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प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ लोकायुक्त ने जारी किया जमानती वारंट, जानिए वजह - प्रमुख सचिव बीएल मीणा

यूपी के पांच अफसरों के खिलाफ जांच शुरू होने के बाद एक और आईएएस पर कार्रवाई की है. लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है.

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Published : May 22, 2023, 7:11 PM IST

लखनऊ : लोकायुक्त प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के दो आईएसएस अधिकारियों की जांच शुरू करने के बाद एक और आईएएस पर कार्रवाई की है. लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ 10 हजार का जमानती वारंट जारी किया है. मीणा को बार-बार लोकायुक्त दफ्तर जांच के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था, बावजूद इसके वो नहीं पहुंच रहे थे.

लोकायुक्त दफ्तर की ओर से बताया गया है कि 'तत्कालीन प्रमुख सचिव समाज कल्याण व वर्तमान में प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा को एक परिवाद में तलब किया गया था, लेकिन बीएल मीणा उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह के आदेशों के बाद भी जांच कार्य में सहयोग करने के लिए उपस्थित नहीं हुए. इसको लेकर उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने बीएल मीणा को उन पर लगाये गये आरोपों के क्रम में अपने साक्ष्यों सहित उपस्थित न होने और जांच कार्य में सहयोग न करने के कारण उनके खिलाफ दस हजार का जमानती वारंट जारी किया है. जमानती वारंट तामीला के लिए लखनऊ पुलिस आयुक्त को भेजा जा चुका है. बता दें कि बीएल मीणा 1 अक्टूबर 2020 से 4 जून 2021 तक प्रमुख सचिव समाज कल्याण के पद पर तैनात थे.'

ग्राफिक
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इससे पहले बीते सप्ताह लोकायुक्त ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों समेत पांच अफसरों के खिलाफ जांच शुरू की थी. इनमें अपर मुख्य सचिव अमित मोहन व प्रांजल यादव शामिल हैं. राजधानी के शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि इन अफसरों ने स्वास्थ्य विभाग में तैनाती के दौरान चहेती निजी कंपनियों को कार्य आवंटित किया था. लोकायुक्त संगठन ने आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टतया साक्ष्य पाये हैं, जिसके बाद आरोपी अधिकारियों से शपथ पत्र के साथ जवाब देने का निर्देश दिया गया है. उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध प्रथमदृष्ट्या साक्ष्य पाए जाने पर शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव के परिवाद को अंतिम जांच के लिए स्वीकार किया था. लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह के मुताबिक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, तत्कालीन विशेष सचिव प्रांजल यादव, तत्कालीन संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला व तत्कालीन अनुभाग अधिकारी चंदन कुमार रावत के अलावा महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में तैनात अपर निदेशक विद्युत डीके सिंह के विरुद्ध वर्ष 2021 में परिवाद (संख्या 1560) प्रस्तुत किया गया था.

यह भी पढ़ें : प्रतिबंधित PFI का राजनैतिक संगठन SDPI लखनऊ में गुपचुप फैला रहा पैर

लखनऊ : लोकायुक्त प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के दो आईएसएस अधिकारियों की जांच शुरू करने के बाद एक और आईएएस पर कार्रवाई की है. लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव बीएल मीणा के खिलाफ 10 हजार का जमानती वारंट जारी किया है. मीणा को बार-बार लोकायुक्त दफ्तर जांच के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था, बावजूद इसके वो नहीं पहुंच रहे थे.

लोकायुक्त दफ्तर की ओर से बताया गया है कि 'तत्कालीन प्रमुख सचिव समाज कल्याण व वर्तमान में प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा को एक परिवाद में तलब किया गया था, लेकिन बीएल मीणा उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह के आदेशों के बाद भी जांच कार्य में सहयोग करने के लिए उपस्थित नहीं हुए. इसको लेकर उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने बीएल मीणा को उन पर लगाये गये आरोपों के क्रम में अपने साक्ष्यों सहित उपस्थित न होने और जांच कार्य में सहयोग न करने के कारण उनके खिलाफ दस हजार का जमानती वारंट जारी किया है. जमानती वारंट तामीला के लिए लखनऊ पुलिस आयुक्त को भेजा जा चुका है. बता दें कि बीएल मीणा 1 अक्टूबर 2020 से 4 जून 2021 तक प्रमुख सचिव समाज कल्याण के पद पर तैनात थे.'

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इससे पहले बीते सप्ताह लोकायुक्त ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों समेत पांच अफसरों के खिलाफ जांच शुरू की थी. इनमें अपर मुख्य सचिव अमित मोहन व प्रांजल यादव शामिल हैं. राजधानी के शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि इन अफसरों ने स्वास्थ्य विभाग में तैनाती के दौरान चहेती निजी कंपनियों को कार्य आवंटित किया था. लोकायुक्त संगठन ने आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टतया साक्ष्य पाये हैं, जिसके बाद आरोपी अधिकारियों से शपथ पत्र के साथ जवाब देने का निर्देश दिया गया है. उप लोकायुक्त दिनेश कुमार सिंह ने आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध प्रथमदृष्ट्या साक्ष्य पाए जाने पर शिकायतकर्ता महेश चंद्र श्रीवास्तव के परिवाद को अंतिम जांच के लिए स्वीकार किया था. लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह के मुताबिक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद, तत्कालीन विशेष सचिव प्रांजल यादव, तत्कालीन संयुक्त सचिव प्राणेश चंद्र शुक्ला व तत्कालीन अनुभाग अधिकारी चंदन कुमार रावत के अलावा महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं में तैनात अपर निदेशक विद्युत डीके सिंह के विरुद्ध वर्ष 2021 में परिवाद (संख्या 1560) प्रस्तुत किया गया था.

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