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बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं वाली याचिका खारिज, कोर्ट ने ठोका जुर्माना - covid vaccination

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी और दो अन्य लोगों ने टीकाकरण रोकने की याचिका दायर की थी.

कर्नाटक उच्च न्यायालय
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Published : May 27, 2021, 11:36 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी और दो अन्य लोगों ने टीकाकरण रोकने की याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि इससे कोर्ट का समय बर्बाद हुआ है. जिसके चलते तीनों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोका गया.

दायर याचिका में कहा गया था कि बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं है. नैदानिक परीक्षण में कोविड के संक्रमण नियंत्रण के टीके का परीक्षण नहीं किया गया. प्रधान न्यायाधीश एएस ओका की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की.

सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि याचिका जनहित में नहीं है. ऐसे में याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है, हालांकि टीकाकरण अभियान मुख्य रूप से जनवरी में शुरू हो गया है, लेकिन यह सही नहीं है कि आवेदक मई में अनुरोध करें कि वैक्सीनेशन को बंद कर दिया जाए.

पढ़ें : देश में कोविड टीकों की अभी तक 20.25 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है: सरकार

याचिका को खारिज करते हुए दावा किया कि यह अदालत के समय की बर्बादी है और आवेदक पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है.

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं वाली एक याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी और दो अन्य लोगों ने टीकाकरण रोकने की याचिका दायर की थी. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि इससे कोर्ट का समय बर्बाद हुआ है. जिसके चलते तीनों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोका गया.

दायर याचिका में कहा गया था कि बिना क्लीनिकल ट्रायल के कोविड वैक्सीन देना ठीक नहीं है. नैदानिक परीक्षण में कोविड के संक्रमण नियंत्रण के टीके का परीक्षण नहीं किया गया. प्रधान न्यायाधीश एएस ओका की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की.

सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि याचिका जनहित में नहीं है. ऐसे में याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है, हालांकि टीकाकरण अभियान मुख्य रूप से जनवरी में शुरू हो गया है, लेकिन यह सही नहीं है कि आवेदक मई में अनुरोध करें कि वैक्सीनेशन को बंद कर दिया जाए.

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याचिका को खारिज करते हुए दावा किया कि यह अदालत के समय की बर्बादी है और आवेदक पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है.

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