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आंध्र प्रदेश में कथित पेगासस की खरीद की जांच करेगी सदन की समिति

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की कथित खरीद के मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. राज्य सरकार ने पिछली चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा पेगासस स्पाइवेयर की कथित खरीद और अवैध उपयोग की जांच के लिए विधानसभा की एक समिति गठित करने का फैसला किया है. वहीं, पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने कहा है कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार है.

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आंध्र प्रदेश पेगासस स्पाइवेयर केस
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Published : Mar 22, 2022, 4:41 PM IST

अमरावती : आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछली चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा पेगासस स्पाइवेयर की कथित खरीद और अवैध उपयोग की जांच के लिए सोमवार को सदन की एक समिति गठित करने का फैसला किया है. विधान परिषद और विधानसभा में इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त चर्चा में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछली टीडीपी सरकार ने निजी व्यक्तियों की टेलीफोन पर बातचीत को टैप (रिकॉर्ड) करने के लिए स्पाइवेयर खरीदा था. तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने कहा कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार है, चाहे वह सदन की समिति हो, न्यायिक जांच हो या सीबीआई जांच.

बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस की खरीद की पेशकश को लेकर खुलासा किया था. इसे लेकर आंध्र प्रदेश विधानसभा सदन में हंगामा भी हुआ. टीडीपी एमएलसी और महासचिव नारा लोकेश ने कहा, 'ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहा या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. मेरे एक बंगाली मित्र ने कहा कि उन्होंने जो बंगाली में बात की, उसमें पेगासस शब्द का भी उल्लेख नहीं था. फिर भी, वाईएसआरसी के कार्यकर्ता इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि हालांकि इसे परिषद के कामकाज के एजेंडे में सूचीबद्ध नहीं किया गया था फिर भी सरकार ने पेगासस पर चर्चा की. पूर्व पुलिस महानिदेशक डीजी सवांग ने खुद स्पष्ट किया था कि सरकार द्वारा कभी ऐसा कोई सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा गया था. यहां तक ​​कि इजरायल के राजदूत ने भी कहा कि सॉफ्टवेयर व्यक्तियों या निजी फर्मों को नहीं बेचा गया था जैसा कि वाईएसआरसी द्वारा आरोप लगाया जा रहा था.

यह भी पढ़ें- ममता का सनसनीखेज दावा, 'पेगासस खरीदने की हुई थी पेशकश'

लोकेश ने कहा, हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. दूसरी ओर, पुलिस महानिदेशक स्तर के आईपीएस अधिकारी एबी वेंकटेश्वर राव, जिनके खिलाफ जगन सरकार ने पेगासस को लेकर आरोप लगाए थे, ने कहा कि ऐसी कोई खरीद कभी नहीं की गई थी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, जब तक मैं इंटेलिजेंस प्रमुख (अप्रैल 2019 तक) था, पेगासस या ऐसा कोई स्पाइवेयर नहीं खरीदा गया था. वह अंतिम है. आपको वर्तमान सरकार से पूछना होगा कि क्या मई 2019 के बाद कुछ खरीदा गया था.

अमरावती : आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछली चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा पेगासस स्पाइवेयर की कथित खरीद और अवैध उपयोग की जांच के लिए सोमवार को सदन की एक समिति गठित करने का फैसला किया है. विधान परिषद और विधानसभा में इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त चर्चा में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछली टीडीपी सरकार ने निजी व्यक्तियों की टेलीफोन पर बातचीत को टैप (रिकॉर्ड) करने के लिए स्पाइवेयर खरीदा था. तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने कहा कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार है, चाहे वह सदन की समिति हो, न्यायिक जांच हो या सीबीआई जांच.

बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस की खरीद की पेशकश को लेकर खुलासा किया था. इसे लेकर आंध्र प्रदेश विधानसभा सदन में हंगामा भी हुआ. टीडीपी एमएलसी और महासचिव नारा लोकेश ने कहा, 'ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहा या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. मेरे एक बंगाली मित्र ने कहा कि उन्होंने जो बंगाली में बात की, उसमें पेगासस शब्द का भी उल्लेख नहीं था. फिर भी, वाईएसआरसी के कार्यकर्ता इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि हालांकि इसे परिषद के कामकाज के एजेंडे में सूचीबद्ध नहीं किया गया था फिर भी सरकार ने पेगासस पर चर्चा की. पूर्व पुलिस महानिदेशक डीजी सवांग ने खुद स्पष्ट किया था कि सरकार द्वारा कभी ऐसा कोई सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा गया था. यहां तक ​​कि इजरायल के राजदूत ने भी कहा कि सॉफ्टवेयर व्यक्तियों या निजी फर्मों को नहीं बेचा गया था जैसा कि वाईएसआरसी द्वारा आरोप लगाया जा रहा था.

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लोकेश ने कहा, हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. दूसरी ओर, पुलिस महानिदेशक स्तर के आईपीएस अधिकारी एबी वेंकटेश्वर राव, जिनके खिलाफ जगन सरकार ने पेगासस को लेकर आरोप लगाए थे, ने कहा कि ऐसी कोई खरीद कभी नहीं की गई थी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, जब तक मैं इंटेलिजेंस प्रमुख (अप्रैल 2019 तक) था, पेगासस या ऐसा कोई स्पाइवेयर नहीं खरीदा गया था. वह अंतिम है. आपको वर्तमान सरकार से पूछना होगा कि क्या मई 2019 के बाद कुछ खरीदा गया था.

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