ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में आयोजित नारी संसद शक्ति महाकुम्भ के दूसरे दिन का आगाज मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan), परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दीप प्रज्वलित कर किया. नारी संसद भारतीय नारी-घर और बाहर के प्रातःकालीन सत्र में वैदिक संस्कृति, सनातन संस्कृति, परम्पराओं, शास्त्रों, पुराणों और देवी पुराण में नारी की महिमा, कर्तव्य, अधिकारों, स्वाभिमान से युक्त नारी के विषय में विस्तृत चर्चा की गई.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) ने नारी संसद आयोजित करने पर कहा कि जो वस्तुएं हमें सुलभता से मिलती हैं, हम उनके प्रति उदासीन हो जाते हैं. हमारी मातृ शक्ति, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में हमें मिली है, इसलिये हम उनका महत्व कम कर देते हैं. उनके द्वारा किये गये कार्यो को हम भूल जाते हैं. शास्त्रों में बहुत ही सुंदर शब्द है सुमिरन. हमें भी नारियों के विषय में सुमिरन करने और कराने की जरूरत है. उन्होंने परोपकार के महत्व की भी व्याख्या करते हुये कहा उपकार करना ही पुण्य है और अत्याचार करना ही पाप है.
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उन्होंने शिक्षा के महत्व को बताते हुये कहा लड़कियों को भी लड़कों की तरह शिक्षित किया जाए तो वह भी हर कार्य कर सकती हैं. लड़के और लड़कियों में जो भी अंतर है, वह शिक्षा के कारण हैं. हमें अपने घरों में भी बेटी और बेटों को समान शिक्षा देनी होगी. उन्होंने कहा महिला उत्पीड़न में नारी का ही बहुत बड़ा हाथ है. हमारा रवैया बेटी और बहू के साथ समान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने अपने बेटे के निकाहनामे में कुछ शर्ते लिखवायी थी, तब लोगों ने कहा कि यह आप अपने खिलाफ ही लिख रहे हैं. लेकिन, मैं अपनी बहू को अपनी बेटी ही मानता हूं.
इस मौके पर पर्यावरणविद् डॉ वंदना शिवा ने कहा भारत की संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति है. परमार्थ निकेतन में स्पष्टता से उस संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं. हर संस्कृति ने नदियों को मां नहीं कहा, परन्तु भारत ने सभी नदियों को मां का दर्जा दिया है.