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लक्षद्वीप में केरोसिन तेल का वितरण 30 जून से होगा बंद

केरोसिन मुक्त का दर्जा हासिल करने के लिए लक्षद्वीप के डीसी ने गोदाम कीपर ने आपूर्ति विभाग को पत्र भेजकर 30 जून तक मिट्टी के तेल का वितरण बंद करने तथा मिट्टी के तेल पर आश्रित लाभार्थी को भोजन बनाने की वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया कराने के निर्देश दिये हैं.

लक्षद्वीप प्रशासन
लक्षद्वीप प्रशासन
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Published : Jun 22, 2022, 6:56 AM IST

लक्षद्वीप : एक जुलाई तक केरोसिन मुक्त का दर्जा प्राप्त करने के लिए लक्षद्वीप के डिसी ने गोदाम कीपर आपूर्ति एवं विपणन समिति कवरत्ती को पत्र भेजकर 30 जून तक मिट्टी के तेल का वितरण बंद करने तथा मिट्टी के तेल पर आश्रित किसी भी लाभार्थी को भोजन बनाने का वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया कराने के आदेश दिए हैं. बता दें कि भारत सरकार केरोसिन तेल पर लोगों की निर्भरता कम करने के लिए उज्जवला योजना चला रही है जिससे कि केरोसिन के तेल पर आश्रित परिवार को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जा सके. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार समय समय पर केरोसिन मुक्त योजना की समीक्षा करती है और प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देती है, ताकि लक्ष्य को समय सीमा के तहत हासिल किया जा सके. इसका उद्देश्य यह है कि इससे पर्यावरण को बचाया जाए और पेट्रोल में मिलावट को भी रोका जाए.

डीसी के पत्र के अनुसार केरोसिन मुक्त करने के विषय पर निदेशक, एफसीएस और सीए विभाग, यूटीएल ने सूचित किया है कि गृह मंत्रालय ने अप्रैल 1, 2022 तक केरोसिन मुक्त स्थिति हासिल करने के लिए अतिरिक्त समय सीमा प्रदान करने का अनुरोध किया है. इस संबंध में, यूटीएल ने 1 जुलाई 2022 तक केरोसिन मुक्त स्थिति प्राप्त करने की योजना बनाई है. इसलिए आपको 30 जून तक मिट्टी के तेल के वितरण को रोकने और मिट्टी के तेल पर निर्भर किसी भी लाभार्थी को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है.

इस पत्र के अनुसार सभी घरों में एलपीजी कनेक्शन और एलपीजी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ गैस सिलेंडर की शत प्रतिशत आपूर्ति सुनिश्चित करने और कवरत्ती में एलपीजी ग्राहकों के लिए वेटिंग लिस्ट के समय को शून्य करने का निर्देश दिया. प्रशासन ने आगे इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने और जल्द से जल्द अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. बता दें कि दिल्ली देश का पहला केरोसिन मुक्त शहर बना था. इस केरोसिम मुक्त योजना से पहले दिल्ली में 53,000 लीटर केरोसिम की खपत होती थी और केंद्र सरकार 15 रुपया प्रति लीटर सब्सिडी दिया करती थी. हालांकि इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार ने तकरीबन 62 करोड़ रुपये खर्च करके लगभग दो लाख परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराया गया था.

लक्षद्वीप : एक जुलाई तक केरोसिन मुक्त का दर्जा प्राप्त करने के लिए लक्षद्वीप के डिसी ने गोदाम कीपर आपूर्ति एवं विपणन समिति कवरत्ती को पत्र भेजकर 30 जून तक मिट्टी के तेल का वितरण बंद करने तथा मिट्टी के तेल पर आश्रित किसी भी लाभार्थी को भोजन बनाने का वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया कराने के आदेश दिए हैं. बता दें कि भारत सरकार केरोसिन तेल पर लोगों की निर्भरता कम करने के लिए उज्जवला योजना चला रही है जिससे कि केरोसिन के तेल पर आश्रित परिवार को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जा सके. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार समय समय पर केरोसिन मुक्त योजना की समीक्षा करती है और प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देती है, ताकि लक्ष्य को समय सीमा के तहत हासिल किया जा सके. इसका उद्देश्य यह है कि इससे पर्यावरण को बचाया जाए और पेट्रोल में मिलावट को भी रोका जाए.

डीसी के पत्र के अनुसार केरोसिन मुक्त करने के विषय पर निदेशक, एफसीएस और सीए विभाग, यूटीएल ने सूचित किया है कि गृह मंत्रालय ने अप्रैल 1, 2022 तक केरोसिन मुक्त स्थिति हासिल करने के लिए अतिरिक्त समय सीमा प्रदान करने का अनुरोध किया है. इस संबंध में, यूटीएल ने 1 जुलाई 2022 तक केरोसिन मुक्त स्थिति प्राप्त करने की योजना बनाई है. इसलिए आपको 30 जून तक मिट्टी के तेल के वितरण को रोकने और मिट्टी के तेल पर निर्भर किसी भी लाभार्थी को वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है.

इस पत्र के अनुसार सभी घरों में एलपीजी कनेक्शन और एलपीजी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ गैस सिलेंडर की शत प्रतिशत आपूर्ति सुनिश्चित करने और कवरत्ती में एलपीजी ग्राहकों के लिए वेटिंग लिस्ट के समय को शून्य करने का निर्देश दिया. प्रशासन ने आगे इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने और जल्द से जल्द अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. बता दें कि दिल्ली देश का पहला केरोसिन मुक्त शहर बना था. इस केरोसिम मुक्त योजना से पहले दिल्ली में 53,000 लीटर केरोसिम की खपत होती थी और केंद्र सरकार 15 रुपया प्रति लीटर सब्सिडी दिया करती थी. हालांकि इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार ने तकरीबन 62 करोड़ रुपये खर्च करके लगभग दो लाख परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराया गया था.

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एएनआई

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