बेंगलुरू: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को रायचूर फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को रद्द कर दिया, क्योंकि याचिकाकर्ता ने दो राज्यों की अदालतों में तथ्यों को छिपाते हुए तलाक की याचिका दायर की थी. पश्चिम बंगाल के याचिकाकर्ता अनिर्बान दास रायचूर औद्योगिक विकास केंद्र में काम करते थे. न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार और न्यायमूर्ति टीजी शिवशंकर गौड़ा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दो राज्यों की अदालतों में तलाक की याचिका दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने कर्नाटक के रायचूर फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी और दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की अदालत के समक्ष उसकी इसी तरह की याचिका जांच के चरण में थी. पश्चिम बंगाल की अदालत ने तो उसकी याचिका को खारिज कर दिया और रायचूर फैमिली कोर्ट ने तलाक दे दिया.
पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता ने एक मामले में अपनी याचिका जारी नहीं रखी और दूसरी अदालत से एकतरफा आदेश प्राप्त किया. इसलिए, अदालत रायचूर परिवार अदालत के तलाक के आदेश को रद्द कर रही है. बेंच ने यह भी कहा कि अगर फैमिली कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया जाता है, तो यह पत्नी के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से फैसला देने जैसा है. कोर्ट ने रायचूर फैमिली कोर्ट को मामले को कानूनी तरीके से निपटाने का निर्देश दिया है.
डिंपिका भौमिक ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अनिर्बान दास और दिम्पिका भौमिक ने जनवरी 2019 में शादी की और जनवरी 2020 में उत्तर परगना जिला परिवार न्यायालय में विशेष विवाह अधिनियम के तहत तलाक की याचिका दायर की. जब इस मामले की सुनवाई हो रही थी तो अनिर्बान दास ने रायचूर फैमिली कोर्ट में भी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक की अर्जी दाखिल कर दी.
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रायचूर फैमिली कोर्ट द्वारा जारी किया गया समन डिम्पिका तक नहीं पहुंचा और वह कोर्ट की कार्यवाही में शामिल नहीं हुईं. फैमिली कोर्ट ने अनिर्बन दास को एकतरफा तलाक दे दिया था. डिंपिका ने आदेश को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
(आईएएनएस)