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लखीमपुर हिंसा: केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत पर सुनवाई आज

लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले में सोमवार को एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी, वहीं दूसरी तरफ जिला जज की अदालत में लखीमपुर खीरी में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra), उनके साथी आशीष पाण्डेय और लवकुश की जमानत पर भी सुनवाई होगी. इसके पहले लोअर कोर्ट से तीनों की जमानत रद्द की जा चुकी है.

केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत पर सुनवाई आज
केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत पर सुनवाई आज
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Published : Nov 15, 2021, 9:16 AM IST

लखीमपुर खीरी: लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले में आज केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के आरोपी बेटे आशीष (Ashish Mishra) सहित दो अन्य आरोपियों की जमानत पर सुनवाई होनी है. जिला जज मुकेश मिश्रा की अदालत में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा, आशीष पाण्डेय और लवकुश की जमानत पर सुनवाई होगी. अभियोजन की तरफ से डीजीसी क्रिमिनल अरविंद त्रिपाठी और बचाव पक्ष की तरफ से अवधेश सिंह और उनकी टीम जमानत पर बहस करेगी.

तिकुनिया में तीन अक्टूबर को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के विरोध को अग्रसेन ग्राउंड के मैदान पर हजारों किसान इकट्ठा हुए थे. संयुक्त किसान मोर्चा की कॉल पर किसानों ने हेलीपैड पर कब्जा कर लिया था. इसी दौरान दोपहर में जब डिप्टी सीएम का कार्यक्रम बदल गया और रूट डायवर्ट हो गया तो किसान वापस जा रहे थे. तभी पीछे से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की थार जीप ने चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया था. इसके कई वीडियो भी वायरल हुए थे.

किसानों का आरोप है कि इस हत्याकांड में थार गाड़ी मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा चला रहे थे. हालांकि, आशीष आरोपों को नकारते रहे हैं. इस मामले में तिकुनिया कोतवाली में किसानों की तरफ से एफआईआर दर्ज है. अब तक मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा मोनू उनके साथी व्यापारी अंकित दास सहित 13 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. एसआईटी इसकी जांच कर रही है.

इधर, तिकुनिया में थार चढ़ाने की घटना के बाद भड़की हिंसा में किसानों पर भी आरोप है कि उग्र भीड़ ने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी, जिस पर केंद्रीय मंत्री के ड्राइवर हरिओम मिश्रा, भाजपा के मंडल मंत्री श्यामसुंदर निषाद और भाजपा कार्यकर्ता शिवम मिश्रा की हत्या हुई थी. दूसरे मुकदमे में भी एसआईटी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हैं. तिकुनिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट की भी सुप्रीम नजर बराबर बनी हुई है.

यह भी पढ़ें: ट्यूशन के लिए निकली नाबालिग छात्रा से गैंगरेप के बाद हत्या, परिजनों का शव के अंतिम संस्कार से इनकार

स्टेटस रिपोर्ट से लेकर गवाहों की सुरक्षा और जांच में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जता चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया था कि किसी अन्य राज्य के रिटायर्ड जज की निगरानी में क्यों न तिकुनिया हिंसा मामले की जांच कराई जाए.

लखीमपुर खीरी: लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Violence) मामले में आज केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के आरोपी बेटे आशीष (Ashish Mishra) सहित दो अन्य आरोपियों की जमानत पर सुनवाई होनी है. जिला जज मुकेश मिश्रा की अदालत में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा, आशीष पाण्डेय और लवकुश की जमानत पर सुनवाई होगी. अभियोजन की तरफ से डीजीसी क्रिमिनल अरविंद त्रिपाठी और बचाव पक्ष की तरफ से अवधेश सिंह और उनकी टीम जमानत पर बहस करेगी.

तिकुनिया में तीन अक्टूबर को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के विरोध को अग्रसेन ग्राउंड के मैदान पर हजारों किसान इकट्ठा हुए थे. संयुक्त किसान मोर्चा की कॉल पर किसानों ने हेलीपैड पर कब्जा कर लिया था. इसी दौरान दोपहर में जब डिप्टी सीएम का कार्यक्रम बदल गया और रूट डायवर्ट हो गया तो किसान वापस जा रहे थे. तभी पीछे से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की थार जीप ने चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया था. इसके कई वीडियो भी वायरल हुए थे.

किसानों का आरोप है कि इस हत्याकांड में थार गाड़ी मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा चला रहे थे. हालांकि, आशीष आरोपों को नकारते रहे हैं. इस मामले में तिकुनिया कोतवाली में किसानों की तरफ से एफआईआर दर्ज है. अब तक मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा मोनू उनके साथी व्यापारी अंकित दास सहित 13 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. एसआईटी इसकी जांच कर रही है.

इधर, तिकुनिया में थार चढ़ाने की घटना के बाद भड़की हिंसा में किसानों पर भी आरोप है कि उग्र भीड़ ने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी, जिस पर केंद्रीय मंत्री के ड्राइवर हरिओम मिश्रा, भाजपा के मंडल मंत्री श्यामसुंदर निषाद और भाजपा कार्यकर्ता शिवम मिश्रा की हत्या हुई थी. दूसरे मुकदमे में भी एसआईटी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हैं. तिकुनिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट की भी सुप्रीम नजर बराबर बनी हुई है.

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स्टेटस रिपोर्ट से लेकर गवाहों की सुरक्षा और जांच में देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जता चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया था कि किसी अन्य राज्य के रिटायर्ड जज की निगरानी में क्यों न तिकुनिया हिंसा मामले की जांच कराई जाए.

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