ETV Bharat / bharat

मनीष गुप्ता हत्याकांड : आला अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध, परिवार को कैसे मिलेगा इंसाफ - Kanpur News

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत मामले ने शासन और प्रशासन को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. इस मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है. पढ़िए विशेष रिपोर्ट...

author img

By

Published : Oct 1, 2021, 1:03 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से मौत मामले में कई सवाल उठ रहे हैं. वारदात के चौथे दिन भी ऐसे कई सवाल हैं, जो गोरखपुर में कानून व्यवस्था को कठघरे में लाते हैं और आला अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध बताते हैं. मनीष गुप्ता की मौत के बाद उनकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता को तो सीएम योगी ने नौकरी तो दे दी, लेकिन चार वर्षीय बेटे को यह कौन बताए कि उसके पिता के साथ क्या हुआ?

हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए सीएम के आदेश का इंतजार क्यों?
मनीष गुप्ता की मौत के बाद छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर पत्नी मीनाक्षी गुप्ता मंगलवार देर रात तक अड़ी रहीं. पोस्टमार्टम के ​बाद परिवार के लोगों ने लाश लेने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. इस दौरान मृतक की पत्नी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गई. इसकी जानकारी जब सीएम योगी को हुई तो उन्होंने मीनाक्षी गुप्ता से बात की और मदद का आश्वासन दिया.

इसके बाद मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. मृतक के परिजनों ने इतना हंगामा और बवाल किया, फिर भी गोरखपुर की पुलिस का दिल नहीं पसीजा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सीएम योगी के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया?

SSP ने मामले को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया?
घटना के बाद SSP विपिन टांडा ने कहा था कि पुलिस की तलाशी के दौरान हड़बड़ाहट में मनीष गुप्ता गिर गया, जिससे चोट लगी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. ये लोग गोरखपुर क्यों आए थे, इसकी जांच की जाएगी. इससे स्पष्ट है कि एसएसपी कहीं न कहीं मनीष की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि एसएसपी ने यह नहीं कहा कि युवक के मौत की जांच कराई जाएगी.

एसएसपी ने होटल में ठहरे मनीष के दोस्तों की भूमिका जांच कराने की बात कहते हुए नजर आए थे. अब सवाल उठता है कि इस तरह के बयान देने पर भी अब तक एसएसपी विपिन टांडा पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब विभाग अपने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने में जुटा है तो फिर निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है.

आरोपी पुलिसकर्मियों को क्यों बचाना चाहते हैं आलाधिकारी?
मनीष गुप्ता के शव लेकर परिजन कानपुर पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर अंतिम संस्कार नहीं किए. इसी दौरान बंद कमरे में गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद और एसएसपी विपिन टांडा मामले का सेटलमेंट करने के लिए पीड़ित परिवार वालों पर दबाव बना रहे थे, जिसका वीडियो वायरल हो गया.

वायरल हो रहे वीडियो में साफ तौर पर सुना जा सकता है कि अधिकारी मृतक व्यापारी मनीष गुप्ता के परिवार को समझा रहे हैं कि FIR नहीं दर्ज कराइये. कोर्ट-कचहरी न करिये. वायरल हो रहा यह वीडियो कलेक्टर विजय किरण आनंद और कप्तान विपिन टांडा का बताया जा रहा है. ऐसे में मनीष की मौत के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को आलाधिकारी क्यों बचाना चाहते थे? ये अभी राज ही है.

दागी पुलिसकर्मी कैसे बन गया SHO?
व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में आरोपी गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह (जेएन सिंह) के कारनामों की लंबी लिस्ट है. जेएन सिंह के खिलाफ पहले भी पुलिस हिरासत में पिटाई से मौत के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन मुकदमा पहली बार दर्ज हुआ है.

बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान जेएन सिंह पर 7 नवंबर 2020 को भी शुभम की मौत का आरोप लगा था. वहीं, बीते 13 अगस्त को भी रामगढ़ताल पुलिस कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. इस मामले में भी जेएन सिंह आरोपों के घेरे में आए थे, लेकिन हुआ कुछ नहीं. इसमें पुलिस के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था.

इसके अलावा भी कई और भी आरोप जेएन सिंह पर लगते रहे हैं. इसके बावजूद जेएन सिंह को रामगढ़ताल थाना का प्रभारी कैसे बना दिया गया? जबकि योगी सरकार का दावा है कि प्रदेश में गुड गर्वनेंस के तहत काम हो रहे हैं.

सबूत मिटाने की कोशिश किसने की और क्यों की?
वारदात जिस कृष्णा होटल में हुई, वह पॉश इलाके में होने के साथ ही रामगढ़ताल से करीब 300 मीटर ही दूरी पर है. मनीष गुप्ता की पत्नी का आरोप है कि होटल के जिस कमरे में घटना हुई वहां से क्राइम सीन को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है. कमरे में से खून के धब्बे वगैरह मिटाए जा चुके हैं. अब सवाल है कि जब जांच अभी जारी है तो यह हरकत क्यों की गई और किसने की.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता के सिर-चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान, क्या पुलिस ने ले ली जान !

इन सब सवालों के इतर मनीष की पत्नी मीनाक्षी आज भी चीख-चीख कर अपने पति के लिए इंसाफ मांग रही हैं. मुआवजे का मरहम चार साल के बेटे के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है लेकिन जब तक आरोपियों को सजा नहीं मिलेगी, मनीष की आत्मा को भी सुकून नहीं मिलेगा. इंसाफ होता दिखना भी चाहिए और मिलना भी चाहिए.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से मौत मामले में कई सवाल उठ रहे हैं. वारदात के चौथे दिन भी ऐसे कई सवाल हैं, जो गोरखपुर में कानून व्यवस्था को कठघरे में लाते हैं और आला अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध बताते हैं. मनीष गुप्ता की मौत के बाद उनकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता को तो सीएम योगी ने नौकरी तो दे दी, लेकिन चार वर्षीय बेटे को यह कौन बताए कि उसके पिता के साथ क्या हुआ?

हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए सीएम के आदेश का इंतजार क्यों?
मनीष गुप्ता की मौत के बाद छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर पत्नी मीनाक्षी गुप्ता मंगलवार देर रात तक अड़ी रहीं. पोस्टमार्टम के ​बाद परिवार के लोगों ने लाश लेने और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. इस दौरान मृतक की पत्नी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गई. इसकी जानकारी जब सीएम योगी को हुई तो उन्होंने मीनाक्षी गुप्ता से बात की और मदद का आश्वासन दिया.

इसके बाद मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. मृतक के परिजनों ने इतना हंगामा और बवाल किया, फिर भी गोरखपुर की पुलिस का दिल नहीं पसीजा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सीएम योगी के हस्तक्षेप के बाद ही पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया?

SSP ने मामले को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया?
घटना के बाद SSP विपिन टांडा ने कहा था कि पुलिस की तलाशी के दौरान हड़बड़ाहट में मनीष गुप्ता गिर गया, जिससे चोट लगी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. ये लोग गोरखपुर क्यों आए थे, इसकी जांच की जाएगी. इससे स्पष्ट है कि एसएसपी कहीं न कहीं मनीष की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि एसएसपी ने यह नहीं कहा कि युवक के मौत की जांच कराई जाएगी.

एसएसपी ने होटल में ठहरे मनीष के दोस्तों की भूमिका जांच कराने की बात कहते हुए नजर आए थे. अब सवाल उठता है कि इस तरह के बयान देने पर भी अब तक एसएसपी विपिन टांडा पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब विभाग अपने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने में जुटा है तो फिर निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है.

आरोपी पुलिसकर्मियों को क्यों बचाना चाहते हैं आलाधिकारी?
मनीष गुप्ता के शव लेकर परिजन कानपुर पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर अंतिम संस्कार नहीं किए. इसी दौरान बंद कमरे में गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरण आनंद और एसएसपी विपिन टांडा मामले का सेटलमेंट करने के लिए पीड़ित परिवार वालों पर दबाव बना रहे थे, जिसका वीडियो वायरल हो गया.

वायरल हो रहे वीडियो में साफ तौर पर सुना जा सकता है कि अधिकारी मृतक व्यापारी मनीष गुप्ता के परिवार को समझा रहे हैं कि FIR नहीं दर्ज कराइये. कोर्ट-कचहरी न करिये. वायरल हो रहा यह वीडियो कलेक्टर विजय किरण आनंद और कप्तान विपिन टांडा का बताया जा रहा है. ऐसे में मनीष की मौत के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों को आलाधिकारी क्यों बचाना चाहते थे? ये अभी राज ही है.

दागी पुलिसकर्मी कैसे बन गया SHO?
व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में आरोपी गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना प्रभारी जगत नारायण सिंह (जेएन सिंह) के कारनामों की लंबी लिस्ट है. जेएन सिंह के खिलाफ पहले भी पुलिस हिरासत में पिटाई से मौत के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन मुकदमा पहली बार दर्ज हुआ है.

बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान जेएन सिंह पर 7 नवंबर 2020 को भी शुभम की मौत का आरोप लगा था. वहीं, बीते 13 अगस्त को भी रामगढ़ताल पुलिस कस्टडी में 20 वर्षीय गौतम सिंह की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. इस मामले में भी जेएन सिंह आरोपों के घेरे में आए थे, लेकिन हुआ कुछ नहीं. इसमें पुलिस के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था.

इसके अलावा भी कई और भी आरोप जेएन सिंह पर लगते रहे हैं. इसके बावजूद जेएन सिंह को रामगढ़ताल थाना का प्रभारी कैसे बना दिया गया? जबकि योगी सरकार का दावा है कि प्रदेश में गुड गर्वनेंस के तहत काम हो रहे हैं.

सबूत मिटाने की कोशिश किसने की और क्यों की?
वारदात जिस कृष्णा होटल में हुई, वह पॉश इलाके में होने के साथ ही रामगढ़ताल से करीब 300 मीटर ही दूरी पर है. मनीष गुप्ता की पत्नी का आरोप है कि होटल के जिस कमरे में घटना हुई वहां से क्राइम सीन को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है. कमरे में से खून के धब्बे वगैरह मिटाए जा चुके हैं. अब सवाल है कि जब जांच अभी जारी है तो यह हरकत क्यों की गई और किसने की.

इसे भी पढ़ें- मनीष गुप्ता के सिर-चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान, क्या पुलिस ने ले ली जान !

इन सब सवालों के इतर मनीष की पत्नी मीनाक्षी आज भी चीख-चीख कर अपने पति के लिए इंसाफ मांग रही हैं. मुआवजे का मरहम चार साल के बेटे के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है लेकिन जब तक आरोपियों को सजा नहीं मिलेगी, मनीष की आत्मा को भी सुकून नहीं मिलेगा. इंसाफ होता दिखना भी चाहिए और मिलना भी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.