चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने पैदल चलने वालों और वाहनों की आवाजाही में अवरोधक, सार्वजनिक स्थानों पर बैनर और कट-आउट लगाने के चलन को हतोत्साहित करने के लिए मंगलवार को व्यापक दिशा-निर्देश बनाने पर जोर दिया.
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी (Chief Justice Sanjib Banerjee) और न्यायमूर्ति पीडी औदिकेसवालु (Justice PD Audikesavalu) की पीठ ने कहा, 'अच्छा होगा राज्य सार्वजनिक स्थान पर ऐसे अस्थायी निर्माण किए जाने को लेकर कुछ विशिष्ट कदमों या दंड का सुझाव दे.' पीठ ने विल्लुपुरम के ईआर मोहनराज की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया. याचिका में तमिलनाडु सरकार को बैनर-पोस्टर हटाने और इसे लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया.
इस साल अगस्त में विल्लुपुरम शहर में एक मंत्री की यात्रा के संबंध में बैनर लगाने के लिए स्टील का खंभा लगाते समय बिजली का करंट लगने से 13 वर्षीय लड़के की मौत के मद्देनजर जनहित याचिका दायर की गई.
ये भी पढ़ें - चिकित्सा शिक्षा का नियमन बन गया है कारोबार, देश के लिए त्रासदी : सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि यह मामला राजमार्गों के किनारे फुटपाथ और रास्तों से संबंधित है. सड़कों और राजमार्गों के कुछ हिस्सों को भी कई बार अवरुद्ध कर दिया जाता है और छोटे-मोटे कार्यों के लिए नेताओं के पोस्टर और कट-आउट लगाए जाते हैं. यह काफी खतरनाक होता है जब नेताओं को आमंत्रित करने के लिए अस्थायी तौर पर स्वागत द्वार बनाए जाते हैं.
पीठ ने कहा कि एडवोकेट जनरल आर शणमुगसुंदरम ने बताया है कि वर्तमान सरकार ने सत्तारूढ़ दल द्रविड मुनेत्र कषगम (DMK) के लिए इस तरह के चलन पर रोक लगा दी है. अस्थायी निर्माण सभी जगह किए जाते हैं और कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी लंबे समय तक इस तरह के ढांचे कायम रहते हैं. अदालत अब मामले में छह सप्ताह बाद सुनवाई करेगी.
अदालत ने कहा कि सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल कर जारी किए जाने वाले दिशा-निर्देश के बारे में बताना चाहिए और यह भी उल्लेख करना चाहिए कि वह पैदल चलने वालों तथा वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने वाले इस तरह के चलन को रोकने के लिए क्या कदम उठाएगी. पीठ ने कहा कि बेहतर होगा कि राज्य इस तरह के अस्थायी ढांचे को रोकने के लिए कदमों और दंड का सुझाव दे.
(पीटीआई-भाषा)