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महामारी के मद्देनजर ऋण खातों को एनपीए घोषित नहीं किया जाए, न्यायालय में याचिका

कोरोना वायरस (Corona Virus) की वजह से लगे लॉकडाउन (Lockdown) के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर कर अपील की गई है, जिसमें कहा गया है कि बैंक लोन की किस्त के भुगतान के लिए छूट की अनुमति दे.

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Published : Jun 5, 2021, 9:39 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में दायर एक याचिका में इस साल जून से अगस्त तक कर्ज की किस्त के भुगतान से छूट की अनुमति की अपील की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की दूसरी लहर के मद्देनजर न्यायालय सरकार को निर्देश दे कि वह बैंकों को इस साल जून से अगस्त तक कर्जदारों को ऋण की किस्त के भुगतान की छूट की अनुमति दें.

इस जनहित याचिका पर आगामी दिनों में सुनवाई की उम्मीद है. याचिका में केंद्र और रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने की अपील की गई है कि वे अप्रैल से अगस्त तक मासिक किस्त या ईएमआई का भुगतान नहीं करने वाले खातों को गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित नहीं करें.

याचिका में कहा गया है कि महामारी से मध्यम वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. याचिका में अपील की गई है कि संबंधित अधिकारियों को प्रोत्साहन पैकेज तैयार करने पर विचार को कहा जाए.

ये भी पढे़ं : मई में लगातार आठवें महीने जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के पार

इससे दूसरी लहर और संभावित तीसरी लहर से प्रभावित होने वाले लोगों को आगे बढ़ने में मदद मिल सकेगी.

यह याचिका एनजीओ ट्रस्ट डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने दायर की है. याचिका में दावा किया गया है कि बड़ी संख्या में मध्यम वर्ग के लोगों ने बैंकों से कर्ज लिया है और इस समय उनके समक्ष प्रमुख चिंता इस बात की है कि वे मासिक किस्त का भुगतान किस तरह करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में दायर एक याचिका में इस साल जून से अगस्त तक कर्ज की किस्त के भुगतान से छूट की अनुमति की अपील की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) की दूसरी लहर के मद्देनजर न्यायालय सरकार को निर्देश दे कि वह बैंकों को इस साल जून से अगस्त तक कर्जदारों को ऋण की किस्त के भुगतान की छूट की अनुमति दें.

इस जनहित याचिका पर आगामी दिनों में सुनवाई की उम्मीद है. याचिका में केंद्र और रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने की अपील की गई है कि वे अप्रैल से अगस्त तक मासिक किस्त या ईएमआई का भुगतान नहीं करने वाले खातों को गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित नहीं करें.

याचिका में कहा गया है कि महामारी से मध्यम वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. याचिका में अपील की गई है कि संबंधित अधिकारियों को प्रोत्साहन पैकेज तैयार करने पर विचार को कहा जाए.

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इससे दूसरी लहर और संभावित तीसरी लहर से प्रभावित होने वाले लोगों को आगे बढ़ने में मदद मिल सकेगी.

यह याचिका एनजीओ ट्रस्ट डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने दायर की है. याचिका में दावा किया गया है कि बड़ी संख्या में मध्यम वर्ग के लोगों ने बैंकों से कर्ज लिया है और इस समय उनके समक्ष प्रमुख चिंता इस बात की है कि वे मासिक किस्त का भुगतान किस तरह करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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