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अच्छे आचरण वाले कैदियों को इस साल 15 अगस्त को मिलेगी रिहाई, केंद्र ने राज्यों को लिखा पत्र

आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के मौके पर जेल में बंद कैदियों की कुछ श्रेणियों में माफी देने का निर्णय लिया है. इसके लिए गृह मंत्री, गृह सचिव के द्वारा सभी मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखा गया है. पढ़िए पूरी खबर...

Home Minister Amit Shah
गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
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Published : Jun 13, 2022, 10:08 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव पर देशभर में जेल में बंद कैदियों की कुछ श्रेणियों में विशेष माफी देने का फैसला किया है. भारत आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. इस मौके पर 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा सजा काट चुके कैदियों को रिहा किया जाएगा. कैदियों को 15 अगस्त 2022, अगले साल गणतंत्र दिवस और अगले स्वतंत्रता दिवस पर तीन चरणों में रिहा किया जाएगा.

इस संबंध में गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में उनसे उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने 22 अप्रैल को सभी मुख्यमंत्री, उपराज्यपालों, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखकर इस संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है.

इसमें कहा गया है कि यह छूट उन विशेष श्रेणी के सजायाफ्ता कैदियों पर लागू होगी, जिन्होंने जेलों में अपने कार्यकाल के दौरान लगातार अच्छा आचरण बनाए रखा है। खासकर उन लोगों को जिन्हें पिछले तीन सालों में अपनी सजा के दौरान कोई दंड नहीं मिला है.

गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि 50 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाएं और ट्रांसजेंडर अपराधी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरी कर ली है इसके अलावा 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के पुरुष अपराधी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है (अर्जित सामान्य छूट की अवधि से अलग) उन्हें छूट मिल सकती है. साथ ही 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा विकलांगता वाले शारीरिक रूप से विकलांग/विकलांग अपराधी (मेडिकल बोर्ड की तरफ से सर्टिफाइड) जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, वो भी इसके हकदार होंगे.

दिशानिर्देशों में उन लोगों को भी लिस्टिड किया गया है जिन्हें इस तरह की छूट नहीं दी जा सकती है. इनमें वे लोग शामिल हैं, जो मौत की सजा काट रहे हैं या जिन्हें आजीवन में बदल दिया गया है. इसके अलावा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल दोषियों या आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1975 (टाडा), पोटा, यूएपीए के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को छूट नहीं मिलने दी जाएगी.

ये भी पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : हाइब्रिड आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों को मिली 'हरी' झंडी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव पर देशभर में जेल में बंद कैदियों की कुछ श्रेणियों में विशेष माफी देने का फैसला किया है. भारत आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. इस मौके पर 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा सजा काट चुके कैदियों को रिहा किया जाएगा. कैदियों को 15 अगस्त 2022, अगले साल गणतंत्र दिवस और अगले स्वतंत्रता दिवस पर तीन चरणों में रिहा किया जाएगा.

इस संबंध में गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में उनसे उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने 22 अप्रैल को सभी मुख्यमंत्री, उपराज्यपालों, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखकर इस संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है.

इसमें कहा गया है कि यह छूट उन विशेष श्रेणी के सजायाफ्ता कैदियों पर लागू होगी, जिन्होंने जेलों में अपने कार्यकाल के दौरान लगातार अच्छा आचरण बनाए रखा है। खासकर उन लोगों को जिन्हें पिछले तीन सालों में अपनी सजा के दौरान कोई दंड नहीं मिला है.

गृह मंत्रालय ने आगे कहा कि 50 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाएं और ट्रांसजेंडर अपराधी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरी कर ली है इसके अलावा 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के पुरुष अपराधी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है (अर्जित सामान्य छूट की अवधि से अलग) उन्हें छूट मिल सकती है. साथ ही 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा विकलांगता वाले शारीरिक रूप से विकलांग/विकलांग अपराधी (मेडिकल बोर्ड की तरफ से सर्टिफाइड) जिन्होंने अपनी कुल सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है, वो भी इसके हकदार होंगे.

दिशानिर्देशों में उन लोगों को भी लिस्टिड किया गया है जिन्हें इस तरह की छूट नहीं दी जा सकती है. इनमें वे लोग शामिल हैं, जो मौत की सजा काट रहे हैं या जिन्हें आजीवन में बदल दिया गया है. इसके अलावा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल दोषियों या आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1975 (टाडा), पोटा, यूएपीए के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को छूट नहीं मिलने दी जाएगी.

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