नई दिल्ली: बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में गुरुवार को सीरियल किलर रविंद्र कुमार को रोहिणी कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुनील कुमार की कोर्ट ने सजा सुनाते हुए गंभीर टिप्पणी की. मामले में कोई चश्मदीद गवाह न होने के चलते रविंद्र को कोर्ट ने फांसी की सजा नहीं हुई. सजा होने से पहले दोनों पक्षों के वकीलों में जमकर बहस हुई. दोनों ने अपने-अपने तर्क कोर्ट में रखे.
कोर्ट ने सजा सुनाते हुए टिप्पणी की कि आरोपी यौन शिकारी से कम नहीं है. बचाव पक्ष की (दोषी गरीब है) की दलील पर नरमी बरतने का कोई आधार नहीं है. जहां तक मौत की सजा देने की बात है तो ऐसे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए, लेकिन मामले में संदेह है. दोषी का डीएनए सिर्फ पीड़िता की पजामी से मिला है, दूसरी जगहों से नहीं. साथ ही इस केस में कोई चश्मदीद नहीं है. ऐसे में संदेह बरकरार है. उसे ज्यादा से ज्यादा सजा मिलनी चाहिए, जिससे समाज में एक संदेश जाए. वो दया का पात्र नहीं है, लेकिन ये मामला रेयरेस्ट आफ रेयर केस नहीं है. इसलिए आरोपी को मौत की सजा की जगह उम्र कैद की सजा देना ही न्यायोचित है.
30 बच्चियों से दरिंदगी की बात कबूली थीः पुलिस की पूछताछ में रविंद्र ने 2008 से लेकर 2015 तक करीब 30 बच्चियों से दरिंदगी की बात कबूली थी. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, रविंद्र ने 30 में से 14 आपराधिक वारदातों को दिल्ली में अंजाम दिया. उसने कंझावला, समयपुर बादली, निहाल विहार, मुंडका, नरेला सहित अन्य इलाकों में वारदातें की. पुलिस जब जांच के दौरान उसको वारदात की जगहों पर लेकर गई थी तो कुछ जगह सबूत नष्ट हो चुके थे और कुछ जगह सबूत मिले थे.
मौत की सजा न मिलने के तीन कारण
- केस में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है.
- आरोपी का डीएनए पीड़िता की पजामी के अलावा और कहीं नहीं मिला.
- आरोपी के खिलाफ जेल में रहते हुए कोई शिकायत नहीं मिली. उसका व्यवहार ठीक रहा.
सजा पर बहस के दौरान बचाव पक्ष ने दिए ये तर्क
- दोषी गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है, इसलिए उसके प्रति नरमी बरती जानी चाहिए.
- उसे सुधरने का मौका मिलना चाहिए. दोषी ने खुद भी कोर्ट से नरमी बरतने की अपील की.
- दोषी ने जघन्य तरीके से मर्डर नहीं किया है, इसलिए उसे कम से कम सजा मिलनी चाहिए.
अभियोजन पक्ष ने दिए ये तर्क
- अभियोजन पक्ष (पुलिस पक्ष) के वकील ने कोर्ट में कहा कि दोषी यौन शिकारी है.
- वो 30 मामलों में शामिल रहा है. इसलिए उसे अधिकतम सजा मिलनी चाहिए.
- अधिकतम सजा से मतलब मौत की सजा (फांसी) मिलनी चाहिए.
- रविंद्र के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है. उसे अपने किए का कोई पक्षतावा नहीं है.
- आरोपित ने न सिर्फ बच्ची के साथ रेप किया बल्कि उसकी हत्या तक कर दी.
पीड़ित परिवार को 15 लाख मुआवजा देने का भी आदेशः सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने दोषी रविंद्र की गरीबी हालत को देखते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) उत्तर-पश्चिम को निर्देश दिया कि वो पीड़िता के परिजनों को सरकारी कोष से 15 लाख रुपए का भुगतान करे, क्योंकि आरोपी मुआवजे के पैसे देने में सक्षम नहीं है.
पांचवीं तक पढ़ा है रविंद्रः रविंद्र पांचवीं तक ही पढ़ा है. छठी कक्षा में फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी. वह शराब और नशे का आदी है. उसने बचपन में एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे. यह फिल्म देखने के बाद वह भी शराब पीकर और उसके बाद सूखा नशा (साल्यूशन व व्हाइटनर आदि) करके बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाता गया. यह जानकारी 2015 में बेगमपुर मासूम हत्याकांड के जांच अधिकारी और दिल्ली पुलिस से एसीपी पद से सेवानिवृत्त हुए जगमिंदर सिंह दहिया ने दी थी.
मानसिक रूप से बीमार है रविंद्रः अपने गुनाह को कबूल करने वाला रविंद्र इतना हैवान है कि वह बच्चों को मारने के बाद उनके शवों के साथ भी गलत काम करता था. यह बात उसने खुद मीडिया के सामने स्वीकार की थी. दहिया ने बताया कि आरोपित ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को अपना शिकार बनाता था.
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