लखनऊ : वर्ष 1994 के जनवरी माह में लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ क्रिकेट टेस्ट मैच खेला गया था. तब सचिन तेंदुलकर ने अपने शानदार शतक की मदद से भारतीय टीम को जीत दिलाई थी. उस मैच के 29 साल बाद एक बार फिर सचिन तेंदुलकर लखनऊ पहुंच रहे हैं. इस बार उनके साथ उनके बेटे अर्जुन तेंदुलकर भी टीम में शामिल हैं. मुंबई इंडियंस की टीम लखनऊ के जब आईपीएल मुकाबले में खेलेगी तब उसमें एक बार फिर यादें ताजा हो जाएंगी.
वर्ष 1994 में 18 से 22 जनवरी के बीच यह मुकाबला खेला गया था. मैच के पहले दिन नवजोत सिंह सिद्धू ने शानदार शतक जमाया था. सचिन तेंदुलकर नाबाद खेल रहे थे. 19 जनवरी की वह सुबह कोहरे से ढकी हुई थी. इस वजह से दूसरे दिन का खेल समय से शुरू नहीं हो सका था. सुबह 10:30 बजे सूरज की पहली किरण स्टेडियम में चमकी. करीब 11 बजे के बाद मुकाबला शुरू हो सका. श्रीलंका के मध्यम गति के तेज गेंदबाज प्रमोदय विक्रमसिंघे के पहले ही ओवर में सचिन तेंदुलकर ने शानदार 4 चौके जड़ दिए थे. कुछ ओवर ही बीते थे कि सचिन ने अपना शतक जमाया और 224 गेंदों में 22 चौकों की मदद से सचिन ने 142 रन का शानदार स्कोर खड़ा किया. सचिन और नवजोत सिंह सिद्धू के शतक की मदद से भारत ने अपनी पहली इनिंग में 511 रन का विशाल स्कोर बनाया था. जिसके जवाब में श्रीलंका की पहली इनिंग 218 दिन पर और पालन करते हुए दूसरी इनिंग मात्र 174 रन पर सिमट गई थी. अनिल कुंबले ने दोनों इनिंग मिलाकर के 11 विकेट लिए थे और उनको मैन ऑफ द मैच चुना गया था. भारत ने यह मुकाबला 119 रन से जीता. जनवरी 1994 के बाद लखनऊ में कोई भी अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला गया. यह बात अलग है कि नए बने इकाना स्टेडियम में लगातार एकदिवसीय और टी-20 मुकाबले खेले जाते रहे.
वर्ष 1994 के बाद कभी भी सचिन लखनऊ में नही आए, मगर उम्मीद की जा रही है कि आज शाम जब इंडियन प्रीमियर लीग के तहत लखनऊ सुपरजाइंट्स की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ होगी तब सचिन तेंदुलकर अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए मार्गदर्शन करेंगे. वह गेंद और बल्ले से तो मैदान में नहीं उतरेंगे, मगर अपने अनुभव का लाभ टीम को बतौर मेंटर देंगे. इस बार खास बात यह है कि अर्जुन तेंदुलकर जो कि उनके बेटे हैं वह भी मुंबई इंडियन की टीम का हिस्सा हैं.
वरिष्ठ पत्रकार और खेल विशेषज्ञ अनंत मिश्र बताते हैं कि वह समय बहुत शानदार था. वर्ष 1952 के बाद पहली बार लखनऊ में टेस्ट क्रिकेट खेला जा रहा था. सचिन तेंदुलकर की पारी ने उन यादों में चार चांद लगा दिया था. मुकाबला चौथे दिन में समाप्त हो गया था, मगर मैदान हर पल भरा रहा. एनडीए कोचिंग सेंटर के हेड कोच गोपाल सिंह बताते हैं कि सचिन उस समय युवा थे और सभी युवाओं के लिए आदर्श है. हम बतौर क्रिकेटर दीवानों की तरह उनकी बल्लेबाजी देखकर खुश हुए थे. पूर्व क्रिकेटर समीर मिश्र ने बताया कि वह समय था जब सचिन तेंदुलकर उभर रहे थे. तब हमको हमारे सीनियर क्रिकेटर अशोक बॉम्बी ने बताया था कि सचिन एक अलग तरह का बल्लेबाज है. मुझे अभी भी याद है कि मैं एयरपोर्ट से टीम को लेकर होटल तक आया था. इस दौरान सचिन तेंदुलकर बिल्कुल शांत थे और कान में वॉकमैन लगाकर संगीत सुनते रहे. इसके बाद में उनकी बल्लेबाजी भी संगीतमय रही.