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कर्नाटक का यू टर्न, नहीं रोकेगा आंध्र प्रदेश को दूध की आपूर्ति

कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) के द्वारा आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति रोकने संबंधी खबर आने के कुछ ही देर बाद केएमएफ ने यू टर्न ले लिया है. केएमएफ की ओर से स्पष्ट किया गया कि आंध्र प्रदेश को दूध की आपूर्ति नहीं रोकी जाएगी, क्योंकि यह एक सामाजिक कार्य है.

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Published : Nov 8, 2021, 2:01 PM IST

Updated : Nov 8, 2021, 6:43 PM IST

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अमरावती: कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) के निदेशक मृत्युंजय कुलकर्णी ने ईटीवी भारत को स्पष्ट किया है कि आंध्र प्रदेश को दूध की आपूर्ति नहीं रोकी जाएगी. आंध्र प्रदेश सरकार को भेजा गया पत्र एक 'नियमित प्रार्थना पत्र' था. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया था, लेकिन यह जल्द ही बकाया चुकाने के लिए एक नियमित पत्र था. दूध की आपूर्ति एक सामाजिक उद्देश्य के लिए है, इससे स्कूली बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लाभ होता है. पत्र लिखे जाने के पीछे मुख्य कारण केएमएफ को किसानों को भुगतान करना है. कुलकर्णी का कहना है कि दूध की आपूर्ति ठप नहीं होगी.

आंध्र प्रदेश सरकार पहले ही 90 करोड़ रुपये के दो टोकन जारी कर चुकी है. कोई समस्या नही है, आंध्र प्रदेश और केएमएफ के बीच सहयोग अच्छा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि दूध की आपूर्ति को ठप करने का कोई सवाल ही नहीं है. केएमएफ के अनुसार, आंध्र प्रदेश की 'संपूर्ण पोषण योजना' के लिए दूध 36.50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है. और हमने कीमत बढ़ाने का अनुरोध किया है. यह आपूर्ति आंध्र प्रदेश-केएमएफ समझौते के तहत हो रही है, जिसे हर साल नवीनीकृत किया जाता है. आंध्र प्रदेश सरकार नंदिनी ब्रांड के तहत केएमएफ से हर महीने 110 लाख लीटर अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध खरीद रही है. पिछले चार महीनों से, आंध्र प्रदेश राज्य सरकार ने केएमएफ को कोई भुगतान नहीं किया. बकाया राशि अब 130 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. दूध की कीमत में 5 रुपये के संशोधन को लेकर विवाद बढ़ा.

ये भी पढ़े- सुषमा, जेटली और पंडित छन्नूलाल मिश्र को मिला पद्म विभूषण, कंगना और अदनान को पद्म श्री

आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुरोध किया था कि अग्रिम भुगतान के मद्देनजर मई 2021 तक पुरानी कीमत जारी रखी जाए. हालांकि हम इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे, हमने आंध्र प्रदेश डेयरी डेवलपमेंट कोऑपरेटिव फेडरेशन की ओर से दूध की दर बढ़ाने के मौखिक आश्वासन पर पुराने मूल्य पर दूध की आपूर्ति जारी रखी. क्योंकि यह एक सामाजिक काम है.आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव प्रवीण प्रकाश को लिखे एक पत्र में केएमएफ के प्रबंध निदेशक बीसी सतीश ने कहा कि, 'कई पत्रों के लिखे जाने और बैठकों के बाद भी दूध की कीमत में संशोधन नहीं किया गया है. सतीश ने कहा कि कर्नाटक के दूध संघों को उच्च लागत लागत के कारण भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से उनकी कार्यशील पूंजी और लाभ गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं.

केएमएफ के प्रबंध निदेशक ने कहा, 'दुग्ध संघों ने हमें सूचित किया है कि वे मौजूदा कीमत पर दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा, भुगतान में देरी (एपी सरकार से) से दूध उत्पादकों को अनियमित भुगतान होती है.' उन्होंने कहा कि कर्नाटक में डेयरी किसान बहुत कठिनाई से गुजर रहे हैं और दुग्ध संघों ने सूचित किया कि वे आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे, जब तक कि कीमत में 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी नहीं की जाती.

सतीश चाहते थे कि आंध्र सरकार तुरंत बकाया 130 करोड़ रुपये का भुगतान करे और दुग्ध संघों के 2.33 करोड़ रुपये चुकाए. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केएमएफ के एमडी ने इस मुद्दे पर महिला एवं बाल विकास के प्रमुख सचिव ए आर अनुराधा को पहले भी कई पत्र लिखे थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

अमरावती: कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) ने आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति करने में अक्षमता जाहिर की है. संघ का कहना है कि जब तक 130 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान और दाम में प्रति लीटर पांच रुपये की वृद्धि नहीं हो जाती तब तक वह दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएगा. अगर कर्नाटक से दूध की आपूर्ति रूक जाती है तो संपूर्ण पोषण योजना के तहत छह साल से कम उम्र के 20 लाख बच्चे पौष्टिक आहार से वंचित हो सकते हैं. आंध्र प्रदेश सरकार नंदिनी ब्रांड के तहत केएमएफ से प्रति महीना 110 लाख लीटर दूध (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क) खरीद रही है.

इसके तहत दूध को बेहद तापमान पर गर्म किया जाता है और इससे काफी समय तक दूध को रखने में मदद मिलती है. दूध का पास्चरीकरण 138 से 158 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कुछ सेकंड के लिए किया जाता है जिसके बाद हवा के संपर्क में लाए बगैर उसे पैक कर दिया जाता है. दूध के इस प्रकार को अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क कहते हैं. आधिकारिक सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि पिछले चार महीने से राज्य सरकार ने केएमएफ को भुगतान नहीं किया. इसकी वजह से बकाया राशि 130 करोड़ तक पहुंच गई और कीमत को लेकर भी विवाद छिड़ गया. केएमएफ जून, 2020 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ हुए करार के तहत प्रति लीटर 'वास्तविक कीमत से' पांच रुपये कम ले रहा है क्योंकि यह योजना सामाजिक दायित्व से जुड़ा हुआ है.

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इस साल फरवरी में केएमफ ने खरीद कीमत, डीजल के दाम में वृद्धि और अन्य कच्चे मालों के दाम में वृद्धि का हवाला देते हुए प्रति लीटर पांच रुपये बढ़ाने की मांग की. आंध्र प्रदेश की सरकार ने कहा था कि मई, 2021 तक पुरानी कीमत को ही बरकरार रखा जाए. केएमएफ के प्रबंध निदेशक बी सी सतीश ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव प्रवीण प्रकाश को भेजे पत्र में कहा कि वे आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए थे लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार से कीमत में वृद्धि के मौखिक आश्वासन पर दूध की आपूर्ति पुरानी कीमत पर ही जारी रखी. कई बार पत्र भेजने के बाद भी कीमत में वृद्धि नहीं हुई.

सतीश का कहना है कि वह चाहते हैं कि सरकार तत्काल 130 करोड़ रुपये की बकाया राशि और अन्य 2.33 करोड़ रुपये सीधे दुग्ध संघों को भुगतान कर दे. यहां आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केएमएफ के प्रबंध निदेशक ने पहले महिला एवं बाल विकास मुख्य सचिव ए आर अनुराधा को भी इस मुद्दे पर कई पत्र भेजे लेकिन कोई समाधान निकल कर नहीं आया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बिल वित्त विभाग को सौंपे हैं लेकिन लंबे समय से भुगतान को मंजूरी नहीं मिली है.

(पीटीआई-भाषा)

अमरावती: कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) के निदेशक मृत्युंजय कुलकर्णी ने ईटीवी भारत को स्पष्ट किया है कि आंध्र प्रदेश को दूध की आपूर्ति नहीं रोकी जाएगी. आंध्र प्रदेश सरकार को भेजा गया पत्र एक 'नियमित प्रार्थना पत्र' था. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया था, लेकिन यह जल्द ही बकाया चुकाने के लिए एक नियमित पत्र था. दूध की आपूर्ति एक सामाजिक उद्देश्य के लिए है, इससे स्कूली बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लाभ होता है. पत्र लिखे जाने के पीछे मुख्य कारण केएमएफ को किसानों को भुगतान करना है. कुलकर्णी का कहना है कि दूध की आपूर्ति ठप नहीं होगी.

आंध्र प्रदेश सरकार पहले ही 90 करोड़ रुपये के दो टोकन जारी कर चुकी है. कोई समस्या नही है, आंध्र प्रदेश और केएमएफ के बीच सहयोग अच्छा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि दूध की आपूर्ति को ठप करने का कोई सवाल ही नहीं है. केएमएफ के अनुसार, आंध्र प्रदेश की 'संपूर्ण पोषण योजना' के लिए दूध 36.50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है. और हमने कीमत बढ़ाने का अनुरोध किया है. यह आपूर्ति आंध्र प्रदेश-केएमएफ समझौते के तहत हो रही है, जिसे हर साल नवीनीकृत किया जाता है. आंध्र प्रदेश सरकार नंदिनी ब्रांड के तहत केएमएफ से हर महीने 110 लाख लीटर अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध खरीद रही है. पिछले चार महीनों से, आंध्र प्रदेश राज्य सरकार ने केएमएफ को कोई भुगतान नहीं किया. बकाया राशि अब 130 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. दूध की कीमत में 5 रुपये के संशोधन को लेकर विवाद बढ़ा.

ये भी पढ़े- सुषमा, जेटली और पंडित छन्नूलाल मिश्र को मिला पद्म विभूषण, कंगना और अदनान को पद्म श्री

आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुरोध किया था कि अग्रिम भुगतान के मद्देनजर मई 2021 तक पुरानी कीमत जारी रखी जाए. हालांकि हम इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे, हमने आंध्र प्रदेश डेयरी डेवलपमेंट कोऑपरेटिव फेडरेशन की ओर से दूध की दर बढ़ाने के मौखिक आश्वासन पर पुराने मूल्य पर दूध की आपूर्ति जारी रखी. क्योंकि यह एक सामाजिक काम है.आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव प्रवीण प्रकाश को लिखे एक पत्र में केएमएफ के प्रबंध निदेशक बीसी सतीश ने कहा कि, 'कई पत्रों के लिखे जाने और बैठकों के बाद भी दूध की कीमत में संशोधन नहीं किया गया है. सतीश ने कहा कि कर्नाटक के दूध संघों को उच्च लागत लागत के कारण भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से उनकी कार्यशील पूंजी और लाभ गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं.

केएमएफ के प्रबंध निदेशक ने कहा, 'दुग्ध संघों ने हमें सूचित किया है कि वे मौजूदा कीमत पर दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा, भुगतान में देरी (एपी सरकार से) से दूध उत्पादकों को अनियमित भुगतान होती है.' उन्होंने कहा कि कर्नाटक में डेयरी किसान बहुत कठिनाई से गुजर रहे हैं और दुग्ध संघों ने सूचित किया कि वे आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएंगे, जब तक कि कीमत में 5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी नहीं की जाती.

सतीश चाहते थे कि आंध्र सरकार तुरंत बकाया 130 करोड़ रुपये का भुगतान करे और दुग्ध संघों के 2.33 करोड़ रुपये चुकाए. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केएमएफ के एमडी ने इस मुद्दे पर महिला एवं बाल विकास के प्रमुख सचिव ए आर अनुराधा को पहले भी कई पत्र लिखे थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

अमरावती: कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) ने आंध्र प्रदेश के आंगनवाड़ियों को दूध की आपूर्ति करने में अक्षमता जाहिर की है. संघ का कहना है कि जब तक 130 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान और दाम में प्रति लीटर पांच रुपये की वृद्धि नहीं हो जाती तब तक वह दूध की आपूर्ति नहीं कर पाएगा. अगर कर्नाटक से दूध की आपूर्ति रूक जाती है तो संपूर्ण पोषण योजना के तहत छह साल से कम उम्र के 20 लाख बच्चे पौष्टिक आहार से वंचित हो सकते हैं. आंध्र प्रदेश सरकार नंदिनी ब्रांड के तहत केएमएफ से प्रति महीना 110 लाख लीटर दूध (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क) खरीद रही है.

इसके तहत दूध को बेहद तापमान पर गर्म किया जाता है और इससे काफी समय तक दूध को रखने में मदद मिलती है. दूध का पास्चरीकरण 138 से 158 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कुछ सेकंड के लिए किया जाता है जिसके बाद हवा के संपर्क में लाए बगैर उसे पैक कर दिया जाता है. दूध के इस प्रकार को अल्ट्रा हाई टेम्परेचर मिल्क कहते हैं. आधिकारिक सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि पिछले चार महीने से राज्य सरकार ने केएमएफ को भुगतान नहीं किया. इसकी वजह से बकाया राशि 130 करोड़ तक पहुंच गई और कीमत को लेकर भी विवाद छिड़ गया. केएमएफ जून, 2020 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ हुए करार के तहत प्रति लीटर 'वास्तविक कीमत से' पांच रुपये कम ले रहा है क्योंकि यह योजना सामाजिक दायित्व से जुड़ा हुआ है.

ये भी पढ़े- तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट, कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद

इस साल फरवरी में केएमफ ने खरीद कीमत, डीजल के दाम में वृद्धि और अन्य कच्चे मालों के दाम में वृद्धि का हवाला देते हुए प्रति लीटर पांच रुपये बढ़ाने की मांग की. आंध्र प्रदेश की सरकार ने कहा था कि मई, 2021 तक पुरानी कीमत को ही बरकरार रखा जाए. केएमएफ के प्रबंध निदेशक बी सी सतीश ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव प्रवीण प्रकाश को भेजे पत्र में कहा कि वे आंध्र प्रदेश के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए थे लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार से कीमत में वृद्धि के मौखिक आश्वासन पर दूध की आपूर्ति पुरानी कीमत पर ही जारी रखी. कई बार पत्र भेजने के बाद भी कीमत में वृद्धि नहीं हुई.

सतीश का कहना है कि वह चाहते हैं कि सरकार तत्काल 130 करोड़ रुपये की बकाया राशि और अन्य 2.33 करोड़ रुपये सीधे दुग्ध संघों को भुगतान कर दे. यहां आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केएमएफ के प्रबंध निदेशक ने पहले महिला एवं बाल विकास मुख्य सचिव ए आर अनुराधा को भी इस मुद्दे पर कई पत्र भेजे लेकिन कोई समाधान निकल कर नहीं आया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बिल वित्त विभाग को सौंपे हैं लेकिन लंबे समय से भुगतान को मंजूरी नहीं मिली है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 8, 2021, 6:43 PM IST
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