मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में आज (मंगलवार) अपनी अग्रिम जमानत अर्जी वापस ले ली है. वह इस मामले में आरोपी हैं और एजेंसी द्वारा समन किए जाने के बावजूद कभी भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए. ऋषिकेश देशमुख के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संलिप्त पर ईडी का कहना है कि गलत तरीके से कमाए गए पैसे को ऋषिकेश देशमुख ने वैध चंदे के रूप में दिखाया था और इसमें अपने पिता अनिल देशमुख की भी मदद ली थी.
गौरतलब है कि एक नवंबर को मुंबई की विशेष अदालत ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख को धनशोधन के मामले में जमानत दे दी थी. अदालत ने यह राहत सलिल के उसके समक्ष पेश होने के बाद दी. धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों को सुनने के लिए फरवरी में गठित विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालाय (ED) की ओर से अपने आरोप पत्र जमा करने के बाद सलिल देशमुख को समन जारी किया था.
सलिल देशमुख, अनिल देशमुख के बड़े बेटे हैं और इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं. सलिल ने अदालत में पेश होने के बाद अपने अधिवक्ता अनिकेत निकम के जरिये जमानत अर्जी दी जिसे स्वीकार कर लिया गया था. जमानत अर्जी में दावा किया गया कि सलिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए आरोप तथ्यहीन है. वहीं, चार अक्टूबर को बॉम्बे हाइकोर्ट (Bombay High court) ने अनिल देशमुख को जमानत दे दी थी. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर केस में अनिल देशमुख को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर ये राहत दी गयी थी इसके बाद हालांकि अनिल देशमुख जेल में नहीं रहे.
बता दें कि ईडी की ओर से दायर एक मामले में उन्हें जमानत मिली थी, लेकिन सीबीआई (CBI) की ओर से दायर केस की वजह से उन्हें जेल में रहना पड़ा. ज्ञात हो कि बीते वर्ष मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एपीआई सजिन वाजे को बार से हर माह 100 करोड़ की वसूली का आदेश दिया था. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है, ईडी भी इसकी जांच में लगी हुई है.