हल्द्वानी (उत्तराखंड): पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. इस मौके पर हल्द्वानी स्थित वन संस्थान केंद्र की कृष्ण वाटिका का उल्लेख न किया जाए तो ठीक नहीं होगा. कृष्ण वाटिका में भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीला से जुड़े पेड़ पौधों का आप दीदार कर सकते हैं.
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उत्तराखंड में है श्रीकृष्ण वाटिका: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने हल्द्वानी में कृष्ण वाटिका तैयार की है. इसमें भगवान कृष्ण की जीवन लीलाओं से जुड़ी पांच वनस्पतियों को संरक्षित करने का काम किया गया है, जो विलुप्ति की कगार पर हैं. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि अनुसंधान केंद्र ने कृष्ण वाटिका तैयार की है. इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी कृष्णवट, कदंब, मौलश्री, कृष्ण कमल और वैजयंती माला के पेड़ पौधों को लगाकर संरक्षित करने का काम किया गया है. जिससे लोग इन वनस्पतियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें.
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श्रीकृष्ण वाटिका में है कान्हा से जुड़ी वनस्पतियां: उन्होंने कहा कि कृष्ण वाटिका में लगाई गई सभी वनस्पतियां श्रीकृष्ण की जीवनी पर आधारित हैं. शास्त्रों में भी इन वनस्पतियों का वर्णन किया गया है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्णा अपने गले में वैजयंती की माला धारण करते थे. ये माला वैजयंती के पौधे से तैयार होती थी.
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पेड़ पौधों और फूलों से था श्रीकृष्ण का लगाव: वाटिका में कृष्ण कमल भी लगाया गया है, जो महत्वपूर्ण पौधा है. इसका फूल भगवान श्रीकृष्ण को बहुत ही प्यारा था. इसके अलावा वाटिका में मौलश्री का पौधा भी लगाया गया है, जो भगवान श्रीकृष्णा को बहुत प्रिय था. बाल्यकाल में भगवान श्रीकृष्ण मौलश्री के पौधों के बीच में लुका छुपी का खेल खेला करते थे.
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कदंब का श्रीकृष्ण से करीब का नाता: भगवान श्रीकृष्ण को कदंब का पेड़ भी बहुत ही प्यार था. कदंब के पेड़ पर बैठकर श्रीकृष्ण जमुना किनारे गोपियों को रिझाया करते थे. श्रीकृष्ण को माखन बहुत पसंद था. बाल रूप में घरों से चुराकर माखन खाया करते थे. माखन चुराकर भगवान कृष्ण कृष्णवट वृक्ष पर बैठकर पत्तियों से माखन खाया करते थे. इस वृक्ष की पत्तियां कटोरी की आकार की हैं. इसलिए इन्हें माखन कटोरी भी कहा जाता है.
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जन्माष्टमी पर करें श्रीकृष्ण वाटिका के दर्शन: हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में बनाई गई कृष्ण वाटिका धार्मिक महत्व से बेहद खास है. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी वनस्पतियों के दर्शन करना चाहते हैं, तो हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में आकर निशुल्क इसका लाभ सकते हैं.
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