हैदराबाद : मानसिक रूप से विक्षिप्त एक महिला अपने परिवार से नौ साल बाद मिली. झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली विवाहिता बबीता नौ साल पहले लापता हो गई थी. वह ट्रेन से करीमनगर पहुंची थी. इस दौरान महिला की प्रकृति एंवायरमेंटल सोसायटी के आयोजकों ने उसकी मदद की. उसे इलाज के लिए हैदराबाद के कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया गया.
रांची के थोरोपा की रहने वाली विवाहिता बबीता मानसिक रूप से विक्षिप्त है. इसी क्रम में वह अपने घर के पास रेलवे स्टेशन से ट्रेन में चढ़ गई. इसके बाद उसके परिवार के सदस्यों ने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिली. काफी तलाश के बाद बबीता का पता नहीं चल सका. बबीता आखिरकार 2012 में करीमनगर पहुंच गई.
इस महिला को प्रकृति पर्यावरण सोसायटी ने उसकी मदद की. सोसाइटी के सदस्य उन्हें 2014 में हैदराबाद के कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट में ले गए. वहीं, 2014 से 2019 तक एर्रागड्डा मानसिक अस्पताल में एक मनोरोग क्लिनिक में उनका इलाज किया गया. इस दौरान आश्रम के प्रशासकों और डॉक्टरों ने विस्तृत जानकारी ली.
महिला ने बताया कि वह रांची के थोरोपा की रहने वाली है. महिला तस्करी रोधी इकाई के सहयोग से बबीता ने अपने परिवार के सदस्यों की पहचान की और जानकारी दी कि वह जीवित है.
नौ साल पहले लापता हुई बबीता अभी जिंदा है, इस खबर से उसके परिवार वालों में खुशी फैल गई.
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आश्रम प्रशासकों को सूचना की पूर्ण सीमा की पुष्टि करने में कुछ समय लगा. इस बीच, कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से कोई भी परिवहन सुविधा या उसके परिवार के सदस्य हैदराबाद नहीं पहुंच सके.
अब बबीता की बेटी, भाई, बहन आखिरकार हैदराबाद पहुंच गई और तमाम सबूतों की जांच के बाद पुलिस की मौजूदगी में उसे उसके परिजनों को सौंप दिया गया.
नौ साल पहले बबीता के लापता हुए परिवार के लोग भावुक हो गए थे। बबीता गले लगी और फूट-फूट कर रोने लगी.
इस मौके पर बबीता की बहन ने कहा, 'मैं सालों बाद अपनी बहन से मिलकर बहुत खुश हूं. बबीता का असली नाम कुलमनी बेंगरा है.