कोलकाता: रवींद्रनाथ टैगोर ने 1924 में चीन का दौरा किया था, लेकिन उसके बाद एक बड़े सीमा विवाद ने दशकों तक भारत-चीन संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया. लेकिन चीन का बंगाल के साथ एक अलग रिश्ता है क्योंकि प्रतिष्ठित विश्वभारती चीनी भाषा सिखाती है. अगर कोई व्यक्तिगत इच्छा से इस भाषा को सीखता है, तो उसे जेब से पैसा खर्च करके सीखना होता है.
साल्ट लेक में एक निजी स्कूल सेंट जॉन में एक अनूठी पहल की गई है. इस स्कूल के पाठ्यक्रम में चीनी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में शामिल किया गया है. सेंट जॉन स्कूल ने 9 मई को रवींद्रनाथ टैगोर के जन्मदिन पर चीनी भाषा पाठ्यक्रम की शुरुआत की. इस मौके पर स्कूल के छात्रों ने अधिकारियों के सामने चीनी भाषा में रवींद्र संगीत प्रस्तुत किया.
वर्तमान पीढ़ी काम के सिलसिले में कोलकाता और भारत से बाहर जाती है. विदेश में काम करने के लिए हिंदी और अंग्रेजी जरूरी है. वर्तमान में वे इन दोनों भाषाओं में निपुण हैं. स्कूल की वाइस प्रिंसिपल लूसिया गुप्ता ने कहा कि चीनी भाषा सीखने के बाद विदेश जाने और भी अच्छा रहेगा. लूसिया गुप्ता ने ईटीवी भारत से कहा,'यदि आप बच्चों को छोटी उम्र से कुछ चीजें सिखाते हैं, तो उनके लिए समझना आसान होता है. इसलिए हमने इसके लिए पांचवीं से आठवीं कक्षा को चुना है. जिनके पास यह तीसरी भाषा के रूप में है. हमने चीनी भाषा के साथ शुरुआत की है और भविष्य में हम फ्रेंच और जर्मन भाषा भी सिखाने की कोशिश करेंगे.'
चीन के महावाणिज्यदूत झा लियाओ इस भाषा को स्कूल में शुरू करने को लेकर उत्साहित हैं. लियाओ ने कहा, 'छात्र स्कूलों में चीनी सीखेंगे. यह पहल भारत-चीन संबंधों को मजबूत करेगी. अधिक लोगों को चीनी भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. हम कोई भी भाषा बोलने के लिए बाध्य महसूस नहीं करते. कई भारतीय चीनी भाषा बोल सकते हैं.' स्कूल के अधिकारियों ने कहा कि लगभग 80 छात्र पहले ही चीनी भाषा प्रशिक्षण के लिए नामांकित हो चुके हैं. बच्चे अगर किसी चीज को गाकर या सुनाकर सीखना चाहते हैं तो वह उसे जल्दी सीख जाते हैं. इसलिए उन्हें चीनी भाषा में रवींद्र संगीत सिखाया जा रहा है.