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केरल HC ने 46 साल बाद महिला को डेट ऑफ बर्थ रेजिस्टर कराने की मिली अनुमति - डेट ऑफ बर्थ रेजिस्टर

केरल उच्च न्यायालय ने एक महिला को अपना जन्म संबंधी पंजीकरण कराने की अनुमति दे दी है, जहां 46 साल पहले उसका जन्म हुआ था. पतनमतिट्टा के अदूर में राजस्व विभागीय अधिकारी ने महिला के बपतिस्मा प्रमाण पत्र के आधार पर उसे देर से जन्म पंजीकरण के लिए पहले दी गई अनुमति रद्द कर दी थी.

केरल HC
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Published : Nov 17, 2021, 2:14 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने एक महिला को अपने क्षेत्र की पंचायत में अपना जन्म संबंधी पंजीकरण कराने की अनुमति दे दी है, जहां 46 साल पहले उसका जन्म हुआ था. पतनमतिट्टा के अदूर में राजस्व विभागीय अधिकारी ने महिला के बपतिस्मा प्रमाण पत्र के आधार पर उसे देर से जन्म पंजीकरण के लिए पहले दी गई अनुमति रद्द कर दी थी. इसके बाद ही महिला ने अदालत में याचिका दायर की. बपतिस्मा प्रमाण पत्र पर उसके जन्म की कथित तौर पर गलत तारीख नौ मई 1975 दर्ज है.

महिला ने दावा किया कि अधिकारी ने उसके स्कूली शिक्षा के दस्तावेजों, आधार, पैन, पासपोर्ट, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र और मतदान कार्ड पर गौर नहीं किया, जिसमें उसके जन्म की सही तारीख 21 मई 1975 अंकित है.

अदालत ने राजस्व अधिकारी के अनुमति को रद्द करने का आदेश खारिज करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है, जहां एक जन अधिकारी को लगता है कि आधार कार्ड, मतदान कार्ड, पैन कार्ड और एसएसएलसी पुस्तक जैसे सार्वजनिक दस्तावेजों की प्रविष्टियों को अनदेखा किया जाना चाहिए. साथ ही गिरिजाघर के बपतिस्मा रजिस्टर की एक प्रविष्टि को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि के संबंध में प्राथमिक साक्ष्य माना जाना चाहिए.

पढ़ें : काेर्ट ने पूछा- शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं है?, जानें पूरा मामला

अदालत ने पतनमतिट्टा जिले के प्रमादोम ग्राम पंचायत के जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि 20 नवंबर से पहले महिला की जन्मतिथि 21 मई, 1975 दर्ज करने को कहा.

बता दें कि महिला ने इस साल जनवरी में दायर की अपनी याचिका में दावा किया था कि उसका जन्म 21 मई, 1975 को हुआ था, लेकिन उसके माता-पिता की अनभिज्ञता के कारण उसका जन्म पंचायत में पंजीकृत नहीं हो पाया था.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने एक महिला को अपने क्षेत्र की पंचायत में अपना जन्म संबंधी पंजीकरण कराने की अनुमति दे दी है, जहां 46 साल पहले उसका जन्म हुआ था. पतनमतिट्टा के अदूर में राजस्व विभागीय अधिकारी ने महिला के बपतिस्मा प्रमाण पत्र के आधार पर उसे देर से जन्म पंजीकरण के लिए पहले दी गई अनुमति रद्द कर दी थी. इसके बाद ही महिला ने अदालत में याचिका दायर की. बपतिस्मा प्रमाण पत्र पर उसके जन्म की कथित तौर पर गलत तारीख नौ मई 1975 दर्ज है.

महिला ने दावा किया कि अधिकारी ने उसके स्कूली शिक्षा के दस्तावेजों, आधार, पैन, पासपोर्ट, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र और मतदान कार्ड पर गौर नहीं किया, जिसमें उसके जन्म की सही तारीख 21 मई 1975 अंकित है.

अदालत ने राजस्व अधिकारी के अनुमति को रद्द करने का आदेश खारिज करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है, जहां एक जन अधिकारी को लगता है कि आधार कार्ड, मतदान कार्ड, पैन कार्ड और एसएसएलसी पुस्तक जैसे सार्वजनिक दस्तावेजों की प्रविष्टियों को अनदेखा किया जाना चाहिए. साथ ही गिरिजाघर के बपतिस्मा रजिस्टर की एक प्रविष्टि को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि के संबंध में प्राथमिक साक्ष्य माना जाना चाहिए.

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अदालत ने पतनमतिट्टा जिले के प्रमादोम ग्राम पंचायत के जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि 20 नवंबर से पहले महिला की जन्मतिथि 21 मई, 1975 दर्ज करने को कहा.

बता दें कि महिला ने इस साल जनवरी में दायर की अपनी याचिका में दावा किया था कि उसका जन्म 21 मई, 1975 को हुआ था, लेकिन उसके माता-पिता की अनभिज्ञता के कारण उसका जन्म पंचायत में पंजीकृत नहीं हो पाया था.

(पीटीआई-भाषा)

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