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देश में मैंगलोर का पिलिकुला चिड़ियाघर प्रजनन के मामले में टॉप पर

देश के 17 सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक, मैंगलोर के पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क को पशु प्रजनन के लिए देश में नंबर 1 के रूप में सम्मानित किया गया है. पिलिकुला चिड़ियाघर दुर्लभ बाघ, जंगली कुत्ते, किंग कोबरा, रिया पक्षी के प्रजनन के लिए प्रसिद्ध है.

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Published : Jun 24, 2023, 10:47 PM IST

मैंगलोर: पिलिकुला चिड़ियाघर का क्षेत्रफल 150 एकड़ है. हमारे देश में 164 मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर हैं जिनमें से 17 सबसे बड़े चिड़ियाघर हैं. मैंगलोर में पिलिकुला उनमें से एक है. पिलिकुला चिड़ियाघर में अब तक 475 जानवरों और पक्षियों का प्रजनन कराया जा चुका है. अब तक 15 से अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल यहां 12 बाघ हैं और बाकी को चेन्नई, रिलायंस, बन्नेरघट्टा समेत अन्य चिड़ियाघरों में भेज दिया गया है. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम चिड़ियाघर से लाए गए जंगली कुत्ते की लुप्तप्राय प्रजाति 'डोल' की भी पिलिकुला के चिड़ियाघर में प्रजनन सफल रही. यहां जंगली कुत्तों के प्रजनन के कारण संख्या 30 से अधिक हो गई है.

किंग कोबरा का प्रजनन: देश में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से किंग कोबरा का प्रजनन वर्षों पहले पिलीकुला में किया गया था. यहां 180 किंग कोबरा शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल पिलिकुला में कुल 15 किंग कोबरा हैं. 175 से अधिक ब्रीडिंग को जंगल में छोड़ा गया है. 50 से अधिक को अन्य चिड़ियाघरों में भेजा गया है.

प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण: दुर्लभ प्रजातियों के प्रजनन के लिए अनुकूल जलवायु मुख्य कारण है. पिलिकुला लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण और प्रजनन के लिए जाना जाता है और इस चिड़ियाघर की खास बात यह है कि यहां दूसरे चिड़ियाघरों से लाए गए पशु-पक्षी प्रजनन के माध्यम से अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं. साँपों की प्रजातियों का सबसे बड़ा संग्रह पिलिकुला में है.

इस चिड़ियाघर में बाघ, शेर, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा, सियार, दरियाई घोड़े, मगरमच्छ, कछुए, पक्षी, हिरण, काला हिरण, नेवला, जंगली बिल्लियाँ, भूरे भेड़िये, गिलहरी सहित लगभग 1,440 जानवर और पक्षी देखने को मिलते हैं.

इस बारे में बात करते हुए पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क के निदेशक जयप्रकाश भंडारी ने कहा कि पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क में पशु-पक्षियों की 120 प्रजातियां हैं, जिनमें से 40 पशु-पक्षी लुप्तप्राय प्रजाति के हैं. हमारे चिड़ियाघर में बाघ, तेंदुआ, किंग कोबरा का प्रजनन अन्य चिड़ियाघरों की तुलना में बड़ी संख्या में हो रहा है. उसमें भी किंग कोबरा की ब्रीडिंग उन्हीं से हो रही है. किंग कोबरा वैज्ञानिक तरीके से प्रजनन कर रहा है और उसके पहले से ही 180 शावक हैं. अतिरिक्त किंग कोबरा को जंगल में छोड़ दिया जाता है.

जयप्रकाश ने कहा कि यहां हमने वन वातावरण तैयार किया हुआ है. आवश्यकतानुसार संतुलित आहार, चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराया जाता है. बच्चों के पालन-पोषण के लिए बहुत सारी सावधानियाँ बरती जाती हैं. उदाहरण के लिए, यदि बाघ का बच्चा पैदा होता है, तो उसकी देखभाल करने वालों को उसे साफ रखने के लिए उसके मांद में जाना पड़ता है. एक महीने में एक टीका दिया जाता है और दूसरे महीने में एक बूस्टर खुराक दी जाती है. ऐसा करने के परिणामस्वरूप, देश में सबसे अधिक प्रजनन दर पिलिकुला चिड़ियाघर में हो रही है.

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मैंगलोर: पिलिकुला चिड़ियाघर का क्षेत्रफल 150 एकड़ है. हमारे देश में 164 मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर हैं जिनमें से 17 सबसे बड़े चिड़ियाघर हैं. मैंगलोर में पिलिकुला उनमें से एक है. पिलिकुला चिड़ियाघर में अब तक 475 जानवरों और पक्षियों का प्रजनन कराया जा चुका है. अब तक 15 से अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल यहां 12 बाघ हैं और बाकी को चेन्नई, रिलायंस, बन्नेरघट्टा समेत अन्य चिड़ियाघरों में भेज दिया गया है. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम चिड़ियाघर से लाए गए जंगली कुत्ते की लुप्तप्राय प्रजाति 'डोल' की भी पिलिकुला के चिड़ियाघर में प्रजनन सफल रही. यहां जंगली कुत्तों के प्रजनन के कारण संख्या 30 से अधिक हो गई है.

किंग कोबरा का प्रजनन: देश में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से किंग कोबरा का प्रजनन वर्षों पहले पिलीकुला में किया गया था. यहां 180 किंग कोबरा शावकों का जन्म हो चुका है. फिलहाल पिलिकुला में कुल 15 किंग कोबरा हैं. 175 से अधिक ब्रीडिंग को जंगल में छोड़ा गया है. 50 से अधिक को अन्य चिड़ियाघरों में भेजा गया है.

प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण: दुर्लभ प्रजातियों के प्रजनन के लिए अनुकूल जलवायु मुख्य कारण है. पिलिकुला लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण और प्रजनन के लिए जाना जाता है और इस चिड़ियाघर की खास बात यह है कि यहां दूसरे चिड़ियाघरों से लाए गए पशु-पक्षी प्रजनन के माध्यम से अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं. साँपों की प्रजातियों का सबसे बड़ा संग्रह पिलिकुला में है.

इस चिड़ियाघर में बाघ, शेर, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा, सियार, दरियाई घोड़े, मगरमच्छ, कछुए, पक्षी, हिरण, काला हिरण, नेवला, जंगली बिल्लियाँ, भूरे भेड़िये, गिलहरी सहित लगभग 1,440 जानवर और पक्षी देखने को मिलते हैं.

इस बारे में बात करते हुए पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क के निदेशक जयप्रकाश भंडारी ने कहा कि पिलिकुला बायोलॉजिकल पार्क में पशु-पक्षियों की 120 प्रजातियां हैं, जिनमें से 40 पशु-पक्षी लुप्तप्राय प्रजाति के हैं. हमारे चिड़ियाघर में बाघ, तेंदुआ, किंग कोबरा का प्रजनन अन्य चिड़ियाघरों की तुलना में बड़ी संख्या में हो रहा है. उसमें भी किंग कोबरा की ब्रीडिंग उन्हीं से हो रही है. किंग कोबरा वैज्ञानिक तरीके से प्रजनन कर रहा है और उसके पहले से ही 180 शावक हैं. अतिरिक्त किंग कोबरा को जंगल में छोड़ दिया जाता है.

जयप्रकाश ने कहा कि यहां हमने वन वातावरण तैयार किया हुआ है. आवश्यकतानुसार संतुलित आहार, चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराया जाता है. बच्चों के पालन-पोषण के लिए बहुत सारी सावधानियाँ बरती जाती हैं. उदाहरण के लिए, यदि बाघ का बच्चा पैदा होता है, तो उसकी देखभाल करने वालों को उसे साफ रखने के लिए उसके मांद में जाना पड़ता है. एक महीने में एक टीका दिया जाता है और दूसरे महीने में एक बूस्टर खुराक दी जाती है. ऐसा करने के परिणामस्वरूप, देश में सबसे अधिक प्रजनन दर पिलिकुला चिड़ियाघर में हो रही है.

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