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लखीमपुर खीरी के 600 लोगों का दिन का चैन और रात की नींद हराम, कह रहे हमें पाकिस्तान क्यों नहीं भेज देते - मैलानी की दुकानें आज बंद क्यों

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मैलानी कस्बे में रह रहे 80 परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूटकर गिर पड़ा है. जब से रेलवे का नोटिस मिला है न खाना ठीक से खा पा रहे हैं और ना ही काम धंधे में मन लग रहा. हर वक्त यही डर रहता है कि कब उनके घर पर बुलडोजर चल जाए. इसीलिए आज सब घर से निकले. न्याय की आस में अपनी आवाज बुलंद की. लेकिन इंडो नेपाल की सीमा पर बसे मैलानी कस्बे के इन लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचती है या नहीं ये वक्त के गर्भ में है.

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Published : Apr 5, 2023, 4:54 PM IST

लखीमपुर खीरी के मैलानी के लोगों के दर्द को बयां करती ईटीवी संवाददाता की खास रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मैलानी कस्बे की सभी दुकानें आज बुधवार को बंद हैं. सड़कों पर सन्नाटा है. लेकिन, इस सन्नाटे को सेकड़ों महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों की आवाजें खत्म कर रही हैं. हाथ में बैनर, पोस्टर और तख्ती लेकर कह रहे हैं, योगी जी न्याय करो, मोदी जी न्याय करो, हम बेचारे हैं कहां जाएं?

प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों में मैलानी व्यापार मंडल के पूर्व मंत्री करनदीप वालिया रुंधे गले से अपना दर्द बयां करते हैं. कहते हैं, '45 साल से यहीं रह रहे, अब रेलवे ने नोटिस लगा दिया, बताइए इस बुढ़ापे में कहां जाएं. बरसों से यही रोजी रोटी चला रहे. 600 लोग हैं 80 परिवार. यही घर है यही दुकान. कुछ साथी हमारे तो पाकिस्तान के बंटवारे के समय आए थे. तब भी घर टूटे थे अब फिर.' हाथ जोड़कर कहते हैं, 'योगी जी, मोदी जी, इससे बढ़िया हम लोगों को फिर पाकिस्तान भेज दो. या जहर दे दो. बुढ़ापे में बताओ कहां चले जाएं हम लोग.'

Lakhimpur Kheri
रेलवे का नोटिस दुकान पर चिपकाता कर्मचारी

मनदीप साहनी कहते हैं, 'हम लोग तीन पीढ़ियों से यहीं रह रहे हैं. बंटवारे के समय वहां पर हो रहे अत्याचारों से परेशान होकर बमुश्किल अपनी जान बचाकर भारत में शरणार्थी बन कर आए थे. उस समय की सरकार ने यहां बसाया था. तभी से घर दुकान यहीं चला रहे हैं. अब उजाड़ा जा रहा. बताइए कहां चले जाएं परिवार को लेकर?'

मनदीप अपने साथ खड़े शख्स की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, 'ये कैंसर पीड़ित हैं, खर्च चलाना, दवा कराना भारी पड़ रहा है. बताइए अब नोटिस लगा रहे हैं. पुश्तों से यही घर था, यही आशियाना. अब सड़क पर चले जाएं क्या? प्लीज योगी जी मोदी जी कुछ दया करो हम पर.' नोटिस की जद में आए सिंघल कहते हैं,'बताइए बसी बसाई गृहस्थी लेकर इस वक्त कहां चले जाएं. पीढ़ियों से व्यापार दुकान चलाते आ रहे हैं. धंधा पहले से मंदा है. अब घर भी चला जाएगा. सरकार तो बसाती है, उजाड़ती नहीं. हमारी भी मांग है कि सरकार ध्यान दे, हमारे घर न उजड़ें.'

Lakhimpur Kheri
रेलवे का नोटिस

1891 में इस इलाके में अंग्रेजो ने रेल पटरी बिछाकर रेलवे स्टेशन बनाया. तब साखू की लकड़ी के स्लीपर रेलवे लाइन में बिछाने को देशभर में तराई के इस इलाके लखीमपुर खीरी से जाते थे. सरकार ने भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद आए रिफ्यूजी को इस इलाके में बसाया. कुछ रेलवे स्टेशन के बाहर होटल, दुकान चलाने लगे. जो आगे चलजर पक्के निर्माण में तब्दील हो गए.

नोटिस में लिखा है सात दिन में खाली कर दें मकानः रेलवे ने मैलानी जंक्शन के बाहर 80 वर्षों से रह रहे लोगों के घरों के बाहर नोटिस चस्पा कर दी है. लिखा है, घर सात दिन के अंदर खाली कर दें. खुद अतिक्रमण हटा लें. नोटिस चस्पा होते ही शरणार्थी परिवारों सहित पूर्व में बसे हुए कई परिवारों पर रोजगार सहित रहने के लिए घरों का संकट छा गया. पीड़ित परिवार के लोग क्षेत्रीय विधायक, सांसद, जिला अधिकारी सहित मुख्यमंत्री कार्यालय तक अपनी फरियाद लेकर पहुंचे थे. लेकिन, किसी प्रकार की राहत न मिलने के चलते कस्बे के लोगों को महिलाओं व बच्चों संग बाजार बंद करके सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ा.

रेलवे की भूमि की पैमाइश 20 मार्च को कराई गई थी. रेलवे के अनुसार पैमाइश होने के बाद जिला प्रशासन से उनको मिली रिपोर्ट के आधार पर रेल विभाग की कुछ भूमि मुख्य बाजार में बने भवनों में निकली, जिसमें 80 वर्षों से देश बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आए शरणार्थी सहित लगभग 80 परिवार अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. वर्तमान समय में भूमि पर श्री गुरुद्वारा सिंह सभा सहित काफी संख्या में प्रधानमंत्री आवास बने हुए हैं, जिसका सर्वे जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है और धनराशि भी आवंटित की जाती है.

शरणार्थियों का कहना है कि बंटवारे के दौरान उनके पूर्वज वहां पर हिंदू परिवारों पर हो रहे एक तरफा अत्याचारों से परेशान होकर बमुश्किल अपनी जान बचा कर यहां आए थे. उनको तत्कालीन सरकारों द्वारा मैलानी कस्बे के मुख्य बाजार की सड़क के निकट खाली पड़ी भूमि पर रहने के लिए जगह दी गई थी. बीते 80 वर्षों से उक्त भूमि पर 4 पुश्तों से लोग अपनी दुकान मकान बनाकर रह रहे हैं. हम सभी लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन विधायक एवं सांसद ने गुरुद्वारा सिंह सभा के निर्माण में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी, जो उसी समय से बना हुआ है. मगर रेलवे द्वारा कभी भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई और सभी लोग शांति से अपना जीवन यापन कर रहे थे. पर अब जगह खाली करने का नोटिस लगा दिया गया है.

ये भी पढ़ेंः मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का नहीं होगा सर्वे, मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर कोर्ट ने किया स्थगित

लखीमपुर खीरी के मैलानी के लोगों के दर्द को बयां करती ईटीवी संवाददाता की खास रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मैलानी कस्बे की सभी दुकानें आज बुधवार को बंद हैं. सड़कों पर सन्नाटा है. लेकिन, इस सन्नाटे को सेकड़ों महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों की आवाजें खत्म कर रही हैं. हाथ में बैनर, पोस्टर और तख्ती लेकर कह रहे हैं, योगी जी न्याय करो, मोदी जी न्याय करो, हम बेचारे हैं कहां जाएं?

प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों में मैलानी व्यापार मंडल के पूर्व मंत्री करनदीप वालिया रुंधे गले से अपना दर्द बयां करते हैं. कहते हैं, '45 साल से यहीं रह रहे, अब रेलवे ने नोटिस लगा दिया, बताइए इस बुढ़ापे में कहां जाएं. बरसों से यही रोजी रोटी चला रहे. 600 लोग हैं 80 परिवार. यही घर है यही दुकान. कुछ साथी हमारे तो पाकिस्तान के बंटवारे के समय आए थे. तब भी घर टूटे थे अब फिर.' हाथ जोड़कर कहते हैं, 'योगी जी, मोदी जी, इससे बढ़िया हम लोगों को फिर पाकिस्तान भेज दो. या जहर दे दो. बुढ़ापे में बताओ कहां चले जाएं हम लोग.'

Lakhimpur Kheri
रेलवे का नोटिस दुकान पर चिपकाता कर्मचारी

मनदीप साहनी कहते हैं, 'हम लोग तीन पीढ़ियों से यहीं रह रहे हैं. बंटवारे के समय वहां पर हो रहे अत्याचारों से परेशान होकर बमुश्किल अपनी जान बचाकर भारत में शरणार्थी बन कर आए थे. उस समय की सरकार ने यहां बसाया था. तभी से घर दुकान यहीं चला रहे हैं. अब उजाड़ा जा रहा. बताइए कहां चले जाएं परिवार को लेकर?'

मनदीप अपने साथ खड़े शख्स की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, 'ये कैंसर पीड़ित हैं, खर्च चलाना, दवा कराना भारी पड़ रहा है. बताइए अब नोटिस लगा रहे हैं. पुश्तों से यही घर था, यही आशियाना. अब सड़क पर चले जाएं क्या? प्लीज योगी जी मोदी जी कुछ दया करो हम पर.' नोटिस की जद में आए सिंघल कहते हैं,'बताइए बसी बसाई गृहस्थी लेकर इस वक्त कहां चले जाएं. पीढ़ियों से व्यापार दुकान चलाते आ रहे हैं. धंधा पहले से मंदा है. अब घर भी चला जाएगा. सरकार तो बसाती है, उजाड़ती नहीं. हमारी भी मांग है कि सरकार ध्यान दे, हमारे घर न उजड़ें.'

Lakhimpur Kheri
रेलवे का नोटिस

1891 में इस इलाके में अंग्रेजो ने रेल पटरी बिछाकर रेलवे स्टेशन बनाया. तब साखू की लकड़ी के स्लीपर रेलवे लाइन में बिछाने को देशभर में तराई के इस इलाके लखीमपुर खीरी से जाते थे. सरकार ने भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद आए रिफ्यूजी को इस इलाके में बसाया. कुछ रेलवे स्टेशन के बाहर होटल, दुकान चलाने लगे. जो आगे चलजर पक्के निर्माण में तब्दील हो गए.

नोटिस में लिखा है सात दिन में खाली कर दें मकानः रेलवे ने मैलानी जंक्शन के बाहर 80 वर्षों से रह रहे लोगों के घरों के बाहर नोटिस चस्पा कर दी है. लिखा है, घर सात दिन के अंदर खाली कर दें. खुद अतिक्रमण हटा लें. नोटिस चस्पा होते ही शरणार्थी परिवारों सहित पूर्व में बसे हुए कई परिवारों पर रोजगार सहित रहने के लिए घरों का संकट छा गया. पीड़ित परिवार के लोग क्षेत्रीय विधायक, सांसद, जिला अधिकारी सहित मुख्यमंत्री कार्यालय तक अपनी फरियाद लेकर पहुंचे थे. लेकिन, किसी प्रकार की राहत न मिलने के चलते कस्बे के लोगों को महिलाओं व बच्चों संग बाजार बंद करके सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ा.

रेलवे की भूमि की पैमाइश 20 मार्च को कराई गई थी. रेलवे के अनुसार पैमाइश होने के बाद जिला प्रशासन से उनको मिली रिपोर्ट के आधार पर रेल विभाग की कुछ भूमि मुख्य बाजार में बने भवनों में निकली, जिसमें 80 वर्षों से देश बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से जान बचाकर भारत आए शरणार्थी सहित लगभग 80 परिवार अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं. वर्तमान समय में भूमि पर श्री गुरुद्वारा सिंह सभा सहित काफी संख्या में प्रधानमंत्री आवास बने हुए हैं, जिसका सर्वे जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है और धनराशि भी आवंटित की जाती है.

शरणार्थियों का कहना है कि बंटवारे के दौरान उनके पूर्वज वहां पर हिंदू परिवारों पर हो रहे एक तरफा अत्याचारों से परेशान होकर बमुश्किल अपनी जान बचा कर यहां आए थे. उनको तत्कालीन सरकारों द्वारा मैलानी कस्बे के मुख्य बाजार की सड़क के निकट खाली पड़ी भूमि पर रहने के लिए जगह दी गई थी. बीते 80 वर्षों से उक्त भूमि पर 4 पुश्तों से लोग अपनी दुकान मकान बनाकर रह रहे हैं. हम सभी लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन विधायक एवं सांसद ने गुरुद्वारा सिंह सभा के निर्माण में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी, जो उसी समय से बना हुआ है. मगर रेलवे द्वारा कभी भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई और सभी लोग शांति से अपना जीवन यापन कर रहे थे. पर अब जगह खाली करने का नोटिस लगा दिया गया है.

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