हर साल पोखरण परमाणु परीक्षण के दिन नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है. 11 मई 1998 को भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था. इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का हमारे दैनिक जीवन में क्या महत्व है, इसको प्रमुखता से उद्धृत करना है. आज की परिस्थिति में देखें तो कोरोना के समय में यह सबसे अधिक प्रासंगिक है. टेक्नोलॉजी का क्या महत्व होता है, कोरोना के समय में हमें पता चल रहा है. अभी आशंका जाहिर की जा रही है कि तीसरी और चौथी लहर कोरोना की आ सकती है. तकनीक की वजह से ही हम कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. इसलिए यह सर्वथा उपयुक्त समय है कि हम इस मौके पर मूल्यांकन करें कि तकनीक का मानव के जीवन में और अधिक कैसे उपयोग किया जाए कि कोरोना जैसी समस्याओं पर जल्द से जल्द निजात पा सकें.
तकनीक का बहुत तेजी से विकास हो रहा है. हर साल नई-नई खोज सामने आ रही है. लेकिन कोविड ने इसकी गति में अप्रत्याशित रूप से तेजी ला दी है. हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा है. लॉकडाउन और कोरोना वायरस पर नियंत्रण लगाने में तकनीक हमारे रास्ते को सुगम कर रहा है. निर्णायक भूमिका अदा कर रहा है. जैसे- हैंड फ्री डोर ओपनर से लेकर ऑक्सीजन वैंटिलेटर का ईजाद कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान है. और यह सब तकनीक की मदद से संभव हो पा रहा है. डिजिटल पेमेंट, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा, वर्चुअल बैठक, कंटेक्टलेस डिलीवरी, रोबोट और ड्रोन का प्रयोग भी कुछ अन्य उदाहरण हैं.
कोविड महामारी ने हमे एक नया अवसर और जरूरत प्रदान किया है कि कैसे उसके खिलाफ तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट, बिग डेटा, ब्लॉकचेन, 5जी, रोबोटिक्स, ड्रोन, जीन एडिटिंग की मदद से हम कोरोना वायरस को डिटेक्ट कर पा रहे हैं. उसकी मदद से मैपिंग, सर्विलांस, स्क्रीनिंग, डिटेक्टिंग, मॉनिटरिंग और जागरूकता फैलाया जा रहा है. इसकी बेहतर निगरानी में उभरती हुई टेक्नोलॉजी के प्रयोग की आवश्यकता है. वैक्सीन डेवलपमेंट, रिसोर्स का आवंटन, ट्रीटमेंट, नियंत्रण, ट्रैकिंग, प्रिवेंशन में टेक्नोलॉजी से मदद मिल सकती है.
टेलीमेडिसिन - रोगी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच संपर्क की जरूरत नहीं. संबंधित डेटा रीयल टाइम पर मिल जाता है.
थर्मल स्क्रीनिंग - थर्मल स्क्रीनिंग रेडिएशन (विकिरण) का पता लगाने की एक प्रक्रिया है. किसी वस्तु द्वारा उत्सर्जित विकिरण की मात्रा तापमान के साथ बढ़ जाती है. इसलिए थर्मोग्राफी तापमान में बदलाव को देखने की अनुमति देता है. अगर किसी को फीवर है, तो थर्मल स्क्रीनिंग में उसका पता चल जाता है. उसके बाद उसका कोरोना टेस्ट करवाया जा सकता है.
मास्क के साथ चेहरे की पहचान
फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी की वजह से डीप लर्निंग सिस्टम में बहुत बड़ा सुधार हुआ है. इसकी मदद से मास्क के साथ चेहरे की पहचान की जा सकती है. इसकी सटीकता 95 फीसदी तक है. सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीक है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से सूचना प्रसंस्करण और निर्णय लेने में मदद मिलती है. यह वायरस के निदान की सटीकता, गति और दक्षता में मदद करता है. प्रारंभिक उपचार एआई-संचालित एनालिटिक्स के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को किसी रोगी को लेकर सही दृष्टिकोण खोजने में मदद कर सकता है. मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ, रासायनिक और जैविक इंटरैक्शन की खोज को आगे बढ़ाकर ड्रग डेवलपमेंट में सुधार किया जा सकता है. यह बाजार में जल्दी से नए टीके लाने में मदद करेगा.
महामारी के समय स्पेस सेवा
लॉकेशन बेस्ट सर्विस देने में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मदद ली जाती है. लॉकडाउन की वजह से लोग बाहर नहीं निकल पाते हैं. होम डिलीवरी के लिए इस तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. कोविड ट्रेसिंग के लिए, दवा पहुंचाने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है.
क्वांटम कंप्युटिंग
जटिल रासायनिक प्रतिक्रियाओं से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है. ड्रग डेवलपमेंट में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है. प्रोडक्ट डेवलपमेंट साइकल और अनुसंधान और विकास पर होने वाले खर्च में काफी राहत मिल सकेगी.
प्लॉट कंपनी ने 'डोरबेल' तैयार किया है. यह लोगों के तापमान को रीड कर लेता है. इसका नाम 'एट्टी' दिया गया है. अलार्म डॉट कॉम नाम की दूसरी कंपनी ने बैक्टीरिया और वायरस से बचने के लिए टच-लेस-वीडियो डोरबेल तैयार किया है. आपको अलार्म बजाने की जरूरत नहीं होती है. आप वहां जाकर खड़े हो जाइए, आपका तापमान वह माप लेगा. डोरबेल खुद ही बजेगा. टच की कोई जरूरत नहीं है.
ऐसे रोबोट बनाए गए हैं, जो अल्ट्रावायलेट लाइट रेडिएट करते हैं. जहां पर ज्यादा ट्रैफिक है या फिर जहां पर बहुत अधिक टच का इस्तेमाल किया जाता है, डिस्इन्फेक्ट करने के लिए वहां पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. रेस्तरां और रिटेल स्टोर में भी उपयोग किया जा रहा है. ऐसे सेंसर बनाए गए हैं, जो आपकी बॉडी से चिपक कर फ्लुलाइक लक्षणों का पता लगा सकता है.
एक खास प्रकार का मास्क बनाया गया है. इसमें माइक्रोफोन लगा है. इसे 'मास्कवन' नाम दिया गया है. आप बिना टच किए ही किसी से फोन पर बात कर सकते हैं. बाहर में कहीं जा रहे हैं, तो आप हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और प्रदूषण से बच सकते हैं.
एक अन्य प्रकार का मास्क है 'एयरपॉप एक्टिव प्लस'. यह आपकी ब्रीदिंग को ट्रैक करता है. कब आपको फिल्टर हटाने की जरूरत है, मास्क में लगा सेंसर आपको बता देगा. इसी तरह से 'अमेजफिट' मास्क की अलग ही खूबी है. यह पारदर्शी है. दावा किया जा रहा है कि इसमें लगी यूवी लाइट्स मात्र 10 मिनट में फिल्टर को साफ कर देती है.
फ्लुओ लैब्स ने 'फ्लो' का डेब्यू किया. जब आपके शरीर में धूलकण या अन्य एलर्जिक कण प्रवेश करता है, तो फ्लो शरीर को हिस्टामाइन छोड़ने से रोकती है. आप अपने नथुने में फ्लो डालें और इसे 10 सेकंड तक चलने दें और फिर इसे दूसरे नथुने में दोहराएं. फ्लो हिस्टामाइन की छोड़ने से रोकने और सूजन को कम करने के लिए तरंग दैर्ध्य, खुराक, शक्ति और नाड़ी संरचना के सटीक संतुलन पर लाल और निकट अवरक्त प्रकाश का उपयोग करता है.
'हेल्दीयू' के साथ घर में अपने हार्ट की निगरानी कर सकते हैं. एचडी मेडिकल ने सेवन लेड ईसीजी, तापमान सेंसर, पल्स ऑक्सीमीटर, हृदय और फेफड़े की आवाज रिकॉर्ड करने के लिए माइक्रोफोन, हृदय गति मॉनिटर और ब्लड प्रेशर सेंसर को इससे युक्त किया है. यह गो प्रो कैमरा से भी छोटा है. आप तकनीक जानें या न जानें, लेकिन इसका आसानी से उपयोग कर सकते हैं.
इससे जुड़ा ब्लड प्रेशर कफ आपके डॉक्टर को डेटा भेजता है. ओमरोन की मदद से ब्लड प्रेशर का आंकड़ा डॉक्टर के पास पहुंच जाता है. कंपनी का नया ओमरॉन वाइटलसाइट किट ब्लड प्रेशर कफ, स्केल और एक सुरक्षित मॉडेम से लैस डेटा हब के साथ आता है, जो आपके ब्लड प्रेशर रीडिंग को डॉक्टर के पास स्वचालित रूप से अपलोड करता है.
भारतीय कंपनियां
वेरलूप आईओ - यह एक व्हाट्सएप चैट बॉट है. यह ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद, वितरण और वैक्सीन स्लॉट खोजने में मदद करता है. आप अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर किसी भी राज्य और जिले में उपलब्ध स्लॉट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इसका मुख्यालय बेंगलुरु है.
कोरोना ओवेन - इसे लॉग 9 मैटेरियल्स ने तैयार किया है. यह बेंगलुरु स्थित स्टार्ट अप है. यह यूवी-सी लाइट (253 एनएम के तरंग दैर्ध्य) का उपयोग करता है. डिवाइस चार मिनट के भीतर बैक्टीरिया और सतह से वायरस का नाश करने का दावा करता है. आप इसे किसी भी वस्तु और सुरक्षात्मक उपकरण में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
विस्टार एयर प्यूरीफायर - दिल्ली की स्टार्ट अप एयरओक ने इसे तैयार किया है. यह एक एयर प्यूरिफायर है. यह प्रमुख प्रदूषकों और हानिकारक पदार्थों का फिल्टर करता है. इसने इसे पेटेंट फिल्टर तकनीक से तैयार किया है. इसे ईजीएपीए यानि एफिशियेंट ग्रेन्युलर एब्सॉर्बेंट पार्टिकुलेट एरेस्टर कहते हैं.
मिलाग्रो सीगल - मिलाग्रो द्वारा तैयार किया गया यह एक क्लीनिंग रोबोट है. यह उपयोगकर्ता के डिवाइस पर सफाई करते समय वास्तविक समय की प्रगति और मानचित्र प्रदर्शित करता है. रोबोट वैक्यूम में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीवायरल गुण भी हैं, जो अस्पतालों और इसी तरह के वातावरण में संक्रमण के प्रसार को कम करने में मदद करने का दावा करता है.
डोजी - इसे टरटल शेल टेक्नोलॉजी द्वारा बनाया गया है. इसका उद्देश्य स्थितियों के सटीक निदान के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बनाने में मदद करना है. यह उपकरण विभिन्न बीमारियों के प्रारंभिक निदान में मदद कर सकता है और अस्पतालों में जाने और कई परीक्षणों से गुजरने में लगने वाले समय को कम करता है. यह एक स्मार्ट कॉन्टैक्ट-फ्री हेल्थ मॉनीटर है जिसे कोई भी अपने पास रख सकता है. आप अपने स्मार्ट फोन में इसे इंस्टॉल कर सकते हैं. यह हृदय स्वास्थ्य, तनाव, नींद की गुणवत्ता को ट्रैक कर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखता है.
कोरोना महामारी से निपटने में सामाजिक दूरी और मास्क के प्रयोग के साथ-साथ नई-नई तकनीकों का प्रयोग बड़ी भूमिका अदा कर रहा है.
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार कितनी जल्दी डिजाइन, अनुकूलन, नवाचार कर सकते हैं और नई तकनीकों का निर्माण कर सकते हैं. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए नई तकनीकों जैसे थर्मल स्टेबल टीका, मस्तिष्क में होलोग्राम, ऑप्टोजेनेटिक्स, मस्तिष्क कोशिकाओं की गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए तकनीक, आणविक जीव विज्ञान में नवीनतम प्रगति के साथ बेहतर एंटीबॉडी का निर्माण, दुनिया भर में मजबूत अनुसंधान फोकस के साथ उभर रहे हैं. चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय वैश्विक मंच पर एक दूसरे के साथ उत्कृष्ट सहयोग के प्रयास कर रहे हैं. हमें यह जान लेना चाहिए कि कोविड के खिलाफ लड़ाई कोई रेस नहीं बल्कि यह एक मैराथन है. तकनीक और ज्ञान के साथ ही इसका सामना किया जा सकता है.
(लेखक- डॉ के बालाजी रेड्डी, पीएचडी)