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कलकत्ता हाईकोर्ट में सीएम ममता की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई - पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता

कलकत्ता उच्च न्यायालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई. याचिका नंदीग्राम विधानसभा सीट पर दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग से जुड़ी है.

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Published : Jul 14, 2021, 3:20 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 3:49 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई. याचिका नंदीग्राम विधानसभा सीट पर दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग से जुड़ी है.

जानकारी के मुताबिक, जस्टिस शंपा सरकार (Justice Shampa Sarkar) की पीठ में होगी सुनवाई.

अधिकारी ने साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बनर्जी को 1,956 मतों से हराया था.

न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने इस मामले में सुनवाई से सात जुलाई को खुद को अलग कर लिया था. न्यामूर्ति चंदा ने इस मामले से उन्हें अलग करने की मांग को लेकर ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया था.

बनर्जी की याचिका में न्यायमूर्ति चंदा के सुनवाई से अलग होने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया था कि वह 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किये जाने तक भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि भाजपा के एक उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए फैसले में पूर्वाग्रह होने की आशंका है.

यह भी पढ़ें- दो बच्चे के नियम से घबराकर अयोग्य पार्षद ने तीसरे बच्चे को बताया गैर, सुप्रीम कोर्ट का मानने से इंकार

न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह भाजपा के विधिक प्रकोष्ठ के संयोजक कभी नहीं रहे, लेकिन पार्टी की ओर से अनेक मामलों में कलकत्ता उच्च न्यायालय में पेश हुए थे.

बनर्जी के वकील ने उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी चुनाव याचिका किसी दूसरी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था.

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई. याचिका नंदीग्राम विधानसभा सीट पर दोबारा मतगणना कराए जाने की मांग से जुड़ी है.

जानकारी के मुताबिक, जस्टिस शंपा सरकार (Justice Shampa Sarkar) की पीठ में होगी सुनवाई.

अधिकारी ने साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बनर्जी को 1,956 मतों से हराया था.

न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने इस मामले में सुनवाई से सात जुलाई को खुद को अलग कर लिया था. न्यामूर्ति चंदा ने इस मामले से उन्हें अलग करने की मांग को लेकर ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया था.

बनर्जी की याचिका में न्यायमूर्ति चंदा के सुनवाई से अलग होने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया था कि वह 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किये जाने तक भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि भाजपा के एक उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए फैसले में पूर्वाग्रह होने की आशंका है.

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न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह भाजपा के विधिक प्रकोष्ठ के संयोजक कभी नहीं रहे, लेकिन पार्टी की ओर से अनेक मामलों में कलकत्ता उच्च न्यायालय में पेश हुए थे.

बनर्जी के वकील ने उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी चुनाव याचिका किसी दूसरी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था.

Last Updated : Jul 14, 2021, 3:49 PM IST
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