चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि मंदिर की संपत्तियों की धोखाधड़ी या उन पर अवैध अतिक्रमण समाज के खिलाफ अपराध है. कोर्ट ने एक मंदिर की संपत्ति के पट्टे से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि मंदिर में 'देवता' 'नाबालिग' हैं, अदालत को किसी भी मुकदमे में मूर्ति के हितों की रक्षा करनी चाहिए.
दरअसल अदालत एक व्यक्ति के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही पर फैसला सुना रही थी, जिसने चेन्नई के अरुल्मिगु अगाथीश्वर स्वामी थिरुक्कोइल से संबंधित कुछ मंदिर संपत्ति का पट्टाधारक होने का दावा किया था.
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने कहा, 'मंदिर की संपत्तियों की धोखाधड़ी, अवैध अतिक्रमण, मंदिर के धन का दुरुपयोग निस्संदेह समाज के खिलाफ अपराध है. सरकार को ऐसे सभी अपराधों में केस दर्ज करना चाहिए और अपराधियों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए.'
अधिकारियों को लगाई फटकार
कोर्ट ने हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंज सीई) के अधिकारियों को भी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि इनकी मिल मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि देवताओं, मंदिरों और देवस्वम बोर्डों की संपत्तियों को उनके ट्रस्टियों, अर्चकों, सेबैट्स और अन्य कर्मचारियों द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा का दायित्व जिन लोगों को सौंपा गया वह ही उन संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं. यह संबंधित अधिकारियों की निष्क्रिय या सक्रिय मिलीभगत से ही संभव है. 'फसलों को खाने वाले बाड़' के ऐसे कृत्यों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. साथ ही कहा कि यह अदालतों का भी कर्तव्य है कि वे धार्मिक और धर्मार्थ संस्थानों की संपत्तियों को गलत दावों या दुर्विनियोजन से बचाएं और सुरक्षित रखें.
याचिकाकर्ता की अपील खारिज
इसके साथ ही अदालत ने बेदखली की कार्यवाही के खिलाफ याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग को मंदिर की संपत्ति के अवैध कब्जे की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया. अदालत ने आदेश दिया कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिनकी वजह से लंबे समय तक मंदिर की संपत्ति पर कब्जा रहा.
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