नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद और वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के सदस्य, मनीष तिवारी ने समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा को हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की तुरंत जांच' करने का सुझाव दिया है. सिन्हा को 24 मार्च को लिखे एक पत्र में, यह सुझाव दिया गया है कि समिति सेबी और आरबीआई, एलआईसी, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और अन्य नियामक निकायों के अधिकारियों की जांच होनी चाहिए. ताकि यह पता लगाया जा सके की क्या अडाणी मुद्दे पर उनकी ओर से कोई चूक हो गई थी.
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इस पत्र में कांग्रेस के दो और सांसदों और समिति के सदस्य गौरव गोगोई और प्रमोद तिवारी के भी हस्ताक्षर हैं. पत्र में कहा गया है कि हमें आश्चर्य है कि संसद की वित्त समिति कैलिफोर्निया के एसवीवी बैंक के मामले में सुनवाई के लिए तैयार है. जबकि इस मामले में हमारे देश की नियामक संस्थाओं का अधिकार बहुत कम है या एकदम प्रभावहीन है. वहीं, 'हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बाद भारतीय निवेशकों को काफी नुकसान हुआ. उनके भरोसे को झटका लगा.
लेकिन समिति इस बारे में कुछ करने के लिए तैयार नहीं है. सांसदों ने अपने पत्र में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 105(1) में के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विशेषाधिकार का प्रयोग करने के लिए हमें साक्ष्य प्रस्तुत करना जरूरी नहीं है. पत्र में कहा गया है कि यह विशेषाधिकार व्यापक और असीमित है. जो संसदीय समिति के बैठकों पर भी लागू होता है. पत्र में कहा गया है कि अडाणी समूह के संबंध में आरोप सार्वजनिक डोमेन में हैं. बाहर बहसें हो रही हैं. इन परिस्थितियों में, हम आपसे आरबीआई, एसबीआई, एलआईसी और अन्य संबंधित हितधारकों के प्रतिनिधियों को अडाणी मामले की विस्तार से जांच करने के लिए बुलाने का आग्रह करना चाहते हैं.
(एनआईए)