नई दिल्ली : कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत मांगने वाली सभी याचिकाओं (karnataka hijab row) को ये कहकर खारिज कर दिया है कि हिबाज पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं. हाईकोर्ट के इस फैसले (Karnataka High Courts verdict on hijab row) को लेकर कई विशिष्ट लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं. इस पर जम्मू कश्मीर पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हिजाब पर जो फैसला कर्नाटक हाईकोर्ट ने कायम रखा है, वो बहुत ही निराश करने वाला फैसला है. एक लड़की और एक महिला को ये भी अधिकार नहीं है कि वो क्या पहने और क्या नहीं पहने. उन्होंने कहा, 'मैं समझती हूं कि एक तरफ तो हम बहुत बड़े दावे करते हैं औरतों के अधिकारों की कि उनको सशक्त बनाना है और दूसरी तरफ हम उनको ये भी हक नहीं देते हैं कि वो क्या पहने और क्या नहीं और अगर वो अपनी मर्जी के मुताबिक कपड़े पहनती हैं, तो उन्हें परेशान किया जाता है. सड़कों पर किस तरह से मवाली उनके पीछे पड़ जाते हैं और वहां की सरकारें तमाशबीन बन जाती हैं. मैं समझती हूं कि ये बहुत गलत है. हर इंसान, औरत और बच्ची को हक होना चाहिए कि वो क्या कपड़े पहने और क्या नहीं. इसका फैसला अदालतों के पास नहीं होना चाहिए.'
वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'हम कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है. यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है. हाईकोर्ट ने कहा है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है, लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? इस फैसले के खिलाफ हम इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.' उन्होंने कहा कि इस फैसले से नकारात्मक असर होगा और जगह-जगह मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जाएगा. संविधान में विवेक की स्वतंत्रता के तहत हमें इजाजत है कि अपना हिजाब भी पहनू और शिक्षा भी हासिल करें.
कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा हिजाब मामले की याचिका को खारिज किए जाने के बाद इस्लामिक धर्म गुरु इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. मुस्लिम धर्म गुरु देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि मुसलमान केवल शरीयत और कुरान-ए-करीम के नियमों का ही पालन करेगा. कोर्ट के फैसले से हमारा कोई सरोकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब प्रतिबंध पर फैसला सुनाया है, लेकिन मजहब-ए-इस्लाम में पर्दा करना लाजमी ही नहीं बेहद जरूरी भी है. इस्लाम में पर्दे के बिना कोई युवतियों एवं महिलाओं का घर से निकलना गलत है. हम शरीयत और इस्लाम के बारे में बता दें कि इस्लाम में खुद कुरान-ए-करीम में अल्लाह ने मुस्लिम महिलाओं एवं बच्चियों को पर्दा पहनने का हुक्म दिया है.
उन्होंने आगे कहा, 'सभी मुसलमान कुरान-ए-करीम और शरीयत के नियमों का पालन करते हैं. कर्नाटक कोर्ट का क्या फैसला आया है, उसकी हमें कोई परवाह नहीं है लेकिन जो हमारा मजहब और शरीयत कहता है, हम उस पर अमल करेंगे'.
मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि स्कूलों में जो ड्रेस कोड दिया गया है, उसका पालन करना सभी छात्र-छात्राओं के लिए जरूरी है. उनका साफ कहना है कि स्कूलों में दिए गए ड्रेस कोड अपनी जगह सही हैं, लेकिन किसी भी छात्रा को हिजाब या पर्दे से रोका जाए तो यह सही नहीं है. हिंदुस्तान का संविधान इस चीज की इजाजत देता है कि हर पुरुष, महिला एवं छात्र-छात्राओं को अपने धर्म के मुताबिक जिंदगी जीने की आजादी है.
इधर, हिजाब पर कर्नाटक के फैसले को लेकर कुछ नेताओं ने स्वागत भी किया है. कर्नाटक एडवोकेट जनरल प्रबुलिंग नवादकी ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखा है. व्यक्तिगत पसंद पर संस्थागत अनुशासन प्राथमिक होता है. यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 25 की व्याख्या में एक बदलाव का प्रतीक है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसला दिया, मैं सोचता हूं उस फैसले का स्वागत करना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा है, हमारी बेटियां किसी भी धर्म की हो, उनपर किसी भी तरह की बंदिश स्वीकृत नहीं है. स्कूल-कॉलेज का अगर ड्रेस कोड है, तो उसे हर मजहब के लोगों को मानना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हिजाब को लेकर जो हंगामा था, वह इसलिए था कि कैसे मुस्लिम लड़कियों को औपचारिक शिक्षा से दूर रखें और तालिबानी सोच के साथ झौंक दें जिससे उन्हें औपचारिक शिक्षा न मिले. कोर्ट ने जो निर्णय लिया है वह भारत के संविधान और समाज के हिसाब से बिल्कुल ठीक है. भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का जो फैसला आया है वो बहुत ही स्वागत योग्य है. बहस की गई थी कि हिजाब पहनना हमारा मौलिक अधिकार है और ये आस्था का मूल अंग है.
जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि यह अदालत का सर्वसम्मत फैसला है. राज्य सरकार को राजनीतिक दलों के साथ आपसी विचार-विमर्श करना चाहिए. मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है और आगे बढ़ गया है. लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि बच्चों के लाभ के लिए सभी को कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए. यह हमारे बच्चों के भाग्य और शिक्षा का सवाल है. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं.
कर्नाटक के मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा ने कहा, 'मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. राज्य के मुस्लिम छात्रों को लंबे समय तक समस्याओं का सामना करना पड़ा. किसी ने उन्हें गुमराह किया था. सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए, इसलिए सभी को आदेश मानना चाहिए. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने हिजाब प्रतिबंध को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को प्रशासन द्वारा एक शैक्षणिक संस्थान के अंदर निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए. NCW अध्यक्ष ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं को अपनी पसंद का कुछ भी पहनने का अधिकार है और उनकी पसंद की स्वतंत्रता के रास्ते में कुछ भी नहीं आना चाहिए, लेकिन एक शैक्षणिक संस्थान के अंदर, मेरे विचार से, छात्रों को प्रशासन द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा, 'मैं स्कूल ड्रेस के मुद्दे पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं. उच्च न्यायालय के निर्णय ने सिद्ध कर दिया है कि धर्म और उसकी मान्यताओं पर संविधान सर्वोच्च है. भाजपा नेता तेजस्वी सूर्या ने भी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से संबंधित लड़कियों के शैक्षिक अवसर और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस्लाम स्वयं परिभाषित करता है कि विश्वास के अभ्यास के लिए क्या आवश्यक है. इसलिए न्यायपालिका का काम आसान हो गया है. कुरान में सात बार हिजाब का जिक्र किया गया है, लेकिन ड्रेस कोड के संदर्भ में नहीं.
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने ट्वीट कर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में ऐसी खामियों में सुधार किया जाएगा. यूनिफार्म सभी को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ती है. उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं स्कूल/कॉलेज वर्दी नियमों पर माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि देश का कानून सब से ऊपर है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हिजाब विवाद को लेकर हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया है वह देश में फैल रही अलगाववादी ताकतों के मुंह पर तमाचा है. उन्होंने कहा कि अलगाववादी ताकतें देश में गंदी राजनीति कर रही हैं ये विवाद उसी का एक उदाहरण है. शिक्षा के क्षेत्र में हिजाब की क्या जरूरत है.
विजयवर्गीय ने कहा, 'हमने भी पढ़ाई की है और हमारे साथ मुस्लिम छात्र भी पढ़ते थे, लेकिन तब कभी भी शिक्षा के बीच में धर्म को नहीं लाया गया. स्कूल कॉलेजों में वंदे मातरम गाया जाता था. हम भी गाते थे और मुस्लिम छात्र भी गाते थे. सरस्वती वंदना जब होती थी तो हम भी करते थे और मुस्लिम छात्र भी करते थे. उस वक्त हमें यह पता नहीं होता था कि वंदना कर रहे छात्रों में कौन हिंदू है और कौन मुस्लिम. अलगाववादी ताकतें हमेशा इसी काम में लगी रहती हैं कि कैसे देश को धर्म के नाम पर लड़ाया जाए और जब भी चुनाव आएगा इस तरह घटनाएं सामने आती रहेंगी, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले ने इन सभी के मंसूबों को पानी-पानी कर दिया. यह इस देश की सामाजिक समरसता की जीत है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब फैसले पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं. सभी लोगों से अपील करता हूं कि देश और राज्य को आगे बढ़ाएं. हम सबको शांती का माहौल बनाकर रखना है. छात्रों का मूलभूत काम अध्ययन और ज्ञान अर्जित करना है. सब लोग एक होकर पढ़ाई करें.'
इससे पहले, कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति के लिए निर्देश देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. यूनिफॉर्म का निर्देश संवैधानिक है और छात्र इस पर आपत्ति नहीं कर सकते. कर्नाटक के उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह छात्राओं के विरोध के रूप में शुरू हुआ हिजाब विवाद एक बड़े संकट में बदल गया था.
मंगलवार को फैसले के दिन एहतियात के तौर पर पूरे राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. दक्षिण कन्नड़, कलबुर्गी और शिवमोग्गा जिलों में स्कूलों और कॉलेजों के लिए छुट्टी घोषित की गई थी. अधिकांश जिलों ने शिक्षण संस्थानों के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी है. बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने निषेधाज्ञा जारी करते हुए पूरे शहर में 15 मार्च से सात दिनों के लिए विरोध प्रदर्शन, समारोहों और सभाओं को प्रतिबंधित कर दिया है.
पढ़ें : Hijab Row: हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं, याचिका खारिज
Karnataka Hijab Row: HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
Hijab Row : हिजाब शिक्षा जितना ही महत्वपूर्ण, हम इसके बिना कॉलेज नहीं जाएंगे: याचिकाकर्ता छात्राएं