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किसानों के खाते में सीधे पैसे पहुंचाने का निर्णय स्वागतयोग्य, बिचौलियों से मुक्ति : कृष्णबीर चौधरी

किसान नेता कृष्णबीर चौधरी ने केंद्र द्वारा एमएसपी पर खरीद करके पैसे सीधे किसानों के खाते में भेजने पर केद्र के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसान नेताओं पर भी सवाल उठाया कि वे बिचौलियों के मामले पर चुप क्यों हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Apr 27, 2021, 10:47 PM IST

कृष्णबीर चौधरी
कृष्णबीर चौधरी

नई दिल्ली : सरकार ने किसानों से गेहूं की फसल एमएसपी पर खरीद कर अब तक 13 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किए हैं. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से लाभान्वित होने वाले किसानों में सबसे ज्यादा संख्या पंजाब और हरियाणा के किसानों की है. जबकि मध्य प्रदेश के किसान तीसरे नंबर पर हैं.

भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन साथ ही यह मांग भी की है कि अन्य राज्यों के किसानों को भी एमएसपी पर खरीद और पैसे सीधे खाते में भेजे जाने का लाभ मिलना चाहिए.

किसान नेता कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पहले बिचौलियों के माध्यम से फसल की खरीद की जाती थी. मंडियों पर कब्जा जमाए आढ़ती पूरी तरह किसानों का शोषण करते थे लेकिन अब केंद्र सरकार के सराहनीय कदम से खरीद का पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा.

उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और बिचौलियों का शोषण खत्म होगा लेकिन हैरानी की बात है कि पंजाब की सरकार आज उन्हीं बिचौलियों के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. एफसीआई के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों से एमएसपी पर खरीद कर रही है और भुगतान भी समय पर कर रही है तो इस पर आंदोलन कर रहे लोगों ने चुप्पी साध रखी है.

यदि आंदोलनकारी नेता किसानों के हिमायती हैं तो उन्हें इस कदम का स्वागत करना चाहिए था. कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि पहले की व्यवस्था में पंजाब और हरियाणा के आढ़ती अन्य राज्यों में एमएसपी से सस्ते दर पर खरीद कर पंजाब और हरियाणा के मंडियों के माध्यम से एमएसपी पर बेचते थे और मुनाफाखोरी करते थे.

गेहूं की फसल एमएसपी पर खरीद को लेकर बातचीत

केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई व्यवस्था में अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि किसानों से खरीद कर पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा. इस तरह से अब अरबों रुपये का गड़बड़झाला भी रोका जा सकेगा. हरियाणा सरकार ने भुगतान में देरी की स्थिति में 9% ब्याज देने की बात भी कही है लेकिन पंजाब सरकार की तरफ से इस योजना को ज्यादा समर्थन मिलता नहीं दिखाई दिया.

पढ़ें :- डीबीटी से पंजाब के किसानों के खातों में 8,180 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए : केंद्र

बता दें कि केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक पंजाब के किसानों के खाते में गेहूं की खरीद के बदले 8,180 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं जबकि हरियाणा के किसानों के खाते में 4670 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं. सोमवार तक कि गई कुल गेहूं की खरीद में 38% पंजाब से और 32% हरियाणा से हुई है. जबकि मध्यप्रदेश से 23% खरीद की गई है.

किसान नेता कृष्णबीर चौधरी ने एफसीआई द्वारा खरीद को और बढ़ाने की मांग करते हुए कहा है कि सभी राज्यों को एमएसपी पर खरीद का बराबर लाभ मिलना चाहिए. दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों पर रोक जरूर लगाई है लेकिन सरकार अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें लागू करने का प्रयास कर रही है.

किसान मोर्चा ने कहा है कि पंजाब की मंडियों में बारदाने की कमी की खबरें आ रही हैं. किसानों को मंडियों में अपनी फसल लेकर कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है और खरीद के बाद भुगतान समय पर नहीं हो रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा ये प्रयास मंडी व्यवस्था को खत्म करने के लिए किए जा रहे हैं.

नई दिल्ली : सरकार ने किसानों से गेहूं की फसल एमएसपी पर खरीद कर अब तक 13 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर किए हैं. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से लाभान्वित होने वाले किसानों में सबसे ज्यादा संख्या पंजाब और हरियाणा के किसानों की है. जबकि मध्य प्रदेश के किसान तीसरे नंबर पर हैं.

भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन साथ ही यह मांग भी की है कि अन्य राज्यों के किसानों को भी एमएसपी पर खरीद और पैसे सीधे खाते में भेजे जाने का लाभ मिलना चाहिए.

किसान नेता कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पहले बिचौलियों के माध्यम से फसल की खरीद की जाती थी. मंडियों पर कब्जा जमाए आढ़ती पूरी तरह किसानों का शोषण करते थे लेकिन अब केंद्र सरकार के सराहनीय कदम से खरीद का पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा.

उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और बिचौलियों का शोषण खत्म होगा लेकिन हैरानी की बात है कि पंजाब की सरकार आज उन्हीं बिचौलियों के साथ खड़ी दिखाई दे रही है. एफसीआई के माध्यम से केंद्र सरकार किसानों से एमएसपी पर खरीद कर रही है और भुगतान भी समय पर कर रही है तो इस पर आंदोलन कर रहे लोगों ने चुप्पी साध रखी है.

यदि आंदोलनकारी नेता किसानों के हिमायती हैं तो उन्हें इस कदम का स्वागत करना चाहिए था. कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि पहले की व्यवस्था में पंजाब और हरियाणा के आढ़ती अन्य राज्यों में एमएसपी से सस्ते दर पर खरीद कर पंजाब और हरियाणा के मंडियों के माध्यम से एमएसपी पर बेचते थे और मुनाफाखोरी करते थे.

गेहूं की फसल एमएसपी पर खरीद को लेकर बातचीत

केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई व्यवस्था में अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि किसानों से खरीद कर पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा. इस तरह से अब अरबों रुपये का गड़बड़झाला भी रोका जा सकेगा. हरियाणा सरकार ने भुगतान में देरी की स्थिति में 9% ब्याज देने की बात भी कही है लेकिन पंजाब सरकार की तरफ से इस योजना को ज्यादा समर्थन मिलता नहीं दिखाई दिया.

पढ़ें :- डीबीटी से पंजाब के किसानों के खातों में 8,180 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए : केंद्र

बता दें कि केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक पंजाब के किसानों के खाते में गेहूं की खरीद के बदले 8,180 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं जबकि हरियाणा के किसानों के खाते में 4670 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं. सोमवार तक कि गई कुल गेहूं की खरीद में 38% पंजाब से और 32% हरियाणा से हुई है. जबकि मध्यप्रदेश से 23% खरीद की गई है.

किसान नेता कृष्णबीर चौधरी ने एफसीआई द्वारा खरीद को और बढ़ाने की मांग करते हुए कहा है कि सभी राज्यों को एमएसपी पर खरीद का बराबर लाभ मिलना चाहिए. दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों पर रोक जरूर लगाई है लेकिन सरकार अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें लागू करने का प्रयास कर रही है.

किसान मोर्चा ने कहा है कि पंजाब की मंडियों में बारदाने की कमी की खबरें आ रही हैं. किसानों को मंडियों में अपनी फसल लेकर कई दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है और खरीद के बाद भुगतान समय पर नहीं हो रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा ये प्रयास मंडी व्यवस्था को खत्म करने के लिए किए जा रहे हैं.

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