नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी विधेयक का बचाव करते हुए शुक्रवार को कहा कि मौजूदा कानून निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर चुप है और इस उद्देश्य के लिए कोई चयन समिति नहीं है, इसलिए प्रधान न्यायाधीश को इससे बाहर रखने का सवाल ही नहीं उठता. संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने (मार्च में) एक आदेश जारी कर कहा था कि संसद को इस संबंध में कानून बनाना चाहिए.
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#WATCH | Delhi: Union Minister of Law and Justice Arjun Ram Meghwal says, "Supreme Court had given a decision in this regard...So we brought the law according to the decision of the Supreme Court...In the new Bill, we are forming a Search Committee which will be led by the… https://t.co/v7b8MkbiES pic.twitter.com/IkNyvw43Oq
— ANI (@ANI) August 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 11, 2023
उन्होंने कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर इस संबंध में एक विधेयक लेकर आए हैं. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि जब तक कानून नहीं बन जाता, तब तक उसके द्वारा प्रस्तावित (चयन) समिति ही ठीक रहेगी.' न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा था कि समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे. न्यायमूर्ति जोसेफ अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मेघवाल ने कहा कि 1952 से सीईसी और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति सरकार कर रही है.
उन्होंने कहा, 'यहां तक कि कांग्रेस (जब सत्ता में थी) ने भी नियुक्तियां कीं. फिर 1991 में एक कानून बनाया गया. यह सेवा, भत्ते और कार्यकाल से संबंधित था. लेकिन वह नियुक्तियों के तरीके के मुद्दे पर चुप थी.' उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया का मुद्दा लंबित है. नए विधेयक में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक जांच समिति का प्रस्ताव किया गया है. इसमें पांच नामों को छांटा जाएगा, इसके बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति होगी. इसमें गलत क्या है?'
सरकार द्वारा मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से बाहर रखने के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में मेघवाल ने कहा, 'वह किस समिति में थे, कौन थे समिति में, मुझे बताएं.' सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक विवादास्पद विधेयक पेश किया, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के चयन के लिए समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान है.
यह विधेयक ऐसे समय में आया है जब कुछ महीने पहले मार्च में उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति इन आयुक्तों की नियुक्ति पर संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक सीईसी और चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी.
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(भाषा)