नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने अपनी सभी केंद्रीय एजेंसियों को पूर्वोत्तर में माओवादी आंदोलनों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है. दरअसल कुछ खुफिया रिपोर्टों में सामने आया है कि वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) इस भूमि पर ध्यान केंद्रित कर नए ठिकाने बनाने की कोशिश कर रहे हैं. गृह मंत्रालय को इस बात की और चिंता है कि पूर्वोत्तर में माओवादियों और विद्रोही संगठनों के बीच 'सामरिक समझ' बनने की पूरी संभावना है.
एलडब्ल्यूई डिवीजन से निपटने वाले एमएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को ईटीवी भारत से कहा, 'माओवादी संबंधी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए सभी केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को निर्देश देने के अलावा, हम पूर्वोत्तर राज्यों में सभी राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में हैं.' अधिकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद से जुड़े सभी मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का भी फैसला किया है. अधिकारी ने कहा, 'क्षेत्र में माओवादियों से संबंधित मामलों में कोई गिरफ्तारी या सफलता मिलती है, तो एनआईए को मामलों को संभालने के लिए कहा गया है.'
17 ठिकानों पर एनआईए ने की थी छापेमारी : रविवार को पूरे असम में 17 अलग-अलग स्थानों में व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया था. इस दौरान एनआईए ने ऊपरी असम के डिब्रीगढ़ जिले से एक फरार माओवादी सदस्य रीमा ओरंग उर्फ सरस्वती को गिरफ्तार किया था. एनआईए की टीम ने राजू ओरान और उसकी पत्नी पिंकी ओरान को भी कछार जिले से उनके कथित मॉइस्ट कनेक्शन के लिए गिरफ्तार किया.
गिरफ्तार व्यक्तियों के पास से भाकपा (माओवादी), डिजिटल उपकरण, मोबाइल सेट और अन्य सामग्री से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तारी के बाद बड़ी सफलता हासिल करने का दावा किया है. अधिकारी ने कहा, 'भाकपा-माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण कुमार भट्टाचार्जी उर्फ कंचन दा और उनके सहयोगी आकाश ओरंग उर्फ काजल की गिरफ्तारी के एक महीने से भी कम समय में गिरफ्तारी हुई है.' अधिकारी ने कहा, 'हम पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा तंत्र में माओवादी गतिविधियों से संबंधित स्थिति की समीक्षा करते रहते हैं.'
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस तथ्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की है कि माओवादी पूर्वोत्तर राज्यों में अपना ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. एनआईए अधिकारी ने कहा, 'गिरफ्तार किए गए माओवादी नेता अरुण कुमार भट्टाचार्जी से पूछताछ के बाद हमें पता चला है कि माओवादी असम और क्षेत्र के अन्य हिस्सों में चाय की पट्टी वाले इलाकों को निशाना बना रहे हैं.' अधिकारी ने कहा है कि माओवादी गरीबी और निरक्षरता का फायदा उठाकर चाय की पट्टी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को सॉफ्ट टारगेट मानते हैं. अधिकारी ने कहा, 'हम स्थानीय पुलिस और एनआईए की स्थानीय इकाइयों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.'
ऐसे समय में जब सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में देश में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार का दावा किया है, पूर्वोत्तर में जो घटनाक्रम हो रहा है वह निश्चित रूप से गृह मंत्रालय के अधिकारियों को परेशान कर सकता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे भारत में हिंसक घटनाओं में कुल 77 प्रतिशत की कमी आई है. 2010 से 2021 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मौतों में 85 प्रतिशत की कमी आई है. 2010 में मरने वालों की संख्या 1005 थी जो 2021 में 147 रह गई है. वर्तमान में वामपंथी उग्रवाद के क्षेत्रों में सीएपीएफ की 100 से अधिक बटालियन और कोबरा की अच्छी संख्या में टीमें तैनात हैं.
गृह मंत्रालय का कहना है कि 'जैसा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य देश को वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव से मुक्त बनाना है, आने वाले वर्षों में तैनाती के स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी. सरकार की मंशा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की कमी को पूरी तरह से दूर करना है. गौरतलब है कि वामपंथी उग्रवाद का भौगोलिक प्रसार भी 2010 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 96 जिलों के 464 पुलिस थानों से घटकर 2021 में 46 जिलों के 191 पुलिस थाने रह गया है.
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