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mobile charging device: पैदल चलने से मोबाइल चार्ज होगा, जानिए कैसे

डॉक्टर कहते हैं कि पैदल चलिए और सभी रोगों से दूर रहिए. अब आप पैदल चलकर अपनी सेहत का ध्यान रखने के साथ (mobile charge by walking) ही मोबाइल भी चार्ज (mobile charging device) कर सकेंगे. बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जिसकी मदद से पैदल चलते हुए मोबाइल की बैटरी चार्ज होगी.

mobile charging device
पैदल चलने से मोबाइल चार्ज होगा
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Published : May 4, 2022, 10:08 PM IST

बिलासपुर(छत्तीसगढ़): मोबाइल की लो बैटरी या बैटरी चार्जिंग खत्म होने से महत्वपूर्ण कार्य या बातचीत के दौरान मोबाइल बंद हो जाता है. इससे नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस तरह की समस्या से अब लोगों को निजात मिलने वाली है. लोग अब अपनी सेहत दुरुस्त रखने के साथ ही पैदल चलकर भी मोबाइल की बैटरी चार्ज (mobile charge by walking) कर सकते हैं. यानी इस डिवाइस का उपयोग करने वाले को मोबाइल चार्ज के साथ सेहत बनाने और इम्यूनिटी गेन (mobile charging device) करने का मौका भी मिलेगा.

पैदल चलने से मोबाइल होगा चार्ज

GGCU के प्रोफेसरों ने बनाया मोबाइल चार्जिंग डिवाइस: गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर (Guru Ghasidas Central University of Bilaspur) के 4 प्रोफेसरों की टीम ने यह खास डिवाइस बनाया है. भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने इस आविष्कार की सराहना करते हुए इसे 20 सालों के लिए पेटेंट भी किया है. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. रोहित राजा का यह पांचवा पेटेंट है.

डिवाइस से कैसे होगी मोबाइल की बैटरी चार्ज: बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित राजा ने बताया ''जब कोई इस डिवाइस को जूते में लगाएगा और पैदल चलेगा तो शरीर से निकलने वाले एनर्जी (charge mobile by walking) को यह डिवाइस, बिजली में तब्दील करेगी. यह बिजली मोबाइल में एक अलग से लगाए जाने वाले डिवाइस यूएसबी के माध्यम से मोबाइल की बैटरी चार्ज करेगी. इस डिवाइस को जूते में लगाने के बाद पैदल चलना होगा.''

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डॉ.रोहित राजा ने बताया ''हमारी रिसर्च टीम ने जूते के एड़ी के पास एक छोटा सा डिवाइस लगाया. यह पैदल चलने पर यह गतिज ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में परिवर्तित करेगा. डिवाइस के साथ ऊर्जा स्टोर और ट्रांसफर भी होगी. मोबाइल पर भी एक ट्रांसमिशन लगा होगा. रिसीवर की मदद से ट्रांसमिशन मोबाइल को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा प्रदान करेगा. यह पूरी प्रक्रिया वायरलेस होगी. डिवाइस बिजली से चार्जिंग के मुकाबले कम गति से चार्ज होगा, लेकिन मोबाइल में काम पूरा करने लायक बैटरी चार्ज रहेगी.''

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4 साल की मेहनत रंग लाई: बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा ''उनकी टीम ने 4 साल की मेहनत के बाद इस डिवाइस का आविष्कार किया है. बेंगलुरु की एक कंपनी से टाईअप हुआ है. वह कंपनी अभी डिवाइस के मॉडल तैयार कर रही है. मॉडल तैयार होते ही डिवाइस बाजार में कम कीमत में उपलब्ध होगी. आज बाजार में पावर बैंक तो उपलब्ध हैं, लेकिन इस डिवाइस की खास बात यह है कि मोबाइल की बैटरी चार्जिंग के अलावा मोबाइल धारक पैदल चलकर सेहत भी बना सकेगा.''

बिलासपुर(छत्तीसगढ़): मोबाइल की लो बैटरी या बैटरी चार्जिंग खत्म होने से महत्वपूर्ण कार्य या बातचीत के दौरान मोबाइल बंद हो जाता है. इससे नुकसान भी उठाना पड़ता है. इस तरह की समस्या से अब लोगों को निजात मिलने वाली है. लोग अब अपनी सेहत दुरुस्त रखने के साथ ही पैदल चलकर भी मोबाइल की बैटरी चार्ज (mobile charge by walking) कर सकते हैं. यानी इस डिवाइस का उपयोग करने वाले को मोबाइल चार्ज के साथ सेहत बनाने और इम्यूनिटी गेन (mobile charging device) करने का मौका भी मिलेगा.

पैदल चलने से मोबाइल होगा चार्ज

GGCU के प्रोफेसरों ने बनाया मोबाइल चार्जिंग डिवाइस: गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर (Guru Ghasidas Central University of Bilaspur) के 4 प्रोफेसरों की टीम ने यह खास डिवाइस बनाया है. भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने इस आविष्कार की सराहना करते हुए इसे 20 सालों के लिए पेटेंट भी किया है. सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. रोहित राजा का यह पांचवा पेटेंट है.

डिवाइस से कैसे होगी मोबाइल की बैटरी चार्ज: बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित राजा ने बताया ''जब कोई इस डिवाइस को जूते में लगाएगा और पैदल चलेगा तो शरीर से निकलने वाले एनर्जी (charge mobile by walking) को यह डिवाइस, बिजली में तब्दील करेगी. यह बिजली मोबाइल में एक अलग से लगाए जाने वाले डिवाइस यूएसबी के माध्यम से मोबाइल की बैटरी चार्ज करेगी. इस डिवाइस को जूते में लगाने के बाद पैदल चलना होगा.''

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डॉ.रोहित राजा ने बताया ''हमारी रिसर्च टीम ने जूते के एड़ी के पास एक छोटा सा डिवाइस लगाया. यह पैदल चलने पर यह गतिज ऊर्जा को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में परिवर्तित करेगा. डिवाइस के साथ ऊर्जा स्टोर और ट्रांसफर भी होगी. मोबाइल पर भी एक ट्रांसमिशन लगा होगा. रिसीवर की मदद से ट्रांसमिशन मोबाइल को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा प्रदान करेगा. यह पूरी प्रक्रिया वायरलेस होगी. डिवाइस बिजली से चार्जिंग के मुकाबले कम गति से चार्ज होगा, लेकिन मोबाइल में काम पूरा करने लायक बैटरी चार्ज रहेगी.''

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4 साल की मेहनत रंग लाई: बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा ''उनकी टीम ने 4 साल की मेहनत के बाद इस डिवाइस का आविष्कार किया है. बेंगलुरु की एक कंपनी से टाईअप हुआ है. वह कंपनी अभी डिवाइस के मॉडल तैयार कर रही है. मॉडल तैयार होते ही डिवाइस बाजार में कम कीमत में उपलब्ध होगी. आज बाजार में पावर बैंक तो उपलब्ध हैं, लेकिन इस डिवाइस की खास बात यह है कि मोबाइल की बैटरी चार्जिंग के अलावा मोबाइल धारक पैदल चलकर सेहत भी बना सकेगा.''

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