वाराणसी: हौसला हो तो दुनिया की हर जंग जीत सकते हैं. काशी की बेटी आस्था भी इसी का उदाहरण है. आस्था 34 सालों से बिस्तर पर पड़ी रहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. आस्था के शरीर की करीब 100 से ज्यादा हड्डियां टूट चुकी हैं और 13 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी हैं. इसके बावजूद वह दूसरों के लिए मिसाल है और आस्था बिस्तर पर लेटे-लेटे ही इंटीरियर डिजाइनिंग के साथ पशुओं की भी देखभाल करती हैं.
आस्था की हिम्मत के पीछे है मां की प्रेरणा: आस्था बताती हैं कि बचपन से उन्हें लोगों के तिरस्कार और नफरत का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मां ने उन्हें संभाला है. आज वह जो कुछ हैं अपनी मां की ताकत के बदौलत हैं. वो चाहती हैं कि वो लोगों के लिए एक मिसाल बनें. उन्होंने बताया कि वो इंटीरियर डिजाइनिंग करती हैं. वो ऐसे दिव्यांगजनों के लिए भी डिजाइनिंग करती हैं, जो कमरे की चार दिवारी में बंद कर अपना जीवन गुजारते हैं. उनका मकसद है कि दिव्यांगजनों के लिए घर की चारदीवारी में ही बेहतर और हर तरीके की व्यवस्थाएं मुहैया कराना. उन्होंने बताया कि वह आवारा पशुओं के भोजन की भी व्यवस्था करती हैं.
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डॉक्टरों के जवाब देने के बावजूद जीती जिंदगी की जंग: आस्था की मां ने बताया कि आस्था के हौसले से उन्हें हिम्मत मिलती है. वह चाहती हैं कि उनकी बेटी ऐसे ही आगे बढ़ती रहें. उन्हें चिंता थी कि उनकी बेटी का क्या होगा, लेकिन उनकी बेटी आज लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है, जो उनके लिए किसी स्वप्न के समान है. डॉक्टरों ने पूरी तरह से जवाब दे दिया था, इसके बावजूद आस्था ने हिम्मत नहीं हारी और वो डटकर जीवन का सामना कर रही है.
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