श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजनीतिक दलों को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सुगम प्रचार अभियान का आश्वासन दिया और कहा है कि चुनाव से केंद्रशासित क्षेत्र में पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती मिलेगी. उम्मीदवारों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर रखने और प्रचार की अनुमति नहीं देने का मुद्दा उठाने वाले माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी के एक पत्र का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि उन्होंने चिंताओं का संज्ञान लिया है और आवश्यक निर्देश दिए हैं.
दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले के पूर्व विधायक तारिगामी ने उपराज्यपाल को सूचित किया था कि नामांकन दाखिल करने के बाद जान का खतरा होने के मद्देनजर उम्मीदवारों को प्रचार की अनुमति नहीं दी जा रही है और एक जगह उन्हें इकट्ठा रखा गया है. पत्र में कहा गया कि उम्मीदवारों को उनकी इच्छा के विपरीत आवाजाही और प्रचार से रोककर रखा गया है. कुछ मामलों में तो उन्हें पार्टी की बैठकों में भी जाने की इजाजत नहीं दी गई.
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तारिगामी ने कहा कि ऐसे भी मामले हुए कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को एक ही वाहन से भेज दिया गया और साथ में प्रचार करने को कहा गया. उन्होंने कहा कि कई उम्मीदवारों को पिछले सप्ताह नामांकन दाखिल करने के बाद श्रीनगर में होटलों में भेज दिया गया. मतदाता ही नहीं बल्कि उम्मीदवारों के परिवारों को भी इसे लेकर चिंताएं हैं. पूर्व विधायक ने कहा कि इस तरह के इंतजामों से चिंता हो रही है और क्षेत्र में भी इसको लेकर असंतोष है.
तारिगामी ने कहा कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा, इसका फैसला मतदाताओं पर छोड़ देना चाहिए. अंत में लोकतंत्र की जीत होगी. इसके लिए चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना होगा. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की आवाजाही या प्रचार करने के संबंध में गैर-जरूरी पाबंदी नहीं लगाना चाहिए.
इसके जवाब में उपराज्यपाल ने कहा कि मैं आश्वस्त हूं कि पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में आगामी चुनाव की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. तारिगामी ने उपराज्यपाल का पत्र जारी किया. माकपा नवगठित गुपकार (पीएजीडी) का हिस्सा है. इस गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और चार अन्य स्थानीय दल भी हैं. जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के वास्ते लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से मुकाबला करने को लेकर पीएजीडी का गठन किया गया.
जम्मू कश्मीर में आठ चरणों में जिला विकास परिषदों का चुनाव 28 नवंबर से आरंभ होगा. पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांटे जाने के बाद से यह पहला चुनाव होगा.