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राहुल गांधी की तरह अफजाल अंसारी की भी जाएगी लोकसभा सदस्यता, छह साल तक नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

गाजीपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के मामले में अफजाल अंसारी को 4 साल और उनके भाई मुख्तार अंसारी को इस मामले में 10 साल की सजा हुई है. सजा होने के बाद अफजाल अंसारी की सदस्यता जाएगी. वह अब 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

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Published : Apr 29, 2023, 5:35 PM IST

लखनऊ: गैंगस्टर एक्ट के तहत हुई 4 साल की सजा के बाद गाजीपुर से सांसद रहे अफजाल अंसारी की सदस्यता भी जाएगी. इसके साथ ही वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस संबंध में आदेश जारी करेंगे.

बता दें कि साल 2013 में देश की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जिन नेताओं को 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाएगी, उसकी सदस्यता तत्काल रद हो जाएगी. अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनका सदस्यता वापस भी हो जाएगी. कैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और न ही वे चुनाव लड़ सकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को खत्म कर दिया था. इसके तहत सजा के बाद अपील लंबित होने तक पद पर बने रहने का प्रावधान था. हालांकि कोर्ट ने ये राहत जरूर दी है कि ये फैसला पहले ही दोषी ठहराए जा चुके उन जन प्रतिनिधियों पर लागू नहीं होगा जो फैसले के खिलाफ अपील दायर कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिली थॉमस और एक एनजीओ की अर्जी पर सुनाई थी.

अफजाल अंसारी को कृष्णानंद राय की हत्या के बाद लगे गैंगस्टर एक्ट के मामले में गाजीपुर कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई है. जबकि उनके भाई मुख्तार अंसारी को इस मामले में 10 साल की सजा हुई है. इस बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह अटल ने बताया कि हाल ही में जो व्यवस्था राहुल गांधी पर लागू हुई थी, वही अफजाल अंसारी पर भी लागू होगी. उनकी न केवल सदस्यता जा रही है, बल्कि 6 साल के लिए हुए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित होंगे. जब तक किसी अन्य उच्च अदालत से उनके पक्ष में फैसला न आ जाए और सजा निरस्त न कर दी जाए.

ये भी पढ़ेंः बाहुबली पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 10 साल और सांसद अफजाल अंसारी को चार साल की कैद

लखनऊ: गैंगस्टर एक्ट के तहत हुई 4 साल की सजा के बाद गाजीपुर से सांसद रहे अफजाल अंसारी की सदस्यता भी जाएगी. इसके साथ ही वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस संबंध में आदेश जारी करेंगे.

बता दें कि साल 2013 में देश की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जिन नेताओं को 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाएगी, उसकी सदस्यता तत्काल रद हो जाएगी. अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनका सदस्यता वापस भी हो जाएगी. कैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और न ही वे चुनाव लड़ सकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को खत्म कर दिया था. इसके तहत सजा के बाद अपील लंबित होने तक पद पर बने रहने का प्रावधान था. हालांकि कोर्ट ने ये राहत जरूर दी है कि ये फैसला पहले ही दोषी ठहराए जा चुके उन जन प्रतिनिधियों पर लागू नहीं होगा जो फैसले के खिलाफ अपील दायर कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिली थॉमस और एक एनजीओ की अर्जी पर सुनाई थी.

अफजाल अंसारी को कृष्णानंद राय की हत्या के बाद लगे गैंगस्टर एक्ट के मामले में गाजीपुर कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई है. जबकि उनके भाई मुख्तार अंसारी को इस मामले में 10 साल की सजा हुई है. इस बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह अटल ने बताया कि हाल ही में जो व्यवस्था राहुल गांधी पर लागू हुई थी, वही अफजाल अंसारी पर भी लागू होगी. उनकी न केवल सदस्यता जा रही है, बल्कि 6 साल के लिए हुए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित होंगे. जब तक किसी अन्य उच्च अदालत से उनके पक्ष में फैसला न आ जाए और सजा निरस्त न कर दी जाए.

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