गडग: प्याज की फसल ने किसानों की आंखों में आंसू ला दिये. किसानों को पता था कि अगर वे प्याज को बेंगलुरु ले जाएंगे तो उन्हें मुनाफा होगा. लेकिन, मुनाफे की उम्मीद कर रहे किसानों को झटका लगा.सबसे अधिक प्याज की फसल गडग जिले में उगाई जाती है. कई किसान अपना प्याज बेंगलुरु के बाजार में ले जाते हैं क्योंकि उन्हें स्थानीय बाजार में रेट नहीं मिलता है.
किसानों का सपना था कि वहां उन्हें बंपर रेट मिलेगा. लेकिन, गडग तालुक के तिम्मापुरा गांव के किसानों के लिए यह कड़वा अनुभव रहा. एक क्विंटल प्याज पर 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये का फायदा हुआ. किसान पावडेप्पा हल्लीकेरी ने करीब 205 किलो प्याज बेचा. खर्चा निकालने के बाद उसके पास 8 रुपये 36 पैसे ही बचे! उसने कहा, 'मुझे बेंगलुरु के बाजार से खराब रेट मिला.'
दुखी किसान ने कहा कि दूसरे राज्यों के मुकाबले उसे बहुत अधिक घाटा हुआ. उसे प्याज के सही दाम नहीं मिले. बेंगलुरु और यशवंतपुर बाजार में 212 किलो प्याज बेचने वाले एक अन्य किसान को महज 424 रुपये मिले. लेकिन, यदि कुली का भाड़ा, परिवहन शुल्क, ब्रोकरेज और अन्य खर्चे काटे जाएं तो उन्हें महज 4 से 10 रुपये का ही मुनाफा हुआ.
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ऐसे में जिले के कई किसान प्याज उगाकर आंसू बहा रहे हैं. इस बार हुई भारी बारिश से जिले के किसान बेहाल हैं. कृषि मंत्री गडग जिले के प्रभारी मंत्री हैं, हमारी तरफ देखिए. प्याज उगाने वाले किसानों ने उचित समर्थन मूल्य की मांग की. लगातार बारिश से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में सभी को उम्मीद है कि सरकार समर्थन मूल्य की घोषणा कर पीड़ित किसानों के आंसू पोंछेगी.