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अब MP की धरती पर ही उतरेंगे नामीबियाई चीते, जानिए क्यों ग्वालियर में होगी लैंडिंग, चिनूक हेलीकॉप्टर कहां हैं तैयार - चिनूक हेलीकॉप्टर से लाए जाएंगे चीते

मध्य प्रदेश के श्योपुर कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में नामीबियाई चीतों की लैंडिंग अब जयपुर में नहीं बल्कि सीधे ग्वालियर में होगी, इसके बाद इन्हें कुनो राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया जाएगा. भारत आने से पहले इसकी रिहर्सल भी की जा चुकी है. Kuno National Park, Cheetah Project India, Cheetah Gwalior Airport Landing

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Published : Sep 16, 2022, 12:59 PM IST

भोपाल। नामीबिया से भारत लाए जा रहे चीतों की विशेष कार्गो फ्लाईट अब ग्वालियर में ही लैंड करेगी, इससे पहले जो कार्यक्रम तय हुआ था उसमें चीतों का ला रहा विमान जयपुर में उतरने वाला था. इसके बाद यहां चीतों को फिर हैलीकॉप्टर में शिफ्ट किया जाता और जयपुर एयरपोर्ट से ये चीते श्योपुर के पालपुर कूनो नेशनल पार्क पहुंचाए जाने थे. लेकिन अब नामीबिया से उड़ान भरने के बाद चीते सीधे ग्वालियर में ही उतारे जाएंगे. प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव ने ये जानकारी दी है. भारत लाने से पहले इन चीतों को रिहर्सल भी कराई जा चुकी है. दो लोग भारतीय पार्क के कर्मचारियों और चीता प्रबंधकों की सहायता के लिए साथ आएंगे. एक बार भारत में जब ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी फिर पूरा प्रबंधन भारतीय विशेषज्ञों के हाथों में होगा.

  • MP की धरती पर जल्द उतरेंगे नामिबिया चीते, भारत आने के पहले हुई रिहर्सल pic.twitter.com/0aDJRxCi4w

    — ETVBharat MadhyaPradesh (@ETVBharatMP) September 16, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ग्वालियर में लैंडिंग से शिफ्टिंग का टाइम बचेगा: नामीबिया से आ रहे ये चीते अब जयपुर के बजाए सीधे ग्वालियर में लैंडिंग करेंगे, इन चीतों में पांच मादा और 4 नर चीते शामिल हैं. अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों की उम्र करीब 4 से 6 साल तक बताई जा रही है. हांलाकि पहले ये तय हुआ था कि चंबल के नजदीक होने की वजह से जयपुर में विमान की लैंडिंग कराई जाए. और फिर वहां से हैलीकॉप्टर से इन चीतों को ग्वालियर लाया जाएगा. लेकिन अब जानकारी के मुताबिक चीते सीधे ग्वालियर आएंगे. इस बदलाव की वजह से चीतों को कार्गो से हेलीकॉप्टर में शिफ्ट करने में लगने वाला करीब पचास मिनिट का समय भी बच जाएगा.

Namibia cheetahs will come to Gwalior
पीएम नरेंद्र मोदी इसी एनक्लोजर एक में छोडेंग चीता

जानें क्या है बदला हुआ प्लान: इन चीतों को शनिवार तड़के ग्वालियर ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (KNP) ले जाया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनमें से 3 को पार्क में छोड़ देंगे. पहले की योजना के अनुसार, इन जानवरों को ले जाने वाला विशेष विमान अफ्रीकी देश से जयपुर में उतरना था, जहां से उन्हें Kuno National Park भेजा जाना था. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) वन्यजीव जेएस चौहान ने कहा, "चीते ग्वालियर पहुंचेंगे और वहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से केएनपी भेजा जाएगा" अधिकारियों ने पहले कहा था कि आठ चीतों - पांच मादा और तीन नर को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से एक Boing 747-400 विमान में ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा.

Kuno National Park
पीएम नरेंद्र मोदी इसी एनक्लोजर दो में छोडेंग चीता

चिनूक हेलीकॉप्टर से लाए जाएंगे चीते: जेएस चौहान ने पुष्टि की कि ग्वालियर से चीतों को भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर (chinook helicopter) में केएनपी हेलीपैड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. चीता संरक्षण कोष (सीसीएफ) के अनुसार, नामीबिया में मुख्यालय और जंगली में चीता को बचाने के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन, पांच मादा चीता की उम्र दो से पांच साल के बीच है और नर चीता की उम्र 4.5 साल और 5.5 साल के बीच है.

chinook helicopter Cheetah relocation plan
नामीबियाई फॉरेस्ट एक्सपर्ट देंगे चीतों के प्रबंधन की ट्रेनिंग

भारत में कब दिखे थे चीते: भारत में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है, जो पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था, और इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना 2009 में की गई थी और केएनपी में पिछले साल नवंबर तक बड़ी बिल्ली को पेश करने की योजना को कोरोना ​​(Covid​​-19) महामारी के कारण झटका लगा.

Cheetah Exclusive Video, नामीबिया से चीतों के साथ आ रहे एक्सपर्ट ने बताया India के लिए कितने फिट हैं चीते

नेशनल टाइगर कंजरवेशन एथॉरेटी (NTCA) के मेंबर सेक्रेटरी एसपी यादव ने कहा कि 2 चीतों को पीएम नरेंद्र मोदी एनक्लोजर एक से छोड़ेंगे वहीं दूसरे एनक्लोजर से बाकी के चीतों को गृह प्रवेश कराया जाएगा. दोनों एनक्लोजर के बीच की दूरी महज 70 मीटर है. इन्ही जगहों पर ये चीते एक महीने का क्वारंटीन पीरियड बिताएंगे. इन चीतों के साथ लॉरी मार्कर जो विशेषज्ञ हैं वो भी पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद होंगी. शुक्रवार शाम नामीबिया से रवाना हो रही स्पेशल फ्लाइट में भी वो साथ होंगी.

भारत सरकार की एक टीम प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रही है: यह टीम इस साल गर्मी में प्रशिक्षण के लिए नामीबिया गए थे. हमारे क्षेत्र के इकोलॉजिस्ट और चीता विशेषज्ञों ने भारतीय टीम को सिखाया कि चीतों के प्रबंधन के लिए आवश्यक सभी उपकरणों का उपयोग कैसे किया जाए. कर्मचारी जो बाद में चीतों के साथ जा रहे हैं, वे संक्रमण की अवधि के दौरान जानवरों के प्रबंधन में मदद करने के लिए भारत में रहेंगे. बार्थेलेमी बटाली, CCF संरक्षण रिलीज कार्यक्रम और डेटा प्रबंधक, और एली वाकर, संरक्षण जीव विज्ञानी, चीतों के आगमन की तैयारी के लिए पिछले महीने कुनो गए थे.

भोपाल। नामीबिया से भारत लाए जा रहे चीतों की विशेष कार्गो फ्लाईट अब ग्वालियर में ही लैंड करेगी, इससे पहले जो कार्यक्रम तय हुआ था उसमें चीतों का ला रहा विमान जयपुर में उतरने वाला था. इसके बाद यहां चीतों को फिर हैलीकॉप्टर में शिफ्ट किया जाता और जयपुर एयरपोर्ट से ये चीते श्योपुर के पालपुर कूनो नेशनल पार्क पहुंचाए जाने थे. लेकिन अब नामीबिया से उड़ान भरने के बाद चीते सीधे ग्वालियर में ही उतारे जाएंगे. प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव ने ये जानकारी दी है. भारत लाने से पहले इन चीतों को रिहर्सल भी कराई जा चुकी है. दो लोग भारतीय पार्क के कर्मचारियों और चीता प्रबंधकों की सहायता के लिए साथ आएंगे. एक बार भारत में जब ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी फिर पूरा प्रबंधन भारतीय विशेषज्ञों के हाथों में होगा.

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ग्वालियर में लैंडिंग से शिफ्टिंग का टाइम बचेगा: नामीबिया से आ रहे ये चीते अब जयपुर के बजाए सीधे ग्वालियर में लैंडिंग करेंगे, इन चीतों में पांच मादा और 4 नर चीते शामिल हैं. अफ्रीका से लाए जा रहे चीतों की उम्र करीब 4 से 6 साल तक बताई जा रही है. हांलाकि पहले ये तय हुआ था कि चंबल के नजदीक होने की वजह से जयपुर में विमान की लैंडिंग कराई जाए. और फिर वहां से हैलीकॉप्टर से इन चीतों को ग्वालियर लाया जाएगा. लेकिन अब जानकारी के मुताबिक चीते सीधे ग्वालियर आएंगे. इस बदलाव की वजह से चीतों को कार्गो से हेलीकॉप्टर में शिफ्ट करने में लगने वाला करीब पचास मिनिट का समय भी बच जाएगा.

Namibia cheetahs will come to Gwalior
पीएम नरेंद्र मोदी इसी एनक्लोजर एक में छोडेंग चीता

जानें क्या है बदला हुआ प्लान: इन चीतों को शनिवार तड़के ग्वालियर ले जाया जाएगा, जहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (KNP) ले जाया जाएगा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनमें से 3 को पार्क में छोड़ देंगे. पहले की योजना के अनुसार, इन जानवरों को ले जाने वाला विशेष विमान अफ्रीकी देश से जयपुर में उतरना था, जहां से उन्हें Kuno National Park भेजा जाना था. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) वन्यजीव जेएस चौहान ने कहा, "चीते ग्वालियर पहुंचेंगे और वहां से उन्हें एक विशेष हेलीकॉप्टर से केएनपी भेजा जाएगा" अधिकारियों ने पहले कहा था कि आठ चीतों - पांच मादा और तीन नर को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से एक Boing 747-400 विमान में ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा.

Kuno National Park
पीएम नरेंद्र मोदी इसी एनक्लोजर दो में छोडेंग चीता

चिनूक हेलीकॉप्टर से लाए जाएंगे चीते: जेएस चौहान ने पुष्टि की कि ग्वालियर से चीतों को भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर (chinook helicopter) में केएनपी हेलीपैड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. चीता संरक्षण कोष (सीसीएफ) के अनुसार, नामीबिया में मुख्यालय और जंगली में चीता को बचाने के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन, पांच मादा चीता की उम्र दो से पांच साल के बीच है और नर चीता की उम्र 4.5 साल और 5.5 साल के बीच है.

chinook helicopter Cheetah relocation plan
नामीबियाई फॉरेस्ट एक्सपर्ट देंगे चीतों के प्रबंधन की ट्रेनिंग

भारत में कब दिखे थे चीते: भारत में अंतिम चीता की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है, जो पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था, और इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि 'अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया' की कल्पना 2009 में की गई थी और केएनपी में पिछले साल नवंबर तक बड़ी बिल्ली को पेश करने की योजना को कोरोना ​​(Covid​​-19) महामारी के कारण झटका लगा.

Cheetah Exclusive Video, नामीबिया से चीतों के साथ आ रहे एक्सपर्ट ने बताया India के लिए कितने फिट हैं चीते

नेशनल टाइगर कंजरवेशन एथॉरेटी (NTCA) के मेंबर सेक्रेटरी एसपी यादव ने कहा कि 2 चीतों को पीएम नरेंद्र मोदी एनक्लोजर एक से छोड़ेंगे वहीं दूसरे एनक्लोजर से बाकी के चीतों को गृह प्रवेश कराया जाएगा. दोनों एनक्लोजर के बीच की दूरी महज 70 मीटर है. इन्ही जगहों पर ये चीते एक महीने का क्वारंटीन पीरियड बिताएंगे. इन चीतों के साथ लॉरी मार्कर जो विशेषज्ञ हैं वो भी पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद होंगी. शुक्रवार शाम नामीबिया से रवाना हो रही स्पेशल फ्लाइट में भी वो साथ होंगी.

भारत सरकार की एक टीम प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रही है: यह टीम इस साल गर्मी में प्रशिक्षण के लिए नामीबिया गए थे. हमारे क्षेत्र के इकोलॉजिस्ट और चीता विशेषज्ञों ने भारतीय टीम को सिखाया कि चीतों के प्रबंधन के लिए आवश्यक सभी उपकरणों का उपयोग कैसे किया जाए. कर्मचारी जो बाद में चीतों के साथ जा रहे हैं, वे संक्रमण की अवधि के दौरान जानवरों के प्रबंधन में मदद करने के लिए भारत में रहेंगे. बार्थेलेमी बटाली, CCF संरक्षण रिलीज कार्यक्रम और डेटा प्रबंधक, और एली वाकर, संरक्षण जीव विज्ञानी, चीतों के आगमन की तैयारी के लिए पिछले महीने कुनो गए थे.

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