे की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा कर सकती है
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2023, 1:31 PM IST

Updated : Oct 27, 2023, 2:17 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है कि मां बेटे की संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार है. याचिकाकर्ता एक मां ने निचली अदालत के फैसले को चुनाैती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सत्र न्यायाधीश ने मृत बेटे की संपत्ति में मां के अधिकार को वंचित कर दिया था. उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एचपी संदेश की अध्यक्षता में सुनवाई हुई. जज ने कहा कि मृत बेटे की विरासती संपत्ति में मां भी प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी बनती है.

मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों के वकील ने सत्र न्यायालय के फैसले का बचाव किया. जब अपीलकर्ता सुशीलम्मा को विरासत में मिली संपत्ति में हिस्सा आवंटित किया गया, तब तक उनके बेटे की मृत्यु हो चुकी थी. इसलिए सत्र न्यायालय के आदेश को संशोधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने दलील दी कि सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा जाना चाहिए.

हालांकि, हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों की दलीलों को खारिज कर दिया. वहीं, सुशीलम्मा को याचिका में पक्षकार बना दिया और उन्हें अपने बेटे संतोष की प्रथम श्रेणी उत्तराधिकारी बताया. संतोष के परिवार में उनकी माँ, पत्नी और बेटा है. सुशीलम्मा एक हिंदू अविभाजित परिवार में प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी हैं. मूल अपीलकर्ता सुशीलम्मा, संतोष की संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार हैं. इसलिए पीठ ने माना कि सत्र न्यायालय की कार्रवाई त्रुटिपूर्ण थी.

ये भी पढ़ें- Karnataka High court NEET PG-2023: कर्नाटक हाईकोर्ट ने नीट पीजी में शून्य कट ऑफ को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार भले ही याचिकाकर्ता का पति हो वह मृत बेटे की संपत्ति की पहली उत्तराधिकारी है. ट्रायल कोर्ट ने इस पर विचार नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि मां भी संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार है. सुप्रीम कोर्ट का पहले का आदेश: हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम-2005 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक महत्वपूर्ण आदेश दिया था कि बेटियों को भी पिता की संपत्ति में समान अधिकार है.

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है कि मां बेटे की संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार है. याचिकाकर्ता एक मां ने निचली अदालत के फैसले को चुनाैती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सत्र न्यायाधीश ने मृत बेटे की संपत्ति में मां के अधिकार को वंचित कर दिया था. उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ में शामिल न्यायमूर्ति एचपी संदेश की अध्यक्षता में सुनवाई हुई. जज ने कहा कि मृत बेटे की विरासती संपत्ति में मां भी प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी बनती है.

मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों के वकील ने सत्र न्यायालय के फैसले का बचाव किया. जब अपीलकर्ता सुशीलम्मा को विरासत में मिली संपत्ति में हिस्सा आवंटित किया गया, तब तक उनके बेटे की मृत्यु हो चुकी थी. इसलिए सत्र न्यायालय के आदेश को संशोधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने दलील दी कि सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा जाना चाहिए.

हालांकि, हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों की दलीलों को खारिज कर दिया. वहीं, सुशीलम्मा को याचिका में पक्षकार बना दिया और उन्हें अपने बेटे संतोष की प्रथम श्रेणी उत्तराधिकारी बताया. संतोष के परिवार में उनकी माँ, पत्नी और बेटा है. सुशीलम्मा एक हिंदू अविभाजित परिवार में प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी हैं. मूल अपीलकर्ता सुशीलम्मा, संतोष की संपत्ति में हिस्सा पाने की हकदार हैं. इसलिए पीठ ने माना कि सत्र न्यायालय की कार्रवाई त्रुटिपूर्ण थी.

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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार भले ही याचिकाकर्ता का पति हो वह मृत बेटे की संपत्ति की पहली उत्तराधिकारी है. ट्रायल कोर्ट ने इस पर विचार नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि मां भी संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार है. सुप्रीम कोर्ट का पहले का आदेश: हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम-2005 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक महत्वपूर्ण आदेश दिया था कि बेटियों को भी पिता की संपत्ति में समान अधिकार है.

Last Updated : Oct 27, 2023, 2:17 PM IST
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