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महाकुंभ 2021 : कोरोना काल का शाही स्नान रहेगा हमेशा याद, अब 2033 में होगा महाकुंभ - Now Mahakumbh will be held in 2033

इस बार का महाकुंभ संपन्न हो चुका है. कोरोना के कारण महाकुंभ को समय से पहले समाप्त घोषित करना पड़ा. अब हरिद्वार में महाकुंभ 2033 में आयोजित होगा.

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Published : Apr 28, 2021, 7:43 PM IST

हरिद्वार : करोना काल में आयोजित हरिद्वार महाकुंभ-2021 को हमेशा याद रखा जाएगा. ज्योतिषीय गणना के हिसाब से भले ही महाकुंभ का समय अभी बचा है, लेकिन आखिरी शाही स्नान के बाद महाकुंभ 2021 आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है. अब हरिद्वार कुंभ 2033 में आयोजित होगा.

महाकुंभ 2021 के अंतिम शाही स्नान के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के कुंभ में लगे शिविर का भी विधिवत समापन हो गया है. उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा गंगा की नीलधारा में अंतिम शाही स्नान कर महाकुंभ शिविर में लगी धर्मध्वजा को विधिवत धार्मिक अनुष्ठान के बाद उतार कर महाकुंभ की समाप्ति की घोषणा की गई.

महाकुंभ समाप्ति की घोषणा

इसके बाद ब्राह्मणों को भोज कराया गया. इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्मध्वजा के उतरने के साथ ही महाकुंभ शिविर का समापन हो रहा है. पिछले 1 महीने में लगातार धार्मिक अनुष्ठान होते रहे. गंगा की नीलधारा में रोज सुबह-शाम गंगा आरती की जाती रही. वहीं इस बीच कुंभ के सबसे बड़े शाही स्नान पर शंकराचार्य भी स्नान करने के लिए आए. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कुछ अखाड़ों ने अंतिम शाही स्नान से पूर्व अपने देवता भी विसर्जित कर महाकुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी थी. इसके बाद भी वे अंतिम शाही स्नान करने के लिए आए.

कोरोना काल का शाही स्नान रहेगा हमेशा याद.

संतों में आई खटास

उन्होंने कहा कि एक बड़े अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की प्रधानमंत्री से हुई वार्ता के बाद, उन्होंने बिना किसी से चर्चा किए कुंभ के अंतिम शाही स्नान के स्वरूप को प्रतीकात्मक रूप दिए जाने और कुंभ समाप्ति की घोषणा कर डाली. लेकिन कुंभ के अंतिम शाही स्नान पर उन्हीं के अखाड़ों और संतों द्वारा उनकी बात काटी गई. उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पूर्व आचार्य महामंडलेश्वर को साथ लेना चाहिए था. वे ना केवल अपने अखाड़े से वार्ता करें, बल्कि पूरे संत समाज से चर्चा करें और उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचें.

कोरोना काल में शाही स्नान.
कोरोना काल में शाही स्नान.

नशे के काले कारोबार पर जताई चिंता

वहीं इस अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हरिद्वार धर्मनगरी में नशे के कारोबार पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उनके पास पिछले एक माह में कई श्रद्धालु आए, जिन्होंने हरिद्वार में नशे के कारोबार पर चिंता व्यक्त की और कुछ किए जाने की बात कही. जिसके बाद वह आज हरिद्वार पुलिस प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वे हरिद्वार धर्मनगरी में हो रहे नशे के कारोबार पर अंकुश लगाते हुए कार्रवाई करें.

2033 में जुटेंगे संन्यासी.
2033 में जुटेंगे संन्यासी.

इस बार 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया स्नान

इस बार चार शाही स्नान के मौके पर 1 करोड़ आठ लाख से ज्यादा लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. पहले शाही स्नान पर 32 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. दूसरे शाही स्नान पर 31 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. तीसरे शाही स्नान पर 14 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. चौथे शाही स्नान पर 30 हजार लोगों ने डुबकी लगाई.

2033 पर इन तारिखों पर होगा स्नान.
2033 पर इन तारीखों पर होगा स्नान.

अब 2033 में हरिद्वार में महाकुंभ

अब हरिद्वार में 2033 में महाकुंभ का आयोजन होगा. दरअसल, ज्योतिषीय गणना के अनुसार देव गुरु बृहस्पति वर्ष 2033 में 17 और 18 मार्च की मध्य रात्रि को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.

2033 में इन तारीखों में होगा शाही स्नान

ज्योतिष की दृष्टि से 14 अप्रैल 2033 से 14 मई 2033 तक कुंभ रहेगा. 28 फरवरी 2033 को अखाड़े पहला शाही स्नान परंपरा के हिसाब से करेंगे. 30 मार्च 2033 को चैत्र अमावस्या का दूसरा शाही स्नान होगा. 14 अप्रैल 2033 के दिन संक्रांति और पूर्णिमा का स्नान होगा. इस दिन संन्यासी और बैरागी दोनों स्नान करेंगे. एक मई 2033 को अक्षय तृतीया का स्नान भी होगा.

हरिद्वार : करोना काल में आयोजित हरिद्वार महाकुंभ-2021 को हमेशा याद रखा जाएगा. ज्योतिषीय गणना के हिसाब से भले ही महाकुंभ का समय अभी बचा है, लेकिन आखिरी शाही स्नान के बाद महाकुंभ 2021 आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है. अब हरिद्वार कुंभ 2033 में आयोजित होगा.

महाकुंभ 2021 के अंतिम शाही स्नान के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के कुंभ में लगे शिविर का भी विधिवत समापन हो गया है. उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा गंगा की नीलधारा में अंतिम शाही स्नान कर महाकुंभ शिविर में लगी धर्मध्वजा को विधिवत धार्मिक अनुष्ठान के बाद उतार कर महाकुंभ की समाप्ति की घोषणा की गई.

महाकुंभ समाप्ति की घोषणा

इसके बाद ब्राह्मणों को भोज कराया गया. इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्मध्वजा के उतरने के साथ ही महाकुंभ शिविर का समापन हो रहा है. पिछले 1 महीने में लगातार धार्मिक अनुष्ठान होते रहे. गंगा की नीलधारा में रोज सुबह-शाम गंगा आरती की जाती रही. वहीं इस बीच कुंभ के सबसे बड़े शाही स्नान पर शंकराचार्य भी स्नान करने के लिए आए. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कुछ अखाड़ों ने अंतिम शाही स्नान से पूर्व अपने देवता भी विसर्जित कर महाकुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी थी. इसके बाद भी वे अंतिम शाही स्नान करने के लिए आए.

कोरोना काल का शाही स्नान रहेगा हमेशा याद.

संतों में आई खटास

उन्होंने कहा कि एक बड़े अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की प्रधानमंत्री से हुई वार्ता के बाद, उन्होंने बिना किसी से चर्चा किए कुंभ के अंतिम शाही स्नान के स्वरूप को प्रतीकात्मक रूप दिए जाने और कुंभ समाप्ति की घोषणा कर डाली. लेकिन कुंभ के अंतिम शाही स्नान पर उन्हीं के अखाड़ों और संतों द्वारा उनकी बात काटी गई. उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पूर्व आचार्य महामंडलेश्वर को साथ लेना चाहिए था. वे ना केवल अपने अखाड़े से वार्ता करें, बल्कि पूरे संत समाज से चर्चा करें और उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचें.

कोरोना काल में शाही स्नान.
कोरोना काल में शाही स्नान.

नशे के काले कारोबार पर जताई चिंता

वहीं इस अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हरिद्वार धर्मनगरी में नशे के कारोबार पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उनके पास पिछले एक माह में कई श्रद्धालु आए, जिन्होंने हरिद्वार में नशे के कारोबार पर चिंता व्यक्त की और कुछ किए जाने की बात कही. जिसके बाद वह आज हरिद्वार पुलिस प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वे हरिद्वार धर्मनगरी में हो रहे नशे के कारोबार पर अंकुश लगाते हुए कार्रवाई करें.

2033 में जुटेंगे संन्यासी.
2033 में जुटेंगे संन्यासी.

इस बार 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया स्नान

इस बार चार शाही स्नान के मौके पर 1 करोड़ आठ लाख से ज्यादा लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. पहले शाही स्नान पर 32 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. दूसरे शाही स्नान पर 31 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. तीसरे शाही स्नान पर 14 लाख से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई. चौथे शाही स्नान पर 30 हजार लोगों ने डुबकी लगाई.

2033 पर इन तारिखों पर होगा स्नान.
2033 पर इन तारीखों पर होगा स्नान.

अब 2033 में हरिद्वार में महाकुंभ

अब हरिद्वार में 2033 में महाकुंभ का आयोजन होगा. दरअसल, ज्योतिषीय गणना के अनुसार देव गुरु बृहस्पति वर्ष 2033 में 17 और 18 मार्च की मध्य रात्रि को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.

2033 में इन तारीखों में होगा शाही स्नान

ज्योतिष की दृष्टि से 14 अप्रैल 2033 से 14 मई 2033 तक कुंभ रहेगा. 28 फरवरी 2033 को अखाड़े पहला शाही स्नान परंपरा के हिसाब से करेंगे. 30 मार्च 2033 को चैत्र अमावस्या का दूसरा शाही स्नान होगा. 14 अप्रैल 2033 के दिन संक्रांति और पूर्णिमा का स्नान होगा. इस दिन संन्यासी और बैरागी दोनों स्नान करेंगे. एक मई 2033 को अक्षय तृतीया का स्नान भी होगा.

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