तिरुवनंतपुरम : केरल के सरकारी डॉक्टर वेतन संशोधन में विसंगतियों के अलावा कथित तौर पर भत्तों और कुछ लाभों में हुई कटौती के विरोध में आंदोलन करेंगे. इसीक्रम में वे यहां सचिवालय के सामने आंदोलन की शुरुआत करेंगे.
इस बारे में केरल सरकार के चिकित्सा अधिकारी संघ (KGMO) ने शनिवार को यहां कहा कि पिछले कई महीनों से कोविड -19 के खिलाफ उनकी अथक लड़ाई के बावजूद, डॉक्टर समुदाय की शिकायतों को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया और उनके भत्तों में कटौती की गई. साथ ही कहा गया है कि चूंकि राज्य का स्वास्थ्य क्षेत्र मानव संसाधन की भारी कमी का सामना कर रहा है, इसलिए चिकित्सकों को मानसिक दबाव से लेकर ओवरटाइम ड्यूटी शेड्यूल तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ताकि वे कोविड और पोस्ट-कोविड उपचार में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सकें.
केजीएमओ के अध्यक्ष डॉ. जीएस विजयकृष्णन ने आरोप लगाया कि न केवल डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को जोखिम भत्ते से वंचित कर दिया गया था, बल्कि वेतन संशोधन के समय कोई आनुपातिक वृद्धि नहीं हुई थी और उनके कई भत्ते वापस ले लिए गए थे.
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उन्होंने कहा कि हालांकि डॉक्टरों ने पहले कई सांकेतिक आंदोलन किए थे, लेकिन सरकार ने ऐसी सभी हड़तालों को नजरअंदाज कर दिया इसी वजह से उन्हें स्थायी आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. वहीं केजीएमओ की पूर्व अध्यक्ष एस प्रमीला देवी एक नवंबर को सचिवालय के सामने आंदोलन की शुरुआत करेंगी.
उन्होंने कहा कि परिवार स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर राज्य भर के जिला स्वास्थ्य केंद्रों तक सैकड़ों डॉक्टर विरोध का हिस्सा होंगे. उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों ने इस आंदोलन की भी अनदेखी की तो 16 नवंबर को चिकित्सक सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर चले जाएंगे.
(पीटीआई)