तिरुअनंतपुरम : केरल में सत्ता पक्ष लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट के साथ ही घोषणापत्र जारी किया है. एलडीएफ ने शुक्रवार को चुनाव घोषणापत्र जारी करते हुए दावा किया है कि यह वामपंथी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा.
एलडीएफ के घोषणापत्र में चुनावी वादें
केरल में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. इसमें शिक्षित युवाओं को अगले पांच साल में रोजगार देने की प्राथमिकता, 40 लाख नए रोजगार सृजन का वादा किया गया है और कृषि क्षेत्र से जुड़े किसानों की आय में 50 प्रतिशत की वृद्धि का वादा किया गया है.
दो-भाग के घोषणापत्र में अगले कार्यकाल के लिए 50 कार्यक्रम और 900 बिंदुओं वाला घोषणापत्र जारी किया गया है. जिसके माध्यम से लेफ्ट पार्टी सत्ता में दोबारा आने के लिए लोगों से कल्याणकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं का लंबा चुनावी वादा किया है.
एलडीएफ के घोषणापत्र में अगले वर्ष में 1.5 लाख घरों का निर्माण, अलग-अलग वर्णों में 1,600 रुपये की सामाजिक सुरक्षा कल्याणकारी पेंशन को धीरे-धीरे पांच साल में बढ़ाकर 1,600 से 2,500 रुपये करने, तटीय क्षेत्र के विकास के लिए 5,000 करोड़ रुपये का पैकेज, गरीबी उन्मूलन के लिए ऋण सुविधा, चरणबद्ध तरीके से रबर की फर्श की कीमत 250 रुपये तक बढ़ाना और 2040 तक सभी समुदायों के धार्मिक विश्वास और बिजली की कमी को रोकने के लिए एक विशेष परियोजना की घोषणा की है.
पढ़ें : वह दिन दूर नहीं जब कर्नाटक में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आएगी : सिद्धारमैया
विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि शुक्रवार को समाप्त हो गई. इससे पहले सभी गठबंधनों द्वारा उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया गया है.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में उम्मीदवारों पर संशय
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बीजेपी और भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) ने अलग-अलग उम्मीदवारों की घोषणा की और भाजपा के नेतृत्व वाले मोर्चें के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा करने वाले पुंजर और एट्टुमानूर निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकन दाखिल किया. हालांकि, अंत में भ्रम और विवादों को समाप्त करने पर एनडीए में एक आम सहमति बन गई है, जिसके बाद यह तय किया गया कि बीजेपी उम्मीदवार एट्टूमनूर से चुनाव लड़ेंगे और बीडीजेएस उम्मीदवार पूंजर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे.
चुनाव चिन्ह की वजह से हो सकती है समस्या
इन सब के बीच अभी तक यह स्प्ष्ट नहीं हो पाया है कि क्या त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार अभिनेता सुरेश गोपी अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं. क्योंकि, सुरेश गोपी भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत राज्य सभा के सदस्य हैं, उनके लिए यह संभव नहीं है कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए पार्टी के सिंबल का इस्तेमाल करें.
यूडीएफ नेता पीजे जोसेफ और उनकी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ भी यही एक समस्या बनी हुई है, क्योंकि उनके गुट का पीसी थामस केरल कांग्रेस के गुट में विलय हो गया था. हालांकि, यूडीएफ लीडर जोसेफ पार्टी चिन्ह के तौर पर 'ट्रैक्टर' या 'नारियल ग्रोव' के चिन्ह में से एक को चुनने के लिए विचार कर रहे हैं.
अस्वीकार किए जाने की संभावना से बचने के लिए, विधायक जोसेफ और उनकी पार्टी के एक अन्य विधायक मोन्स जोसेफ ने नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले विधायकों के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
कांग्रेस में बागी विधायक हमलावर
कांग्रेस के पूर्व सदस्य पीसी चाको उम्मीदवार चयन के विरोध में कांग्रेस छोड़ने के बाद राज्य कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ लगातार गंभीर आरोप लगा रहे हैं. पीसी चाको अब एलडीएफ के साथ जुड़ गए हैं और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं बचा है. वो अपनी पसंद के लोगों को ही टीकट दे रहे हैं.
हरिपद में बागी उम्मीदवार नियास भारती ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी यूडीएफ की उम्मीदवार सूची में अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ाई है. नियास भारती युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और केरल कांग्रेस (केपीसीसी) कार्यकारी बोर्ड के सदस्य हैं.
बता दें कि केरल में 6 अप्रैल को एक ही चरण में चुनाव होना है. राज्य में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 19 मार्च यानी कल शुक्रवार को थी. नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 22 मार्च है.