पालमपुर: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शुक्रवार, 5 मई को हुई आतंकी मुठभेड़ में सेना के 5 जवान शहीद हो गए. उन्हीं में से एक हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का सपूत भी मां भारती के लिए शहीद हो गया. उपमंडल पालमपुर के सुरी मरूंह गांव के शहीद अरविंद कुमार की पार्थिव देह आज उनके पैतृक गांव पहुंची. आर्मी दल के विशेष दस्ते के साथ शहीद अरविंद की पार्थिव देह उनके गांव सुरी मंरूह में लाया गया. इससे पहले, शनिवार शाम को शहीद अरविंद कुमार की पार्थिव देह पालमपुर के होलटा मिलिट्री स्टेशन लाया गया. विशेष सुरक्षा दस्ते की अगुवाई में शहीद की पार्थिव देह को उनके गृहनगर लाया गया.
शहीद की पार्थिव देह पहुंचते ही हर आंख हुई नम: जवान बेटे की पार्थिव देह के गांव में पहुंचते ही हर आंख नम हो गई. जहां परिवार और गांव के लोगों को अरविंद की शहादत पर गर्व है. वहीं, बेटे को खोने का दुख भी हर आंख से आंसू बनकर बहता रहा. यहां पर बारिश के बीच सैकड़ों की संख्या में लोग उनके घर पहुंचे. ऐसा लगा मानो शहीद की याद में आसमां भी रो रहा था. जैसे ही उनका शव घर पहुंचा तो चीख पुकार मच गई. शहीद की पत्नी ने लाल जोड़े में उन्हें अंतिम विदाई दी और अंतिम दर्शन किए.
राजकीय सम्मान के साथ शहीद की अंतिम विदाई: शहीद अरविंद की पार्थिव देह को घर से अंतिम विदाई देते हुए सभी की हिम्मत टूटने लगी. सेना के इस वीर सपूत को खोने के बाद पूरे कांगड़ा में शोक की लहर है. पूरे राजकीय और सैनिक सम्मान के साथ शहीद अरविंद को अंतिम विदाई दी गई. दुखों का पहाड़ टूटने के बाद भी शहीद अरविंद की अर्थी को उनकी पत्नी और मां ने कंधा दिया. आज शहीद अरविंद पंचतत्व में विलीन हो गए.
अरविंद के पिता बेटे की शहादत से अंजान: शहीद अरविंद के पिता उज्ज्वल सिंह लोक निर्माण विभाग से करीब आठ साल पहले रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के 2 साल बाद वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और उनकी याददाश्त चली गई. अरविंद ने अपने पिता के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी और सेना के कई अस्पतालों में उनका इलाज करवाया. ऐसे में वह अपने बेटे की शहादत से अंजान हैं. वह भीड़ को देखकर बस टकटकी लगाए हुए थे.
मंत्री, विधायक, डीसी और एसपी पहुंचे: शहीद अरविंद को श्रद्धांजलि देने के लिए हिमाचल सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार, CPS आशीष बुटेल, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, डीसी डॉ. निपुण जिंदल, सुलह विधायक विपिन परमार सहित बड़ी संख्या में लोग शहीद के घर पहुंचे और अंतिम संस्कार में भी शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. यहां पर खराब मौसम के बावजूद भी लोग अरविंद की अंतिम यात्रा में पहुंचे और जोश और जज्बे के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
2 मासूमों को अपने पीछे छोड़ गए अरविंद: साल 2010 में अरविंद पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए और जल्द ही स्पेशल फोर्स में अपनी जगह बना ली. 33 वर्ष के अरविंद की शादी 2017 में हुई थी. उनकी दो बेटियां हैं. एक दो साल की बेटी और एक की उम्र चार साल है. इन मासूमों इल्म भी नहीं है कि अब उनके पापा फिर कभी नहीं आएंगे. इस छोटी सी उम्र में ही पिता का साया उनके सिर से उठ गया है. शहीद अरविंद के पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं. इसके साथ उनके बड़े भाई का परिवार और एक छोटी बहन है. अरविंद एक भरे पूरे परिवार को अब रोता बिलखता अपने पीछे छोड़ गए हैं.
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