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कोलकाता के सामुदायिक दुर्गा पूजा पंडालों में भी जलवा बिखेरेगा 'खेला होबे' नारा

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Published : Aug 28, 2021, 6:50 PM IST

पश्चिम बंगाल में बहुचर्चित 'खेला होबे' नारा अब यहां के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा का हिस्सा बन जाएगा. ममता बनर्जी के पड़ोस में एक सामुदायिक पूजा पंडाल 'खेला होबे' की थीम पर सजाया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

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कोलकाता : बहुचर्चित 'खेला होबे' नारा 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए पहले ही एक सफल पारी खेल चुका है. यह बिल्कुल स्वाभाविक था कि इस नारे पर कोई न कोई सामुदायिक पूजा समिति का पंडाल जरूर बनेगा.

दरअसल, मुख्यमंत्री के पड़ोस में सामुदायिक क्लब भबनीपुर दुर्गोत्सव समिति अब इस विचार के साथ आगे आई है. इस पूजा के मुख्य संरक्षक संदीप रंजन बख्शी हैं, जो तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी के छोटे भाई हैं.

हालांकि पूजा के आयोजक अच्छी तरह जानते हैं कि कई लोग इस राजनीतिक नारे को धार्मिक उत्सव के साथ मिलाने के विचार को पसंद नहीं करेंगे. इसलिए वे सतर्क हैं. उनके मुताबिक इस पहल से खेलों को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाएगा.

एक आयोजक ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य समाज में सकारात्मक पक्ष और खेलों की आवश्यकता को उजागर करना है. उदाहरण के लिए पंडाल प्रदर्शित करेगा कि पारंपरिक रूप से प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल क्लब, मोहन बागान और पूर्वी बंगाल के समर्थक प्रतिद्वंद्विता पर काबू पा चुके हैं और संयुक्त रूप से दुर्गा पूजा में भाग ले रहे हैं. पंडाल प्रदर्शित करेगा कि कैसे समर्थक अपनी पसंदीदा टीमों की जर्सी पहनकर देवी दुर्गा की मूर्ति को संयुक्त रूप से पंडाल में ला रहे हैं.

पंडाल का मुख्य आकर्षण ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की प्रतिकृति होगी. उनकी प्रतिकृति को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह ऐसा एहसास देगा जैसे कि वह देवी दुर्गा और उनके परिवार के सदस्यों को भाला से ले जा रहे हैं. इसमें क्रिकेट और तैराकी जैसे अन्य खेलों की तस्वीरें और थीम होंगी.

थीम के निर्माता सौमेन घोष ने कहा कि पंडाल यह ममता बनर्जी के जीवन को चित्रित करेगा, विशेष रूप से एक पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में उनकी यात्रा को पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी वर्तमान स्थिति तक का चित्रण किया जाएगा.

घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनेंगी. हालांकि खेला होबे का नारा मूल रूप से एक राजनीतिक नारा था लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे लोकप्रियता प्रदान कर दी. इसकी लोकप्रिय भावना यह है कि जीवन का कोई भी क्षेत्र एक मैच हो सकता है. मैं बस अपनी रचनाओं में उस लोकप्रिय भावना को चित्रित करना चाहता था.

उन्होंने कहा कि पूजा समिति के महासचिव सुवनकर राय चौधरी के अनुसार खेला होबे अब केवल एक राजनीतिक नारा नहीं रह गया है. अब यह एक लोकप्रिय जन नारा है. इसलिए हमारे प्रयासों में राजनीति की पहचान करने का एक बिंदु है. महामारी के कारण, बच्चे लंबे समय तक खेलों में भाग नहीं ले पाए. वे सिर्फ मोबाइल और ऑनलाइन गेम तक ही सीमित हैं लेकिन वे असली खेल नहीं हैं.

यह भी पढ़ें-ममता को धमकी देने के आरोप में कलकत्ता विवि के प्राध्यापक के खिलाफ मामला दर्ज : पुलिस

उन्होंने कहा कि थीम का विचार उन्हें 16 अगस्त को आया था, जब पूरे राज्य में खेला होबे दिवस मनाया गया. खिलाड़ियों की भावना हमारे विषय का विचार है. भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुछ ही समय बाद उपचुनाव होने जा रहे हैं. पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने में खेला होबे के नारों ने अहम भूमिका निभाई थी.

कोलकाता : बहुचर्चित 'खेला होबे' नारा 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए पहले ही एक सफल पारी खेल चुका है. यह बिल्कुल स्वाभाविक था कि इस नारे पर कोई न कोई सामुदायिक पूजा समिति का पंडाल जरूर बनेगा.

दरअसल, मुख्यमंत्री के पड़ोस में सामुदायिक क्लब भबनीपुर दुर्गोत्सव समिति अब इस विचार के साथ आगे आई है. इस पूजा के मुख्य संरक्षक संदीप रंजन बख्शी हैं, जो तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी के छोटे भाई हैं.

हालांकि पूजा के आयोजक अच्छी तरह जानते हैं कि कई लोग इस राजनीतिक नारे को धार्मिक उत्सव के साथ मिलाने के विचार को पसंद नहीं करेंगे. इसलिए वे सतर्क हैं. उनके मुताबिक इस पहल से खेलों को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाएगा.

एक आयोजक ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य समाज में सकारात्मक पक्ष और खेलों की आवश्यकता को उजागर करना है. उदाहरण के लिए पंडाल प्रदर्शित करेगा कि पारंपरिक रूप से प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल क्लब, मोहन बागान और पूर्वी बंगाल के समर्थक प्रतिद्वंद्विता पर काबू पा चुके हैं और संयुक्त रूप से दुर्गा पूजा में भाग ले रहे हैं. पंडाल प्रदर्शित करेगा कि कैसे समर्थक अपनी पसंदीदा टीमों की जर्सी पहनकर देवी दुर्गा की मूर्ति को संयुक्त रूप से पंडाल में ला रहे हैं.

पंडाल का मुख्य आकर्षण ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की प्रतिकृति होगी. उनकी प्रतिकृति को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह ऐसा एहसास देगा जैसे कि वह देवी दुर्गा और उनके परिवार के सदस्यों को भाला से ले जा रहे हैं. इसमें क्रिकेट और तैराकी जैसे अन्य खेलों की तस्वीरें और थीम होंगी.

थीम के निर्माता सौमेन घोष ने कहा कि पंडाल यह ममता बनर्जी के जीवन को चित्रित करेगा, विशेष रूप से एक पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में उनकी यात्रा को पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी वर्तमान स्थिति तक का चित्रण किया जाएगा.

घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनेंगी. हालांकि खेला होबे का नारा मूल रूप से एक राजनीतिक नारा था लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे लोकप्रियता प्रदान कर दी. इसकी लोकप्रिय भावना यह है कि जीवन का कोई भी क्षेत्र एक मैच हो सकता है. मैं बस अपनी रचनाओं में उस लोकप्रिय भावना को चित्रित करना चाहता था.

उन्होंने कहा कि पूजा समिति के महासचिव सुवनकर राय चौधरी के अनुसार खेला होबे अब केवल एक राजनीतिक नारा नहीं रह गया है. अब यह एक लोकप्रिय जन नारा है. इसलिए हमारे प्रयासों में राजनीति की पहचान करने का एक बिंदु है. महामारी के कारण, बच्चे लंबे समय तक खेलों में भाग नहीं ले पाए. वे सिर्फ मोबाइल और ऑनलाइन गेम तक ही सीमित हैं लेकिन वे असली खेल नहीं हैं.

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उन्होंने कहा कि थीम का विचार उन्हें 16 अगस्त को आया था, जब पूरे राज्य में खेला होबे दिवस मनाया गया. खिलाड़ियों की भावना हमारे विषय का विचार है. भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुछ ही समय बाद उपचुनाव होने जा रहे हैं. पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने में खेला होबे के नारों ने अहम भूमिका निभाई थी.

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