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व्यास पूर्णिमा 2023 विशेष : इसलिए कृष्ण द्वैपायन से वेद व्यास कहे जाने लगे महर्षि, वेदों को बचाने में है खास योगदान - महर्षि वेद व्यास बनने की कहानी

वेदों का नामकरण करने व जनसुलभ बनाने में वेदव्यास जी का सराहनीय योगदान माना जाता है. वेदों का विभाजन करके उसके कई नाम देने का श्रेय इन्हीं को जाता है. ऐसा करने के पीछे एक खास कारण था, उसे आप भी जान सकते हैं....

Maharishi Ved Vyas Krishna Dwaipayan contribution in saving the Vedas
व्यास पूर्णिमा 2023
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Published : Jul 2, 2023, 3:57 AM IST

नई दिल्ली : महाभारत जैसे महाकाव्य के रचयिता व वेदों का विभाजन करके ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद जैसा नामकरण करने वाले वेद व्यास जी का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन था. कहा जाता है कि उनका जन्म दो द्वीपों के बीच हुए था, इसलिए उनको द्वैपायन कहा जाता है. वेदों के महापंडित होने और वेदों को सरल करके चार भागों में विभाजित करने के कारण ही उनको वेद व्यास कहा जाता है.

Maharishi Ved Vyas Krishna Dwaipayan contribution in saving the Vedas
वेद व्यास का योगदान

ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास त्रिकालज्ञ महात्मा थे. इसके कारण उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह देख कर जान लिया था कि कलियुग में धर्म धीरे-धीरे क्षीण हो जाएगा. धर्म के क्षीण होने का असर मनुष्यों पर पड़ेगा औक मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्पायु होने लगेगा. एक विशाल वेद का अध्ययन उनके सामर्थ्य की बात नहीं होगी. ऐसे में वेद भी नष्ट हो जाएंगे. इसीलिये महर्षि व्यास ने वेद का चार भागों में विभाजित करने की योजना बनायी ताकि कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन कर पाएं. इसके लिए उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का नाम दिया. कहते हैं कि वेदों का विभाजन करने के कारण ही कृष्ण द्वैपायन को वेद व्यास कहा जाने लगा और वे वेद व्यास के नाम से जगत में विख्यात हुये.

Maharishi Ved Vyas Krishna Dwaipayan contribution in saving the Vedas
महाभारत की रचना

बताया जाता है कि वेद के विभाजन के बाद वेद व्यास ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को क्रमशः अपने शिष्य पैल, जैमिन, वैशम्पायन और सुमन्तुमुनि को बताया और उनको विधिवत दीक्षा दी. इसके साथ ही इन वेदों में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ तथा शुष्क ज्ञान को नया स्वरूप देने के साथ-साथ रोचक बनाने के लिए वेद व्यास ने पांचवे वेद के रूप में पुराणों की रचना की. इन पुराणों में वेद के ज्ञान को रोचक कथाओं के रूप में सरल भाषा में बताया व समझा गया, जिससे आज उन्हें कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति वाले लोग भी जान व समझ पाते हैं.

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नई दिल्ली : महाभारत जैसे महाकाव्य के रचयिता व वेदों का विभाजन करके ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद जैसा नामकरण करने वाले वेद व्यास जी का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन था. कहा जाता है कि उनका जन्म दो द्वीपों के बीच हुए था, इसलिए उनको द्वैपायन कहा जाता है. वेदों के महापंडित होने और वेदों को सरल करके चार भागों में विभाजित करने के कारण ही उनको वेद व्यास कहा जाता है.

Maharishi Ved Vyas Krishna Dwaipayan contribution in saving the Vedas
वेद व्यास का योगदान

ऐसा कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास त्रिकालज्ञ महात्मा थे. इसके कारण उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह देख कर जान लिया था कि कलियुग में धर्म धीरे-धीरे क्षीण हो जाएगा. धर्म के क्षीण होने का असर मनुष्यों पर पड़ेगा औक मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्पायु होने लगेगा. एक विशाल वेद का अध्ययन उनके सामर्थ्य की बात नहीं होगी. ऐसे में वेद भी नष्ट हो जाएंगे. इसीलिये महर्षि व्यास ने वेद का चार भागों में विभाजित करने की योजना बनायी ताकि कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन कर पाएं. इसके लिए उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का नाम दिया. कहते हैं कि वेदों का विभाजन करने के कारण ही कृष्ण द्वैपायन को वेद व्यास कहा जाने लगा और वे वेद व्यास के नाम से जगत में विख्यात हुये.

Maharishi Ved Vyas Krishna Dwaipayan contribution in saving the Vedas
महाभारत की रचना

बताया जाता है कि वेद के विभाजन के बाद वेद व्यास ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को क्रमशः अपने शिष्य पैल, जैमिन, वैशम्पायन और सुमन्तुमुनि को बताया और उनको विधिवत दीक्षा दी. इसके साथ ही इन वेदों में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ तथा शुष्क ज्ञान को नया स्वरूप देने के साथ-साथ रोचक बनाने के लिए वेद व्यास ने पांचवे वेद के रूप में पुराणों की रचना की. इन पुराणों में वेद के ज्ञान को रोचक कथाओं के रूप में सरल भाषा में बताया व समझा गया, जिससे आज उन्हें कम बुद्धि एवं कम स्मरणशक्ति वाले लोग भी जान व समझ पाते हैं.

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