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कोल्हापुरी चप्पल के बाद बांस के मोजे की डिमांड, जानें इसके फायदे

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक उद्यमी ने बांस से मोजे बनाने का व्यवसाय शुरू किया है. ज्यादा कीमत होने के बावजूद बांस से बने इन मोजों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पढ़ें पूरी खबर.

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बांस से बने मोजे
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Published : Apr 7, 2022, 1:11 PM IST

कोल्हापुर : महाराष्ट्र का कोल्हापुर जिला कोल्हापुरी चप्पल के देश-दुनिया में जाता है, लेकिन अब एक और उद्यम इससे जुट गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां बांस से मोजे बनाए जाते हैं, लेकिन यह सच है. कोल्हापुर के एक उद्यमी ने बांस से मोजे बनाने का व्यवसाय शुरू किया है. खास बात यह है कि इस मोजे की काफी डिमांड है. दरअसल, कोल्हापुर में रहने वाले नवीन कुमार माली पिछले कुछ वर्षों से कपड़ा उद्योग में काम कर रहे हैं. वह पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गोकुल शिरगांव में बांस से विभिन्न वस्तुओं को बनाने का व्यवसाय शुरू किया. काम के सिलसिले में विदेश यात्रा के दौरान, उन्होंने ताइवान में बांस के मोजे के बारे में जाना और उनके दिमाग में यह आडिया क्लिक कर गया.

फिर उन्होंने कोल्हापुर में यह व्यवसाय शुरू करने को सोचा. आखिरकार उनकी मेहनत और लगन रंग लाई तथा उन्होंने कोल्हापुर के इचलकरंजी में बांस से मोजे बनाने का कारोबार शुरू किया. प्रायोगिक तौर पर शुरू हुआ यह कारोबार अब रफ्तार पकड़ रहा है. नवीन ने बांस से बनने वाले मोजे का नाम 'बैंबू बी प्लस' रखा है.

बांस के मोजे की डिमांड
बांस के मोजे की डिमांड

नवीन माली के अनुसार, बांस को शुरू में प्रॉसेस्ड किया जाता है और फिर उसे कुचला जाता है. फिर उससे धागे बनाए जाते हैं और अलग-अलग रंग दिए जाते हैं. अब इन धागों से मोजे के कपड़ों की बुनाई की जाती है. इसके लिए वह तमिलनाडु के एक प्रोफेशनल से ये धागे बनवाते हैं. बाद में इचलकरंजी की फैक्ट्री में बुनाई का काम शुरू होता है. इसके लिए उन्होंने ताइवान से अत्याधुनिक उपकरण मंगाए हैं और इसमें ज्यादा श्रम की जरूरत नहीं है. उनका कहना है कि उनके मोजे की काफी डिमांड है.

बांस से बने मोजों के लाभ
नवीन माली बताते हैं कि बांस के मोजे के बहुत फायदे हैं. बांस के मोजे की गुणवत्ता अन्य मोजों की तुलना में बेहतर होती है. अगर इन मोजे को नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाए तो पैरों की सेहत में भी सुधार आता है. संक्रमण को रोकने में मोजे बहुत कारगर होते हैं. ये मोजे त्वचा को शुष्क और ठंडा रखने में मदद करते हैं. अन्य मोजों की तुलना में बहुत नरम होते हैं. माली का यह भी मानना ​​है कि अगर पांच दिनों तक एक ही मोजा पहना जाए तो उससे किसी भी तरह की बदबू नहीं आती है. यह इको फ्रेंडली भी है. हम उनका आसानी से निस्तारण (disposed) कर सकते हैं.

मोजे की कीमत में आएगी कमी
नवीन ने बताया कि हमारे पास केवल प्रीमियम गुणवत्ता वाले मोजे हैं. मोजे हमारी वेबसाइट के साथ-साथ पुणे और कोल्हापुर में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा जहां कृषि प्रदर्शनियों के साथ-साथ अन्य प्रदर्शनियों में भी इन मोजों का प्रदर्शन करते हैं. बहुत सारे लोगों ने हमसे मोजे लिए हैं, और उनकी तरफ से बार-बार ऑर्डर भी आ रहे हैं. हालांकि, मोजे की कीमत 200 रुपये से 300 रुपये के बीच है. उन्होंने कहा कि चूंकि, व्यवसाय वर्तमान में बड़े पैमाने पर नहीं चल रहा है. इसलिए कीमत ज्यादा है और कीमत की तरह गुणवत्ता भी मिल रही है. माली ने यह भी कहा कि अगर व्यापार बड़े पैमाने पर होता है, तो हम इन मोजों की कीमत कम कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- पीने के पानी के लिए जान जोखिम में डाल कुएं में उतरती हैं महिलाएं

कोल्हापुर : महाराष्ट्र का कोल्हापुर जिला कोल्हापुरी चप्पल के देश-दुनिया में जाता है, लेकिन अब एक और उद्यम इससे जुट गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां बांस से मोजे बनाए जाते हैं, लेकिन यह सच है. कोल्हापुर के एक उद्यमी ने बांस से मोजे बनाने का व्यवसाय शुरू किया है. खास बात यह है कि इस मोजे की काफी डिमांड है. दरअसल, कोल्हापुर में रहने वाले नवीन कुमार माली पिछले कुछ वर्षों से कपड़ा उद्योग में काम कर रहे हैं. वह पहले एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गोकुल शिरगांव में बांस से विभिन्न वस्तुओं को बनाने का व्यवसाय शुरू किया. काम के सिलसिले में विदेश यात्रा के दौरान, उन्होंने ताइवान में बांस के मोजे के बारे में जाना और उनके दिमाग में यह आडिया क्लिक कर गया.

फिर उन्होंने कोल्हापुर में यह व्यवसाय शुरू करने को सोचा. आखिरकार उनकी मेहनत और लगन रंग लाई तथा उन्होंने कोल्हापुर के इचलकरंजी में बांस से मोजे बनाने का कारोबार शुरू किया. प्रायोगिक तौर पर शुरू हुआ यह कारोबार अब रफ्तार पकड़ रहा है. नवीन ने बांस से बनने वाले मोजे का नाम 'बैंबू बी प्लस' रखा है.

बांस के मोजे की डिमांड
बांस के मोजे की डिमांड

नवीन माली के अनुसार, बांस को शुरू में प्रॉसेस्ड किया जाता है और फिर उसे कुचला जाता है. फिर उससे धागे बनाए जाते हैं और अलग-अलग रंग दिए जाते हैं. अब इन धागों से मोजे के कपड़ों की बुनाई की जाती है. इसके लिए वह तमिलनाडु के एक प्रोफेशनल से ये धागे बनवाते हैं. बाद में इचलकरंजी की फैक्ट्री में बुनाई का काम शुरू होता है. इसके लिए उन्होंने ताइवान से अत्याधुनिक उपकरण मंगाए हैं और इसमें ज्यादा श्रम की जरूरत नहीं है. उनका कहना है कि उनके मोजे की काफी डिमांड है.

बांस से बने मोजों के लाभ
नवीन माली बताते हैं कि बांस के मोजे के बहुत फायदे हैं. बांस के मोजे की गुणवत्ता अन्य मोजों की तुलना में बेहतर होती है. अगर इन मोजे को नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाए तो पैरों की सेहत में भी सुधार आता है. संक्रमण को रोकने में मोजे बहुत कारगर होते हैं. ये मोजे त्वचा को शुष्क और ठंडा रखने में मदद करते हैं. अन्य मोजों की तुलना में बहुत नरम होते हैं. माली का यह भी मानना ​​है कि अगर पांच दिनों तक एक ही मोजा पहना जाए तो उससे किसी भी तरह की बदबू नहीं आती है. यह इको फ्रेंडली भी है. हम उनका आसानी से निस्तारण (disposed) कर सकते हैं.

मोजे की कीमत में आएगी कमी
नवीन ने बताया कि हमारे पास केवल प्रीमियम गुणवत्ता वाले मोजे हैं. मोजे हमारी वेबसाइट के साथ-साथ पुणे और कोल्हापुर में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा जहां कृषि प्रदर्शनियों के साथ-साथ अन्य प्रदर्शनियों में भी इन मोजों का प्रदर्शन करते हैं. बहुत सारे लोगों ने हमसे मोजे लिए हैं, और उनकी तरफ से बार-बार ऑर्डर भी आ रहे हैं. हालांकि, मोजे की कीमत 200 रुपये से 300 रुपये के बीच है. उन्होंने कहा कि चूंकि, व्यवसाय वर्तमान में बड़े पैमाने पर नहीं चल रहा है. इसलिए कीमत ज्यादा है और कीमत की तरह गुणवत्ता भी मिल रही है. माली ने यह भी कहा कि अगर व्यापार बड़े पैमाने पर होता है, तो हम इन मोजों की कीमत कम कर सकते हैं.

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