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तमिलनाडु: पलामेडु में 1000 सांडों के साथ शुरू हुआ जल्लीकट्टू

Palamedu Jallikattu Competition kicks off: तमिलनाडु के पलामेडु में आज जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया है. इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की गई है.

Madurai Palamedu Jallikattu Competition kicks off today with 1000 bulls and 700 Bull-Tamers
तमिलनाडु: 1000 सांडों के साथ शुरू होगा जल्लीकट्टू
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 16, 2024, 11:03 AM IST

चेन्नई: विश्व प्रसिद्ध जल्लीकट्टू का आयोजन आज मदुरै के पलामेडु में किया गया है. 'थाई पोंगल' महोत्सव (धान की फसल के दिन का उत्सव) के अवसर पर मंजामलाई अटरु थिडल (जल्लीकट्टू ग्राउंड) में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है. प्रतियोगिता का आयोजन पलामेडु ग्राम सार्वजनिक महालिंग मठ (मंदिर मठ) समिति और मदुरै जिला प्रशासन के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है. आज सुबह 7 बजे बुल-टैमर्स (सांड वश में करने वाले) ने मदुरै जिला कलेक्टर संगीता के सामने शपथ ली.

1000 बुल्स और 700 बुल-टैमर: यह प्रतियोगिता शाम 4 बजे तक कम से कम 8 राउंड में आयोजित की जाएगी और प्रत्येक राउंड में 50 से 75 सांड और इसे पकड़ने वाले भाग लेंगे. प्रत्येक राउंड में सबसे अधिक सांडों को पकड़ने वाले खिलाड़ियों को अगले राउंड में खेलने की अनुमति दी जाती है. पलामेडु जल्लीकट्टू प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए अब तक 3,677 सांडों और 1,412 सांडों को पकड़ने वालों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. अंततः, इस जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में 1000 सांड और 800 सांडों को पकड़ने वाले भाग ले रहे हैं.

विजेता को मिलेगा पुरस्कार: जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में उत्साह के साथ सबसे अधिक सांडों को पकड़ने वाले को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन की ओर से प्रथम पुरस्कार के रूप में एक कार दी जाएगी.

2000 पुलिसकर्मियों के साथ कड़ी सुरक्षा: जिला स्वास्थ्य विभाग और पशु चिकित्सा विभाग द्वारा घायल होने वाले सांडों और इसे पकड़ने वालों के लिए विशेष प्राथमिक चिकित्सा उपचार की व्यवस्था की गई है. इसके लिए चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं. साथ ही आपात स्थिति के लिए एम्बुलेंस भी खड़े किए गए हैं. आगे के इलाज के लिए मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल ले जाने की तैयारी की गई हैं.

इसके अतिरिक्त, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के स्वयंसेवक भी इस मदद करेंगे. इस प्रतियोगिता को लेकर मदुरै मेट्रोपॉलिटन पुलिस की ओर से 2000 से अधिक कांस्टेबल तैनात किए गए हैं. इस जल्लीकट्टू प्रतियोगिता को लेकर मैदान में नारियल के रेशे की मोटी परत बिछायी जाती है ताकि बैल और इसे पकड़ने वाले घायल न हों.

ये भी पढ़ें- जल्लीकट्टू 2024 में शक्तिशाली बैल को वश में करने के लिए तैयार हैं युवक

चेन्नई: विश्व प्रसिद्ध जल्लीकट्टू का आयोजन आज मदुरै के पलामेडु में किया गया है. 'थाई पोंगल' महोत्सव (धान की फसल के दिन का उत्सव) के अवसर पर मंजामलाई अटरु थिडल (जल्लीकट्टू ग्राउंड) में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है. प्रतियोगिता का आयोजन पलामेडु ग्राम सार्वजनिक महालिंग मठ (मंदिर मठ) समिति और मदुरै जिला प्रशासन के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है. आज सुबह 7 बजे बुल-टैमर्स (सांड वश में करने वाले) ने मदुरै जिला कलेक्टर संगीता के सामने शपथ ली.

1000 बुल्स और 700 बुल-टैमर: यह प्रतियोगिता शाम 4 बजे तक कम से कम 8 राउंड में आयोजित की जाएगी और प्रत्येक राउंड में 50 से 75 सांड और इसे पकड़ने वाले भाग लेंगे. प्रत्येक राउंड में सबसे अधिक सांडों को पकड़ने वाले खिलाड़ियों को अगले राउंड में खेलने की अनुमति दी जाती है. पलामेडु जल्लीकट्टू प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए अब तक 3,677 सांडों और 1,412 सांडों को पकड़ने वालों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. अंततः, इस जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में 1000 सांड और 800 सांडों को पकड़ने वाले भाग ले रहे हैं.

विजेता को मिलेगा पुरस्कार: जल्लीकट्टू प्रतियोगिता में उत्साह के साथ सबसे अधिक सांडों को पकड़ने वाले को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन की ओर से प्रथम पुरस्कार के रूप में एक कार दी जाएगी.

2000 पुलिसकर्मियों के साथ कड़ी सुरक्षा: जिला स्वास्थ्य विभाग और पशु चिकित्सा विभाग द्वारा घायल होने वाले सांडों और इसे पकड़ने वालों के लिए विशेष प्राथमिक चिकित्सा उपचार की व्यवस्था की गई है. इसके लिए चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं. साथ ही आपात स्थिति के लिए एम्बुलेंस भी खड़े किए गए हैं. आगे के इलाज के लिए मदुरै के सरकारी राजाजी अस्पताल ले जाने की तैयारी की गई हैं.

इसके अतिरिक्त, भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के स्वयंसेवक भी इस मदद करेंगे. इस प्रतियोगिता को लेकर मदुरै मेट्रोपॉलिटन पुलिस की ओर से 2000 से अधिक कांस्टेबल तैनात किए गए हैं. इस जल्लीकट्टू प्रतियोगिता को लेकर मैदान में नारियल के रेशे की मोटी परत बिछायी जाती है ताकि बैल और इसे पकड़ने वाले घायल न हों.

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