तिरुवनंतपुरम: केरल में एक मां अब अपने बच्चे को वापस पाने के लिए अधिकारियों से संघर्ष कर रही है. महिला अनुपमा ने अपनी शादी से पहले उस बच्चे को जन्म दिया था. महिला के अनुसार, उसके बच्चे को उसके पिता ने उसकी अनुमति के बिना ले लिया और बाल कल्याण समिति और सीपीएम के पूर्ण समर्थन से किसी और को दे दिया. अनुपमा के पिता सीपीएम में क्षेत्र सचिव हैं.
अनुपमा ने शनिवार को सचिवालय के सामने एक दिन के लिए भूख हड़ताल शुरू की क्योंकि छह महीने बाद भी उसे अपने बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. यह मुद्दा केरल में सत्तारूढ़ मोर्चे के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की बात बन गयी है. सीपीएम के स्टेट सेक्रेटरी ए विजयराघवन ने कहा कि सीपीएम अनुपमा को उनका बच्चा वापस पाने में पूरा समर्थन देगा और पार्टी में किसी के गलत कामों का बचाव नहीं करेगा. स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को व्यक्तिगत रूप से अनुपमा को फोन किया और पूर्ण मदद करने का आश्वासन दिया.
अनुपमा का कहना है कि उनका पुलिस और महिला आयोग से भरोसा उठ गया है. इस बीच, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष पीके श्रीमती ने कहा कि बच्चे को जबरन अलग कर बाल कल्याण समिति को ले जाने की सूचना सीपीएम नेताओं और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव को दी गई थी. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सीपीएम के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है.अनुपमा ने बच्चे के जन्म के छह महीने बाद 19 अप्रैल, 2021 को पेरुरकड़ा पुलिस से संपर्क किया था. अपनी शिकायत ने अनुपमा ने कहा कि उसके माता-पिता ने बच्चे के जन्म के बाद बच्चे को जबरदस्ती ले लिया और उसे कभी वापस नहीं किया। पुलिस ने कुछ दिन पहले ही मामला दर्ज किया है।
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अनुपमा एक एसएफआई सदस्य थीं. उनका कहना है कि उनके बच्चे को जबरन ले जाने के तुरंत बाद उसने इसकी शिकायत पार्टी से की थी, क्योंकि उनके पिता पार्टी के नेता थे. उनका आरोप है कि पार्टी या पुलिस ने उनके बच्चे को वापस पाने के लिए कुछ नहीं किया. अनुपमा अपने वर्तमान पति,अजीत से प्यार करती थी और कानूनी रूप से शादी करने से पहले दंपति को बच्चा हुआ था. आरोप है कि चूंकि बच्चे का जन्म विवाह से पूर्व हुआ था, इसलिए उसके माता-पिता ने इस मुद्दे को दबाने के प्रयास में बच्चे को ले लिया था.