चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट ने गूगल और यूट्यूब कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर इस तरह से निर्देशित करें कि सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट की गई टिप्पणियां ट्रांसजेंडर लोगों की भावनाओं को प्रभावित नहीं करें.
हाई कोर्ट ने यह आदेश ट्रांसजेंडर और एआईएडीएमके प्रवक्ता अप्सरा रेड्डी द्वारा दायर मामले में जारी किया. बता दें कि अप्सरा रेड्डी ने सोशल मीडिया पर उनकी प्रसिद्धि और गरिमा को धूमिल करने वाले पोस्ट को लेकर प्रसिद्ध यूट्यूबर माइकल प्रवीण के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए कोर्ट में केस दायर किया हुआ है. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूट्यूबर के कार्यों की भी निंदा की और अप्सरा रेड्डी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया.
न्यायाधीश एन सतीश कुमार ने सुनवाई करते हुए गूगल यूट्यूब को आदेश दिया कि माइकल प्रवीण के द्वारा कथित तौर पर रिकॉर्ड किए गए 10 से अधिक वीडियो को तुरंत हटा दिया जाए. साथ ही कोर्ट ने यदि उसके रिश्तेदारों ने मानिहानिकारक वीडियो पोस्ट किए हैं तो उन्हें भी तुरंत हटा देना चाहिए. न्यायाधीश ने समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए गूगल और यूट्यूब को निर्देश दिया कि वे सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली टिप्पणियों को इस तरह से निर्देशित करें जिससे ट्रांसजेंडर लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे और सम्मानजनक हो.
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