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मुर्दे का Transfer! खुदकुशी के 16 दिन बाद तबादला, जानिए क्या है मामला

मध्य प्रदेश में अजीब मामला सामने आया है. यहां एक ऐसे व्यक्ति के तबादले का आदेश दिया गया है जो 16 दिन पहले खुदकुशी कर चुका है. नगर पालिका कर्मी संजय जाट पर लोकायुक्त ने 3000 रुपए रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया था. जानिए क्या है पूरा मामला.

मुर्दे का Transfer
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Published : Sep 2, 2021, 1:36 PM IST

राजगढ़ : मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) की पंच लाइन है, एमपी अजब है सबसे गजब है! वाकई एमपी जितना अजब-गजब कोई हो भी नहीं सकता. राज्य शासन ने नपाकर्मी संजय जाट (Municipality Employee Sanjay Jat Suicide) की मौत के 16 दिन बाद उसे राजगढ़ नगर पालिका परिषद स्थानांतरित कर दिया है. लोकायुक्त ने 3000 रुपए रिश्वत लेने का मामला संजय जाट पर दर्ज किया था, जिसके बाद से उसे कुछ लोग ब्लैकमेल कर रहे थे, जिससे परेशान होकर उसने फांसी लगा ली थी. अब उसकी मौत के 16 दिन बाद यानि 31 अगस्त को उसका ट्रांसफर कर दिया गया है.

विभाग ने जिस नपाकर्मी का तबादला किया है, उसकी 16 दिन पहले मौत हो चुकी है. नगरीय प्रशासन ने लोकायुक्त टीम द्वारा की गई कार्रवाई के बाद ये फैसला लिया है, जबकि इसी आरोप के बाद से उसे कई लोग ब्लैकमेल करने लगे थे, जिससे परेशान होकर उसने जान दे दी थी.

पत्र
पत्र

राठी की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
कर्मचारी संघ के लगातार प्रदर्शन के कारण इस मामले की आंच भोपाल तक पहुंचने लगी है. संजय जाट की मौत के बावजूद नगरीय एवं आवास विभाग के उप सचिव तरुण राठी ने अटैचमेंट का आदेश जारी कर दिया है, जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.

ब्यावरा में पदस्थ नपाकर्मी संजय जाट को 26 मार्च को लोकायुक्त पुलिस ने 3000 रुपए घूस लेने के आरोप में पकड़ा था. हालांकि, संजय जाट के हाथ रंगीन नहीं हुए थे, फिर भी उन पर कार्रवाई की गई थी. आरोप है कि उसके बाद से नपाकर्मी को गिरिराज कसेरा, रजत कसेरा एवं पत्रकार इश्तयाक नबी लगातार ब्लैकमेल कर दबाव बना रहे थे, जिससे प्रताड़ित होकर उसने 14 अगस्त को फांसी लगा ली थी. संजय की मौत के बाद से अब तक जाट समाज के साथ ही तीन बार नगर पालिका कर्मचारी संघ ज्ञापन सौंप चुका है, जिसमें प्रांतीय स्तर तक के कर्मचारी भी शामिल हुए थे. बावजूद उसके मौत के 16 दिन बाद उसके अटैचमेंट का आदेश सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग की नींद की पोल खोल रहा है.

पढ़ें- वामपंथी विचारधारा पर बरसीं प्रज्ञा ठाकुर, कहा- राष्ट्र को कमजोर कर रहे Leftist वरना सक्षम है भारत देश
संजय जाट की मौत के बाद से आरोपी गिरिराज कसेरा और रजत कसेरा जेल में बंद है, जबकि अन्य दो आरोपियों में पत्रकार इश्तयाक नबी और शिकायतकर्ता भागीरथ जाटव की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है. वहीं तबादला आदेश में लिखा है कि संजय जाट लोकायुक्त भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया गया है, जिसके फलस्वरूप राज्य शासन द्वारा संजय जाट को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक नगर पालिका राजगढ़ में रिक्त पद पर पदस्थ किया जाता है, परंतु इस आदेश के ऊपर एक बात यह उठती है कि क्या 16 दिन में उपसचिव तक कर्मचारी के मौत की खबर नहीं पहुंची, जबकि मौत को लेकर इतना हंगामा हो चुका है.

राजगढ़ : मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) की पंच लाइन है, एमपी अजब है सबसे गजब है! वाकई एमपी जितना अजब-गजब कोई हो भी नहीं सकता. राज्य शासन ने नपाकर्मी संजय जाट (Municipality Employee Sanjay Jat Suicide) की मौत के 16 दिन बाद उसे राजगढ़ नगर पालिका परिषद स्थानांतरित कर दिया है. लोकायुक्त ने 3000 रुपए रिश्वत लेने का मामला संजय जाट पर दर्ज किया था, जिसके बाद से उसे कुछ लोग ब्लैकमेल कर रहे थे, जिससे परेशान होकर उसने फांसी लगा ली थी. अब उसकी मौत के 16 दिन बाद यानि 31 अगस्त को उसका ट्रांसफर कर दिया गया है.

विभाग ने जिस नपाकर्मी का तबादला किया है, उसकी 16 दिन पहले मौत हो चुकी है. नगरीय प्रशासन ने लोकायुक्त टीम द्वारा की गई कार्रवाई के बाद ये फैसला लिया है, जबकि इसी आरोप के बाद से उसे कई लोग ब्लैकमेल करने लगे थे, जिससे परेशान होकर उसने जान दे दी थी.

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राठी की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
कर्मचारी संघ के लगातार प्रदर्शन के कारण इस मामले की आंच भोपाल तक पहुंचने लगी है. संजय जाट की मौत के बावजूद नगरीय एवं आवास विभाग के उप सचिव तरुण राठी ने अटैचमेंट का आदेश जारी कर दिया है, जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.

ब्यावरा में पदस्थ नपाकर्मी संजय जाट को 26 मार्च को लोकायुक्त पुलिस ने 3000 रुपए घूस लेने के आरोप में पकड़ा था. हालांकि, संजय जाट के हाथ रंगीन नहीं हुए थे, फिर भी उन पर कार्रवाई की गई थी. आरोप है कि उसके बाद से नपाकर्मी को गिरिराज कसेरा, रजत कसेरा एवं पत्रकार इश्तयाक नबी लगातार ब्लैकमेल कर दबाव बना रहे थे, जिससे प्रताड़ित होकर उसने 14 अगस्त को फांसी लगा ली थी. संजय की मौत के बाद से अब तक जाट समाज के साथ ही तीन बार नगर पालिका कर्मचारी संघ ज्ञापन सौंप चुका है, जिसमें प्रांतीय स्तर तक के कर्मचारी भी शामिल हुए थे. बावजूद उसके मौत के 16 दिन बाद उसके अटैचमेंट का आदेश सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग की नींद की पोल खोल रहा है.

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संजय जाट की मौत के बाद से आरोपी गिरिराज कसेरा और रजत कसेरा जेल में बंद है, जबकि अन्य दो आरोपियों में पत्रकार इश्तयाक नबी और शिकायतकर्ता भागीरथ जाटव की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है. वहीं तबादला आदेश में लिखा है कि संजय जाट लोकायुक्त भोपाल द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया गया है, जिसके फलस्वरूप राज्य शासन द्वारा संजय जाट को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक नगर पालिका राजगढ़ में रिक्त पद पर पदस्थ किया जाता है, परंतु इस आदेश के ऊपर एक बात यह उठती है कि क्या 16 दिन में उपसचिव तक कर्मचारी के मौत की खबर नहीं पहुंची, जबकि मौत को लेकर इतना हंगामा हो चुका है.

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