चेन्नई : मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी को मेघालय उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश के स्थानांतरण के पक्ष और विपक्ष में आवाज उठ रही है.
कॉलेजियम ने पहले मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी को मेघालय उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी.
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 16 सितंबर को हुई अपनी बैठक में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी को मद्रास हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की थी.
यहां वकीलों के दो प्रमुख निकाय- 'मद्रास हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन' (एमएचएए) और 'मद्रास बार एसोसिएशन' (एमबीए) मुख्य न्यायाधीश को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के विरोध में शामिल हो गए हैं.
स्थानांतरण का विरोध करने वालों में हाई कोर्ट के 30 से अधिक वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल हो गए हैं.
न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी का स्थानांतरण मेघालय हाई कोर्ट किये जाने का विरोध करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के 200 से अधिक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश रमना तथा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पिछले सप्ताह पत्र भेजा था और उनसे न्यायमूर्ति बनर्जी को भेजने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था.
वहीं, स्थानांतरण के समर्थन में भी आवाजें उठने लगीं.
एमएचएए के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा की कानूनी शाखा के प्रमुख अधिवक्ता आरसी पॉल कनकराज ने आरोप लगाया कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है.
उन्होंने इसके पीछे के कारणों का पता लगाए बिना स्थानांतरण का विरोध करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया. उन्होंने दावा किया कि स्थानांतरण के कुछ ठोस कारण हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि स्थानांतरण अच्छे इरादों के साथ हो सकते हैं, जो अंततः वरिष्ठता और उच्चतम न्यायालय में उनकी पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा.
एक अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश टीएस शिवगनम को हाल में कलकत्ता हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था.
एमएचएए के अध्यक्ष जी मोहनकृष्णन ने कहा कि एसोसिएशन इस बात से व्यथित है कि वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को चेन्नई से मेघालय स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई थी. उन्होंने जनवरी 2021 में ही पदभार ग्रहण किया था और एक वरिष्ठ न्यायाधीश हैं.
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उन्होंने कहा कि वह तमिलनाडु में न्यायिक प्रशासन का प्रभावी ढंग से संचालन कर रहे हैं, उन्होंने सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के न्यायाधीशों से उनके विचारों पर विचार करने और सभी हितधारकों के हित में एक अच्छा निर्णय लेने का अनुरोध किया.
अपने प्रस्ताव में, एमबीए ने कहा कि चेन्नई में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संस्थान में मौजूदा स्थिति का अध्ययन करने और उसे सुधारने के उपाय करने के लिए कम से कम दो साल का कार्यकाल दिया जाना चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)