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घर-घर जाकर टीकाकरण से बचाई जा सकती थी अनेक लोगों की जान : बंबई उच्च न्यायालय

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने केंद्र से कहा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता.

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Published : May 12, 2021, 8:22 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू किया होता तो जाने-माने व्यक्तियों सहित अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने केंद्र से कहा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता.

पीठ वकील ध्रुति कपाड़िया और वकील कुणाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

याचिका में आग्रह किया गया है कि 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट जनों और बिस्तर या व्हीलचेयर तक सीमित लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.

अदालत ने गत 22 अप्रैल के अपने आदेश को दोहराया जिसमें केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण न करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे.

इसने कहा, 'तीन सप्ताह हो गए हैं और सरकार (केंद्र) को अभी अपने निर्णय के बारे में सूचित करना है.' अदालत ने केंद्र सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 19 मई तक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया.

अदालत ने इस बात का उल्लेख किया कि कई देश पहले ही घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि यदि घर-घर जाकर टीकाकरण किया गया होता तो जाने-माने लोगों सहित अनेक वरिष्ठ नागरिकों की जान बचाई जा सकती थी.

अदालत ने कहा कि उसने टीकाकरण केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लगे बुजुर्ग नागरिकों और व्हीलचेयर पर बैठे लोगों की तस्वीरें देखी हैं जो बहुत ही दुखद है.

इसने उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आयुक्त इकबाल चहल के साथ बैठक की थी जिसमें बताया गया कि नगर निकाय अगले सप्ताह से वार्डवार टीकाकरण शिविर लगाने जा रहा है.

पढ़ें - आम लोगों के मुकाबले एचआईवी पीड़ित को कोरोना से ज्यादा खतरा : रिपोर्ट

न्यायमूर्ति दत्ता ने सुझाव दिया कि यदि इस तरह के शिविर शुरू किए जा रहे हैं तो ऐसे लोगों की पहचान की जा सकती है जो अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते और कर्मचारी उनके घर जाकर उन्हें टीका लगा सकते हैं.

पीठ ने बीएमसी को निर्देश दिया कि वह शपथपत्र दायर कर इसका ब्योरा दे.

अदालत ने टीकों की कमी का भी उल्लेख किया.

इस पर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि अगले कुछ दिन में ‘कोविशील्ड’ टीका उपलब्ध होगा.

अदालत ने बीएमसी से यह भी जानना चाहा कि बेघर लोगों, भिखारियों और सड़कों पर रह रहे लोगों के टीकाकरण के लिए उसकी क्या योजना है

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू किया होता तो जाने-माने व्यक्तियों सहित अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने केंद्र से कहा कि जब टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का सवाल है तो घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्यक्रम क्यों शुरू नहीं किया जाता.

पीठ वकील ध्रुति कपाड़िया और वकील कुणाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

याचिका में आग्रह किया गया है कि 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट जनों और बिस्तर या व्हीलचेयर तक सीमित लोगों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.

अदालत ने गत 22 अप्रैल के अपने आदेश को दोहराया जिसमें केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण न करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे.

इसने कहा, 'तीन सप्ताह हो गए हैं और सरकार (केंद्र) को अभी अपने निर्णय के बारे में सूचित करना है.' अदालत ने केंद्र सरकार को सुनवाई की अगली तारीख 19 मई तक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया.

अदालत ने इस बात का उल्लेख किया कि कई देश पहले ही घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि यदि घर-घर जाकर टीकाकरण किया गया होता तो जाने-माने लोगों सहित अनेक वरिष्ठ नागरिकों की जान बचाई जा सकती थी.

अदालत ने कहा कि उसने टीकाकरण केंद्रों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लगे बुजुर्ग नागरिकों और व्हीलचेयर पर बैठे लोगों की तस्वीरें देखी हैं जो बहुत ही दुखद है.

इसने उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आयुक्त इकबाल चहल के साथ बैठक की थी जिसमें बताया गया कि नगर निकाय अगले सप्ताह से वार्डवार टीकाकरण शिविर लगाने जा रहा है.

पढ़ें - आम लोगों के मुकाबले एचआईवी पीड़ित को कोरोना से ज्यादा खतरा : रिपोर्ट

न्यायमूर्ति दत्ता ने सुझाव दिया कि यदि इस तरह के शिविर शुरू किए जा रहे हैं तो ऐसे लोगों की पहचान की जा सकती है जो अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते और कर्मचारी उनके घर जाकर उन्हें टीका लगा सकते हैं.

पीठ ने बीएमसी को निर्देश दिया कि वह शपथपत्र दायर कर इसका ब्योरा दे.

अदालत ने टीकों की कमी का भी उल्लेख किया.

इस पर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि अगले कुछ दिन में ‘कोविशील्ड’ टीका उपलब्ध होगा.

अदालत ने बीएमसी से यह भी जानना चाहा कि बेघर लोगों, भिखारियों और सड़कों पर रह रहे लोगों के टीकाकरण के लिए उसकी क्या योजना है

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